क्या चीन से पीछा छुड़ाने के लिए सऊदी की शरण में पहुंचे हैं इमरान खान?

पाकिस्तान के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री इमरान खान अपनी पहली विदेश यात्रा के तहत सऊदी अरब के दौरे पर है. खबरों के मुताबिक इस दौरान इमरान ने खाड़ी देश से आर्थिक सहायता की मांग की है. दरअसल पाकिस्तान चीन द्वारा दिए गए कर्ज के जाल में पूरी तरह से फंस चुका हैं.

सऊदी किंग सलमान और इमरान खान (Photo Credits: Twitter)

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री इमरान खान अपनी पहली विदेश यात्रा के तहत सऊदी अरब के दौरे पर है. खबरों के मुताबिक इस दौरान इमरान ने खाड़ी देश से आर्थिक सहायता की मांग की है. दरअसल पाकिस्तान चीन द्वारा दिए गए कर्ज के जाल में पूरी तरह से फंस चुका हैं. इमरान सरकार को चीन से लिए गए कर्ज पर प्रतिदिन अरबों रुपए का ब्याज चुकाना पड़ रहा है. इस वजह से पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार भी खाली होने के कगार पर पहुंच गया है.

पाकिस्तान साल 2013 जैसे एक बार फिर कंगाल होने की कगार पर है. एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान सरकार ने चीन और इसके बैंकों से अबतक करीब 5 अरब डॉलर का कर्ज लें चुकी है. जिसके बाद से चीन की बैंके पाकिस्तान को नया कर्ज देने से आनाकानी कर रही है. वहीं, अमेरिका ने पहले ही कह दिया था कि पाकिस्तान को तब तक कोई नया लोन नहीं दिया जाएगा, जब तक वह पुराने लोन की भरपाई न कर दे. इसके अलावा अमेरिका ने पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्यवाही नहीं करने पर अभी तक दी जा रही 50 करोड़ डॉलर की आर्थिक मदद को भी रोक दिया है.

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इसलिए अब इमरान खान सऊदी अरब की शरण में जाने के लिए मजबूर हो गए है. उन्होंने सऊदी अरब से चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) प्रोजेक्ट में पैसा लगाने की गुहार लगाई है. इसी काम के लिए इमरान अपने साथ पाकिस्तान के वित्त मंत्री असद उमर और विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को भी लेकर गए है.

हाल ही में पाकिस्तान सिविल सर्विसेज कर्मचारियों को संबोधित करते हुए इमरान खान ने कहा था कि पाकिस्तान पर 300 खरब रुपए का कर्ज है और देश को बचाने के लिए जवाबदेही बहुत जरुरी है. और यदि जवाबदेही नहीं होगी तो देश को बचाया नहीं जा सकता है. 'कंगाल पाकिस्तान’ के पास पैसे नहीं, इस काम के लिए 10-10 रुपये के चंदे से जुटाएगा पैसा

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान अपने विदेशी मुद्रा भंडार के बढ़ते घाटे से बेहाल है. हाल इस कदर तक खराब है की पाकिस्तान सरकार ने अगर जल्द ही कुछ ना किया तो विदेशी मुद्रा भंडार खत्म हो जाएगा. मई 2017 में जहाँ पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 16.4 अरब डॉलर था, वहीं अब ये 10 अरब डॉलर के नीचे पहुँच गया है.

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