क्या सिकंदर की मूर्ति की स्थापना में जालसाजी की गई है?
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

ग्रीस के संस्कृति मंत्रालय ने मई 2023 में प्राचीन वस्तुओं की वापसी पर खुशी जताई थी. इन प्राचीन वस्तुओं में सिकंदर महान की मूर्ति भी शामिल थी. लेकिन अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह मूर्ति असली है? एक पड़ताल.ग्रीस के इस प्राचीन शासक की कांस्य प्रतिमा को सबसे पहले साल 2000 में स्टीफन लेहमैन ने जर्मन राज्य सैक्सोनी-एनहाल्ट के छोटे से शहर स्टेंडल स्थित विंकेलमान संग्रहालय में देखा था. लेहमैन एक पुरातत्वविद् हैं और उस समय हाले विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे. अब वो रिटायर हो चुके हैं. लेहमैन ऐसी संरक्षित प्राचीन कलाकृतियों पर शोध करने को लेकर काफी उत्सुक थे जिन्हें लेकर काफी हलचल रहती थी.

ऐसा कहा गया था कि सिकंदर महान की यह मूर्ति एक निजी संग्रहकर्ता से उधार ली गई थी. लेहमैन के लिए यह एक बात मायने रखती थी कि कहीं यह नकली तो नहीं है? उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "मैं उस जगह पर था. मैंने इसे देखा और मुझे लगा कि यह बिल्कुल नकली है. इसके असली होने का तो सवाल ही नहीं उठता था.”

‘नकली' कलाकृतियों की सूची

ईसा से करीब 356 साल पहले जन्मे मैसेडोन के अलेक्जेंडर तृतीय को आमतौर पर अलेक्जेंडर महान या सिकंदर महानके नाम से जाना जाता है. वे प्राचीन ग्रीस राज्य के शासक थे. उन्होंने अपने शासन के अधिकांश वर्ष पूरे पश्चिमी एशिया और मिस्र में व्यापक सैन्य अभियानों में बिताए. 30 साल की उम्र तक, उन्होंने इतिहास के सबसे बड़े साम्राज्यों में से एक का निर्माण कर लिया था जो ग्रीस से लेकर भारत तक फैला था.

लेहमैन ने मूल स्थल की जानकारी के लिए संग्रहालय की सूची में खोज की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. उन्होंने संग्रहालय से काफी पूछताछ की लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला. उन्होंने बार-बार ऐसा किया लेकिन हर बार असफल रहे. वो कहते हैं, "यह स्पष्ट है कि संग्रहालय उस वक्त खुश नहीं होते जब उनके मुख्य हॉल में प्रदर्शित महत्वपूर्ण वस्तुओं पर सवाल उठाए जाते हैं.”

लेकिन इस सारी बातों ने लेहमैन को ये कहने से नहीं रोका कि ये मूर्ति नकली है. वो कहते रहे. लेहमैन चूंकि खुद एक पुरातत्वविद हैं इसलिए ऐसे संदिग्ध कार्यों के इतिहास को उजागर करना वो अपना कर्तव्य समझते हैं. उन्हें डर है कि एक दुर्लभ प्राचीन खोज जो कि असली नहीं है, वो संग्रहालय सूची में आ सकती है और इस तरह अकादमिक रूप से वैध हो सकती है.

इसीलिए 2015 में, उन्होंने कला के 36 प्राचीन कार्यों को सूचीबद्ध किया जिनके बारे में उनका मानना है कि ये नकली हैं. इनमें सिकंदर महान की यह कांस्य प्रतिमा भी शामिल थी. उन्होंने इस विषय पर हाले विश्वविद्यालय के पुरातत्व संग्रहालय में एक प्रदर्शनी भी आयोजित की और इसे नाम दिया- ‘लॉन्ग एगो इन स्टेंडल'.

कुशल जालसाजी

उन्होंने संग्रहालय पर ‘कपड़े धोने' की मशीन के रूप में दुरुपयोग करने की अनुमति देने का भी आरोप लगाया. विंकेलमान सोसाइटी ने तुरंत उन पर मानहानि का मुकदमा कर दिया. हालांकि, उस समय अदालत ने उस प्रश्न का समाधान नहीं किया जिसमें लेहमैन की वास्तव में रुचि थी. और वह प्रश्न था- क्या मूर्ति वास्तविक है?

लेकिन इसका समाधान करना लगभग असंभव ही होता, क्योंकि प्रदर्शनी के तुरंत बाद कांस्य प्रतिमा गायब हो गईऔर लंबे समय तक यही माना जाता रहा कि वह खो गई.

लेहमैन का मानना था कि यह जालसाजी एक अंतरराष्ट्रीय कला डीलर माफिया की कारगुजारी है. इस तरह की किसी चीज का पता लगाने के लिए आपको दशकों के अनुभव बहुत सारे ज्ञान और अंतर्दृष्टि की जरूरत होती है.

लेहमैन के पास ये सारे कौशल मौजूद थे और इन सबका फायदा उन्हें तब हुआ जब एक स्विस कलेक्टर ने उन्हें सम्राट ऑगस्टस की कथित प्राचीन मूर्ति उनके पास जांच के लिए भेजी. डीडब्ल्यू से बातचीत में वो स्वीकार करते हैं, "जब आप विवरण देखते हैं, तो आपको भी संदेह होता है कि क्या यह वास्तव में नकली है. यह जालसाजी इतनी कुशलता से की गई होती होती है कि आपको पता ही नहीं चलेगा.”

आखिर जालसाज कौन था?

उन्होंने मूर्ति को कंप्यूटर टोमोग्राफी द्वारा स्कैन कराया था. जैसा कि कहा जाता है कि जालसाज प्राचीन सिक्कों को पिघलाकर उनसे नए टुकड़े बनाते हैं. सैद्धांतिक रूप से यह बिल्कुल धोखा है क्योंकि सामग्री वास्तव में 2,000 साल पुरानी है.

लेकिन ऑगस्टस का चित्रण जांच में खरा नहीं उतरा. कुछ मानदंड, जैसे कि क्षय होने की दर उसकी प्राचीनता से मेल नहीं खा रही थी. इसलिए यह साबित किया जा सकता है कि मूर्ति पुरानी नहीं है और हाल ही में बनाई गई थी.

लेहमैन को संदेह है कि यह प्रतिमा स्पैनिश मास्टर के नाम से मशहूर किसी व्यक्ति की जालसाजी वर्कशॉप की है जिसकी अभी तक पहचान नहीं की जा सकी है. यह व्यक्ति चाहे कोई भी हो, उसके यहां अक्सर प्राचीन शासकों की प्रतिमाएँ बनती हैं और उन्हें एक सुंदर आकार दिया जाता है. चेहरा तो इतना बेहतरीन बनाया जाता है मानो जादू हो. और निश्चित तौर पर, नकली सामान बनाने वाले ऐसी कलाकृतियां बनाते हैं जिनकी कला और पुरावशेषों के बाजार में इस समय मांग है.

लेहमैन कहते हैं, "पुरातात्विक वस्तुओं के मूल्य के संबंध में, कांस्य प्रतिमाएं प्रीमियर श्रेणी में हैं. वे बहुत खास हैं और निश्चित रूप से वे सबसे ज्यादा लोगों का ध्यान आकर्षित करती हैं.”

लाभदायक व्यवसाय

मेट्रोपोलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट में कई साल क्यूरेटर रह चुके ऑस्कर व्हाइट मस्करेला कहते हैं कि जब भी इस तरह की कोई चीज सामने आती है, तो उसे खरीदने के इच्छुक लोगों की कोई कमी नहीं होती. वो कहते हैं, "हम पैसे की बात कर रहे हैं जो प्रमुख फैक्टर है. पैसा, पैसा और अधिक पैसा.”

मस्करेला ने डीलरों को कला दीर्घाओं और कला मेलों की तरह बाजार में नकली सामान लाते हुए देखा है. लेकिन उनके मुताबिक, मुख्य जगह नीलामी घर हैं. वो कहते हैं, "कई बार मुझे एहसास हुआ कि न सिर्फ डीलर ही बल्कि संग्रहकर्ता भी, नीलामी में अपनी नकली वस्तुएं बेच रहे थे.”

वो कहते हैं, "मैंने एक बार एक डीलर से इसके बारे में बात की तो वो सिर्फ मुस्कराकर रह गया. दरअसल, वे क्या करते हैं, वे अपने खुद के स्टोर में नकली सामान बेचने की बजाय, वे ऐसी वस्तुओं को झूठे नाम के साथ नीलामी के लिए रखते हैं और फिर कहते हैं कि यह प्राचीन कलाकृति आती है किसी पुराने संग्रह से आई है. ये जालसाज

लोग किसी काल्पनिक उद्गमस्थल, किसी काल्पनिक चीज की खोज कर लेते हैं. इस तरह, ये डीलर व्यक्तिगत रूप से खरीदारों के सामने नहीं आते हैं.”

ग्रीस में पुनर्स्थापना

सिकंदर महान की कांस्य प्रतिमा न्यूयॉर्क कला व्यापार से रॉबिन सिम्स की गैलरी से आती है. ब्रिटिश को प्राचीन वस्तुओं के अवैध व्यापार में प्रमुख व्यक्तियों में से एक माना जाता है और तब से वह छिप गया है। उनकी कंपनी को ख़त्म कर दिया गया और विभिन्न देशों में संग्रहीत कला वस्तुओं को जब्त कर लिया गया। इसलिए सिकंदर महान की कांस्य मूर्ति भी लूटी गई कला के रूप में पहचानी गई 351 वस्तुओं में से एक के रूप में ग्रीस वापस आ गई। अलेक्जेंडर "नंबर 11" है।

स्टीफ़न लेहमैन को इस मुद्दे के बारे में एक यूनानी सहकर्मी से पता चला, जिसने उन्हें एक तस्वीर के साथ एक अखबार की कतरन भेजी थी। "उन्होंने अभी लिखा, 'क्या यह हो सकता है?' और मैंने देखा और एक बक्सा देखा, और अंदर पैक किया गया था 'स्टैंडल से अलेक्जेंडर।' संलग्न पाठ में कहा गया है कि यह जिनेवा में अपराधी रॉबिन सिम्स के कला गोदाम से एक टुकड़ा था... और इसलिए यह फिर से प्रकट हुआ."

- सुजैन कॉर्ड्स, सौन्ये स्टॉर्म