जर्मनी: पर्यावरण के लिए आवाज उठाने वालों पर पुलिसिया कार्रवाई

जर्मनी में पुलिस ने विवादित रूप से सड़कें ब्लॉक करके चर्चा में आए समूह 'लास्ट जेनरेशन' के कार्यकर्ताओं के खिलाफ छापेमारी की है.

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जर्मनी: पर्यावरण के लिए आवाज उठाने वालों पर पुलिसिया कार्रवाई

जर्मनी में पुलिस ने विवादित रूप से सड़कें ब्लॉक करके चर्चा में आए समूह 'लास्ट जेनरेशन' के कार्यकर्ताओं के खिलाफ छापेमारी की है.

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जर्मनी: पर्यावरण के लिए आवाज उठाने वालों पर पुलिसिया कार्रवाई
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

जर्मनी में पुलिस ने विवादित रूप से सड़कें ब्लॉक करके चर्चा में आए समूह 'लास्ट जेनरेशन' के कार्यकर्ताओं के खिलाफ छापेमारी की है. जर्मन चांसलर इन लोगों को "पूरी तरह पागल" कह चुके हैं.जर्मन सरकार ने पर्यावरण संगठन लास्ट जेनरेशन के खिलाफ अपना रुख कड़ा कर लिया है. यह गुट खुद को सड़क से चिपकाने से लेकर म्यूजियमों में पेंटिंग पर आलू फेंकने और एयरपोर्ट के रनवे को ब्लॉक करके लोगों की नजर में आया है. इस समूह के लोग सरकारों से जलवायु की रक्षा के लिए और ज्यादा कदम उठाने की मांग कर रहे हैं.

हालांकि, प्रदर्शन के इनके तरीकों को लेकर बहस तेज है. जर्मनी में इस समूह के सात लोगों के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए हैं. इसी सिलसिले में पुलिस छापेमारी कर रही है. इन कार्यकर्ताओं की उम्र 22 साल से 38 साल के बीच है.

अपराधिक गतिविधियों की आशंका

बुधवार को इन कार्यकर्ताओं पर "आपराधिक संगठन बनाने या उन्हें सहयोग देने" का संदेह जताया गया. जर्मन राज्य बावेरिया के पुलिस और अभियोजकों ने संयुक्त बयान में यह संदेह जताया है. इसके बाद कम से कम 15 ठिकानों पर छापे मारे गए गए. दो बैंक खाते और एक संपत्ति को जब्त करने का आदेश भी जारी हुआ है. अभियोजकों का कहना है कि संदिग्ध कार्यकर्ता अपनी वेबसाइट के जरिए "अपनी आपराधिक गतिविधियों के लिए दान जुटाने के लिए अभियान चला रहे थे."

अधिकारियों का कहना है कि अभियान के जरिए अब तक 14 लाख यूरो की रकम जुटाई जा चुकी है. उन्होंने यह भी कहा, "ताजा जानकारियों के मुताबिक यह फंड संगठन की ज्यादातर आपराधिक गतिविधियों में इस्तेमाल किया जाना था." आधिकारियों ने यह साफ नहीं किया है कि वे किन "आपराधिक गतिविधियों" की बात कर रहे हैं.

कार्रवाई शुरू होने के बाद कार्यकर्ताओं ने कहा है कि वे डरकर चुप नहीं बैठेंगे. 'लास्ट जेनरेशन' की प्रवक्ता एमी फान बालेन ने माना है कि जब उन्हें उनके दोस्तों को निशाना बनाने की खबर मिली, तो वह डर गईं. बालेन ने कहा, "वे हमें डरा रहे हैं, लेकिन हमें इस डर के आगे झुकना नहीं है. सरकार हमारी आंखों के सामने हमें जलवायु के नर्क की ओर ले जा रही है. हमें अपना प्रतिरोध जारी रखना होगा."

पर्यावरण संगठन के खिलाफ कार्रवाई

संगठन से जुड़े दर्जनों कार्यकर्ता बीते हफ्तों में ट्रैफिक जाम करने की कोशिश के चलते कोर्ट के सामने पेश किए गए हैं. इनमें से ज्यादातर कार्यकर्ताओं पर ट्रैफिक या पुलिस के काम में बाधा डालने के लिए जुर्माना लगाया गया. वहीं कुछ अदालतों ने उन पर थोड़ी सख्ती भी दिखाई और उन्हें जेल भेजा है. जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स और सत्ताधारी गठबंधन में शामिल ग्रीन पार्टी ने भी कार्यकर्ताओं की हरकतों पर झल्लाहट दिखाई है.

वाइस चांसलर रॉबर्ट हाबेक ग्रीन पार्टी के हैं. उनका कहना है कि सड़क जाम करना "जलवायु संरक्षण के लिए मददगार नहीं है", क्योंकि वे "लोगों को परेशान" करके सहमति हासिल नहीं कर सकते. पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि उनका विरोध प्रदर्शन जरूरी है, क्योंकि सरकार और समाज पर्यावरण को बचाने और ग्लोबल वार्मिंग से बचाव के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रहे हैं. संगठन का कहना है, "हम लोग जो आज जिंदा हैं, वे आखिरी हैं जो जलवायु के सुधारे न जा सकने वाले विध्वंस के मार्ग में बाधा डाल सकते हैं."

जर्मनी ने जलवायु संरक्षण के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं. इनमें 2045 तक कार्बन न्यूट्रैलिटी हासिल करने की योजना भी शामिल है. जर्मनी 2030 तक 80 फीसदी बिजली अक्षय ऊर्जा से हासिल करने की कोशिश भी कर रहा है. हालांकि, 'लास्ट जेनरेशन' का मानना है कि इतने भर से पृथ्वी को ग्लोबल वार्मिंग के उस स्तर पर पहुंचने से नहीं रोका जा सकता, जिसे लौटा पाना संभव नहीं है.

'लास्ट जेनरेशन' के अलावा जर्मनी में पिछले दिनों कई और पर्यावरण कार्यकर्ता गुट इस तरह के विरोध प्रदर्शनों में शामिल रहे हैं. इसी तरह का एक गुट है 'साइंटिस्ट रेबेलियन', जिसने इसी महीने जर्मन कार कंपनी फॉल्क्सवागेन के शेयरधारकों की बैठक में कंपनी के प्रमुख अधिकारियों पर केक फेंका था. इस तरह के नाटकीय विरोध प्रदर्शन पूरे यूरोप में आम होते जा रहे हैं.

एनआर/वीएस (एएफपी)

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