जर्मनी में धुर-दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी को अपनी सबसे बड़ी चुनावी कामयाबी मिली है. वह थुरिंजिया राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. किसी दल को बहुमत नहीं मिला है. बाकी दल एएफडी के साथ सरकार बनाने से परहेज कर रहे हैं.जर्मनी की धुर-दक्षिणपंथी पार्टी 'ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी' (एएफडी) थुरिंजिया में चुनाव जीत गई है. 32.8 फीसदी वोट पाकर एएफडी यहां विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. पड़ोसी सैक्सनी राज्य में भी एएफडी 30.6 प्रतिशत वोटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है. यह ना केवल एएफडी का अबतक का सबसे मजबूत चुनावी प्रदर्शन है, बल्कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहली बार धुर-दक्षिणपंथी धड़े को इतनी बड़ी चुनावी जीत मिली है.
बाकी किसको कितने वोट
क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक यूनियन (सीडीयू) 23.6 प्रतिशत वोटों के साथ थुरिंजिया में दूसरे स्थान पर है. सैक्सनी में उसके और एएफडी के बीच बहुत कम फासला दिख रहा है. सीडीयू को 31.5 प्रतिशत से 31.8 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं. वहीं, एएफडी को 30.8 से 31.4 प्रतिशत के बीच वोट मिल सकते हैं.
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लेफ्ट पार्टी की पूर्व नेता जारा वागनक्नेष्ट की पार्टी 'जारा वागनक्नेष्ट अलायंस' (बीएसडब्ल्यू) अपने पहले ही चुनावी मुकाबले में थुरिंजिया और सैक्सनी, दोनों ही राज्यों में तीसरे नंबर पर आई है. वागनक्नेष्ट ने पिछले साल अपनी पार्टी छोड़ी और इसी साल उन्होंने नई पार्टी का गठन किया. बीएसडब्ल्यू को थुरिंजिया में 15.8 प्रतिशत वोट और सैक्सनी में 11.8 फीसदी मत मिले हैं.
शॉल्त्स की गठबंधन सरकार को कितनी सीटें?
जर्मनी की गठबंधन सरकार के तीनों दलों के लिए चुनाव खासे निराशाजनक रहे. चांसलर ओलाफ शॉल्त्स की सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी (एसपीडी) को थुरिंजिया में 6 प्रतिशत और सैक्सनी में 7.3 फीसदी वोट मिले. विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक की ग्रीन्स पार्टी और वित्त मंत्री क्रिस्टियान लिंडनर की फ्री डेमोक्रैटिक पार्टी (एफडीपी) को थुरिंजिया विधानसभा में एक भी सीट नहीं मिली.
जर्मनी में पार्टियों को संसद/विधानसभा में सीटें तभी मिलती हैं, जब उन्हें पांच प्रतिशत या इससे ज्यादा वोट मिलें. ग्रीन्स और एफडीपी, दोनों को ही थुरिंजिया में पांच प्रतिशत वोट भी नहीं मिले. सैक्सनी में एसपीडी को 7.3 प्रतिशत वोट और ग्रीन्स को 5 प्रतिशत वोट मिले. पांच प्रतिशत से भी कम वोट पाने की वजह से एफडीपी को यहां भी सीट नहीं मिलेगी.
मरिआना क्नॉएर, ड्रेसडेन यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नॉलजी में प्रोफेसर हैं. थुरिंजिया और सैक्सनी के चुनावी नतीजों की समीक्षा करते हुए उन्होंने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "यह पूरी (केंद्र) सरकार और ओलाफ शॉल्त्स के लिए बड़ा तमाचा है." एसपीडी ने भी इन नतीजों पर निराशा जताई है. एसपीडी के नेता और सांसद लार्स क्लिंगबाइल ने कहा कि पार्टी को बेहतर होना होगा. उन्होंने कहा, "हमें लोगों की रोजर्मरा की चिंताओं पर ध्यान देना होगा."
महज एक दशक पुरानी पार्टी है एएफडी
धुर-दक्षिणपंथी राजनीति से जुड़ी एएफडी का गठन 2013 में हुआ था. जर्मनी के 'फेडरल ऑफिस फार दी प्रोटेक्शन ऑफ दी कॉन्स्टिट्यूशन' (बीएफवी) ने एएफडी को संदिग्ध धुर-दक्षिणपंथी चरमपंथी समूह की श्रेणी में रखा हुआ है. बीएफवी का मुख्य काम वामपंथी और दक्षिणपंथी चरमपंथियों की गतिविधियों की निगरानी और समीक्षा करना है.
जर्मन संसद के निचले सदन 'बुंडेसटाग' में एएफडी के 77 सांसद हैं. यह पार्टी यूरोपीय संघ (ईयू) के यूरोपीय एकजुटता विचार और इमिग्रेशन की विरोधी है. यह जलवायु परिवर्तन से निपटने की हरित नीतियों के भी खिलाफ है. पार्टी रूस समर्थक भी है. ताजा विधानसभा चुनाव में एएफडी ने अपने इलेक्शन कैंपेन में यूक्रेन युद्ध को भी मुद्दा बनाया और जर्मनी की ओर से यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य सहायता खत्म करने की मांग की.
एएफडी का सरकार बनाना मुश्किल
किसी भी पार्टी को स्पष्ट जनादेश नहीं मिला है. ऐसे में गठबंधन सरकार का ही विकल्प बचता है, लेकिन राजनीतिक मतभेदों के कारण यह आसान नहीं होगा. विधानसभा में 88 सीटें हैं. बहुमत के लिए 45 सीटें चाहिए.
एएफडी सबसे बड़ी पार्टी बनकर भी सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है. किसी अन्य दल का एएफडी से गठबंधन करना काफी मुश्किल है. एएफडी की चरमपंथी विचारधारा के कारण बाकी दल चुनाव से पहले ही उसके साथ गठबंधन की संभावनाओं को खारिज कर चुके हैं. सीडीयू के नेता कार्स्टन लिनेनमन ने कहा, "मतदाता जानते हैं कि हम एएफडी के साथ गठबंधन नहीं करते. इस बारे में हम बहुत... बहुत स्पष्ट हैं."
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वहीं, नतीजे आने के बाद एएफडी कह रही है कि दूसरे दलों को एएफडी के प्रति अपना परहेज छोड़कर मतदाताओं की इच्छा का सम्मान करना चाहिए. एएफडी के नेता टीनो क्रूपाला ने कहा कि उनकी पार्टी गठबंधन के लिए सभी दलों के साथ बातचीत के लिए तैयार है. उन्होंने अन्य दलों को चेताया कि उनकी पार्टी के बिना राजनीति नहीं हो पाएगी.
थुरिंजिया में एएफडी के सबसे विवादित नेता ब्यॉर्न होएके ने भी कहा कि उनकी पार्टी राज्य में "जनता की पार्टी" है. होएके ने चुनावी जीत को ऐतिहासिक बताते हुए कहा, "हमें बदलाव की जरूरत है और बदलाव सिर्फ एएफडी के साथ ही आएगा." होएके पर इसी साल दो बार प्रतिबंधित नाजी नारा लगाने के लिए जुर्माना लगाया जा चुका है.
एएफडी और बीएसडब्ल्यू, दोनों में क्या समानताएं
बीएसडब्ल्यू को मिली सीटें संभावित गठबंधन सरकार के लिए अहम होंगी. पार्टी की प्रमुख जारा वागनक्नेष्ट ने स्पष्ट किया है कि उनका दल एएफडी नेता ब्यॉर्न होएके के साथ मिलकर काम नहीं कर सकता है. वागनक्नेष्ट पहले भी एएफडी के साथ गठबंधन की संभावनाओं से इनकार करती आई हैं. हालांकि, कई अहम नीतिगत मुद्दों पर जहां बीएसडब्ल्यू का मुख्यधारा की अन्य स्थापित पार्टियों के साथ गंभीर मतभेद है, वहीं उसके और एएफडी के बीच इन पक्षों में वैचारिक समानता दिखती है.
एएफडी की ही तरह बीएसडब्ल्यू भी रूस समर्थक है. वह यूक्रेन युद्ध के कारण रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों का भी विरोध करती है. साथ ही, वह यूक्रेन को हथियार देने के भी खिलाफ है. जून में यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की के बुंडेसटाग में दिए गए भाषण के दौरान वागनक्नेष्ट और उनके सहयोगी विरोध जताते हुए बाहर चले गए.
पार्टी ने बताया कि वह बातचीत से विवाद सुलझाने और तत्काल संघर्ष विराम लागू करने के समर्थन में ऐसा कर रही है. एएफडी के ज्यादातर नेता वॉकआउट कर गए थे. एएफडी नेताओं द्वारा जारी बयान में जेलेंस्की के विरोध की वजह बताते हुए कहा गया, "यूक्रेन को अभी एक वॉर प्रेसिडेंट की जरूरत नहीं है, उसे एक शांति (समर्थक) राष्ट्रपति चाहिए, जो बातचीत के लिए तैयार हो ताकि मौतें बंद हों और देश को एक भविष्य मिले."
थुरिंजिया में कैसे बनेगी सरकार?
सभी दल एएफडी से परहेज कर रहे हैं. इसके कारण सीडीयू सरकार बनाने की प्रमुख दावेदार है. वोटों के आधार पर उसे विधानसभा में 23 सीटें मिलने का अनुमान है. यहां पार्टी के मुख्य उम्मीदवार मारियो फोक्ट के सरकार का नेतृत्व करने की संभावना है.
सहयोगी तलाशने की कोशिशों पर सीडीयू नेता मारियो फोक्ट ने कहा, "आप ऐसे विषय पर रातोंरात फैसला नहीं करते, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि सीडीयू ने बढ़त बनाई है और अब हमारे पास बातचीत करने की जिम्मेदारी है. हम अभी यही करेंगे."
संभावित सहयोगियों की बात करें, तो थुरिंजिया में लेफ्ट पार्टी को 12 सीटें मिलती दिख रही हैं, लेकिन सीडीयू लेफ्ट के साथ किसी सहयोग की संभावना से इनकार करता रहा है. ऐसी स्थिति में सीडीयू के पास बीएसडब्ल्यू का विकल्प है, जिसे 15 सीटें मिल रही हैं. सीडीयू और बीएसडब्ल्यू हाथ मिलाएं, तो उनके पास 38 सीटें होंगी. यह बहुमत के लिए पर्याप्त नहीं है. अगर एसपीडी अपनी छह सीटों के साथ इस गठबंधन का हिस्सा बने, तब भी 44 सीटें ही होंगी. यह बहुमत से एक सीट कम है.
जर्मनी के विधानसभा चुनाव में विदेश नीति क्यों बना बड़ा मुद्दा
बीएसडब्ल्यू के साथ जाने में एक बड़ी चुनौती जर्मनी की विदेश नीति है. बीएसडब्ल्यू की नेता जारा वागनक्नेष्ट यूक्रेन को सैन्य सहायता देने का विरोध कर रही हैं. वह जर्मनी में अमेरिकी मिसाइलों की तैनाती का भी विरोध कर रही हैं. सरकार बनाने से जुड़ी वार्ता के लिए उन्होंने शर्त रखी है कि पार्टियां इन दोनों मुद्दों पर अपना रुख बदलें. इसपर असहमति जताते हुए मारियो फोक्ट ने कहा, "वैश्विक राजनीति थुरिंजिया में तय नहीं होती हैं."
अब ब्रांडनबुर्ग पर हैं निगाहें
ब्रांडनबुर्ग राज्य में 22 सितंबर को मतदान है. चुनावी सर्वेक्षणों में यहां भी एएफडी सबसे बड़ी पार्टी बनती दिख रही है. ताजा ओपिनियन पोल्स में एएफडी को 24 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है. 20 प्रतिशत वोटों के साथ एसपीडी दूसरे नंबर पर और 19 फीसदी मतों के साथ सीडीयू तीसरे नंबर पर है. बीएसडब्ल्यू 17 प्रतिशत वोटों के साथ चौथे नंबर पर है. पिछले तीन महीने में वह 4.8 प्रतिशत ऊपर आई है. ग्रीन्स को 5 प्रतिशत और एफडीपी को 2 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान है. यानी, एफडीपी के लिए यहां भी सीटों का खाता ना खुलने का संकट है.
एसपीडी साल 1990 से ही ब्रांडनबुर्ग की सत्ता में है. अभी डीटमार वॉइडके के नेतृत्व में यहां एसपीडी, सीडीयू और ग्रीन की गठबंधन सरकार है. एसपीडी के पास 25 सीटें, सीडीयू के पास 15 सीटें और ग्रीन के पास 10 सीटें हैं. 2019 के पिछले चुनाव में भी एएफडी को यहां 23 सीटें मिली थीं.
एसएम/एए (एपी, एएफपी, रॉयटर्स, डीपीए)