Meena Harris, Rihanna, Greta Thunberg, Jim Costa जैसे इंटरनेशनल सेलिब्रिटीज ने भारत में जारी किसान आंदोलन पर कही ये बात
केंद्र द्वारा पारित कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर किसानों द्वारा किया जा रहा प्रदर्शन अब भी जारी है. किसानों का प्रदर्शन बीते 70 दिनों से जारी है, लेकिन अब तक न तो केंद्र सरकार और न ही किसान झुकने के लिए तैयार नजर आ रहे है. इस बीच कई अंतर्राष्ट्रीय हस्तियों ने भारत में चल रहे किसानों के आंदोलन को अपना समर्थन दिया है.
वाशिंगटन: केंद्र द्वारा पारित कृषि कानूनों (Farm Laws) को लेकर दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर किसानों द्वारा किया जा रहा प्रदर्शन अब भी जारी है. किसानों का प्रदर्शन (Farmers Protest) बीते 70 दिनों से जारी है, लेकिन अब तक न तो केंद्र सरकार और न ही किसान झुकने के लिए तैयार नजर आ रहे है. इस बीच कई अंतर्राष्ट्रीय हस्तियों ने भारत में चल रहे किसानों के आंदोलन को अपना समर्थन दिया है. Twitter India: ट्विटर ने किसान आंदोलन से संबंधित भ्रामक ट्वीटों को लेकर कई अकाउंट को कुछ देर तक ब्लॉक करने के बाद बहाल किया
प्राप्त जानकारी के मुताबिक जिम कोस्टा (Jim Costa), मीना हैरिस (Meena Harris), रिहाना (Rihanna), ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg) जैसी अंतरराष्ट्रीय हस्तियों और अन्य लोगों ने भारत में चल रहे किसानों के विरोध और सरकार के हाथों उनके कथित 'उत्पीड़न' के बारे में बात की है. सभी ग्लोबल सेलिब्रिटीज ने किसान आंदोलन के साथ खड़े रहने का दावा किया है.
जिम कोस्टा-
मीना हैरिस-
ह्यूमन राइट्स वॉच-
रिहाना-
ग्रेटा थनबर्ग-
अंतर्राष्ट्रीय पॉप सनसनी रिहाना ने मंगलवार को भारत में चल रहे किसानों के आंदोलन को अपना समर्थन दिया. रिहाना के ट्वीट के तुरंत बाद बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत ने ट्वीट कर उन्हें 'मूर्ख' और 'डमी' कहा. हालांकि रिहाना के ट्वीट के कुछ घंटे बाद पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने भी किसानों का समर्थन करते हुए कहा कि हम भारत में किसानों के प्रदर्शन में एकजुटता से खड़े हैं.
गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा के बाद से सभी प्रदर्शन स्थलों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है. वहीं कई जगहों पर तो इंटरनेट सेवा भी रोक दी गई है. सितंबर 2020 से हजारों किसान तीनों नए कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. दूसरी ओर सरकार ने कानूनों को वापस लेने से इनकार कर दिया है, लेकिन संशोधन और डेढ़ साल तक नहीं लागू करने की पेशकश की है. हालांकि किसान अपनी मांग पर अड़े हुए है.