श्रीलंका में ईस्टर पर हुए धमाकों के पीछे ड्रग माफिया का हाथ: राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना
श्रीलंकाई नेता ने सोमवार को दावा किया कि श्रीलंका में ईस्टर के मौके पर हुए बम धमाकों के पीछे ड्रग माफियाओं का हाथ है, जबकि पूर्व में हमलों के लिये इस्लामी आतंकियों को आरोपी ठहराया गया था. मादक द्रव्यों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी अभियान के बीच यह बयान तब आया है जब राष्ट्रपति सिरिसेना मादक द्रव्य से जुड़े अपराधों के लिये फिर से मृत्युदंड की सजा का प्रावधान करना चाहते हैं.
कोलंबो. श्रीलंकाई नेता ने सोमवार को दावा किया कि श्रीलंका में ईस्टर के मौके पर हुए बम धमाकों के पीछे ड्रग माफियाओं का हाथ है, जबकि पूर्व में हमलों के लिये इस्लामी आतंकियों को आरोपी ठहराया गया था. मादक द्रव्यों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी अभियान के बीच यह बयान तब आया है जब राष्ट्रपति सिरिसेना मादक द्रव्य से जुड़े अपराधों के लिये फिर से मृत्युदंड की सजा का प्रावधान करना चाहते हैं.
अधिकारियों ने कहा था कि अप्रैल में चर्चों और होटलों पर हुए आत्मघाती बम धमाकों के लिये स्थानीय जिहादी संगठन नेशनल तौहीद जमात (एनटीजे) जिम्मेदार है। इन धमाकों में 258 लोगों की जान चली गई थी. बाद में इस्लामिक स्टेट समूह ने हमलों की जिम्मेदारी ली थी. सिरिसेना के कार्यालय ने बम धमाकों के एक दिन बाद कहा कि इन हमलों के लिये स्थानीय आतंकवादी और अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन जिम्मेदार हैं. उनके कार्यालय द्वारा लेकिन सोमवार को जारी किये गए दस्तावेज के मुताबिक, सिरिसेना ने कहा कि हमले “अंतरराष्ट्रीय ड्रग डीलरों की कारस्तानी थे.” यह भी पढ़े-श्रीलंका में ईस्टर हमले के बाद 41 संदिग्ध आतंकियों के बैंक खातों पर रोक’
उन्होंने कहा, “ड्रग तस्करों ने मेरी छवि बिगाड़ने और मादक द्रव्यों के खिलाफ मेरे अभियान को हतोत्साहित करने के लिये इन्हें अंजाम दिया. मैं डिगूंगा नहीं.”सिरिसेना संसद में अपने गठबंधन शासन के मृत्युदंड खत्म करने के प्रयासों के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के एक प्रवक्ता ने राष्ट्रपति के दावों से इत्तेफाक नहीं जताया है.
सुदर्शन गुनावर्धन ने एएफपी को बताया, “पुलिस ने करीब दो हफ्तों में जांच पूरी कर ली थी.”
उन्होंने कहा, “ड्रग डीलरों के शामिल होने का कोई जिक्र नहीं है। हमारे पास अपनी जांच पर संदेह का कोई कारण नहीं.” उन्होंने कहा कि ड्रग तस्करों के लिये मृत्युदंड से कहीं ज्यादा प्रतिरोधक त्वरित न्याय होगा.
गुनावर्धन ने कहा, “हम नहीं मानते कि लोगों को मृत्युदंड देने से समस्या का समाधान होगा, खासतौर पर यह ध्यान में रखते हुए कि एक सजा दिलाने में कई दशकों का वक्त लग जाएगा.” श्रीलंकाई अदालत में हत्या और दुष्कर्म जैसे गंभीर अपराधों में मुकदमा पूरा करने में औसतन 17 साल का वक्त लगता है. उन्होंने कहा कि विक्रमसिंघे मृत्युदंड के खिलाफ है क्योंकि यह उनकी युनाइटेड नेशनल पार्टी की नीतियों के विपरीत है.
पुलिस अधिकारियों ने कहा कि 21 अप्रैल को हुए आत्मघाती हमलों की जांच अभी जारी है ।हिरासत में लिये गए लोगों में से 100 श्रीलंकाई हैं. नाम न जाहिर करने की शर्त पर एक पुलिस अधिकारी ने एएफपी से कहा, “हम इस आधार पर आगे बढ़ रहे हैं कि यह ऐसा अपराध है जो साजिश से लेकर अंजाम तक कट्टरपंथी श्रीलंकाई मुसलमानों के समूह का काम है.”उन्होंने कहा, “हमले में शामिल सभी लोग या तो मर चुके हैं या हिरासत में हैं.”