
वेनिस और बार्सिलोना जैसे ज्यादा भीड़-भाड़ वाले पर्यटन स्थल पर्यटकों पर ज्यादा टैक्स लगा रहे हैं. हालांकि, सवाल यह है कि क्या पर्यटन टैक्स लगाने से इन जगहों पर भीड़ कम होगी और इससे इन जगहों पर क्या असर पड़ेगा?पर्यटकों की भारी भीड़ को रोकने के लिए कई देशों और जगहों पर पर्यटन टैक्स लगाए गए हैं. इसका सीधा असर पर्यटकों की जेब पर पड़ता है. इसके बावजूद, कई पर्यटक घूमने की अपनी इच्छा को पूरी करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं.
39 वर्षीय सुजाने मायर ने हिमालयी देश भूटान की दो बार यात्रा की, इसके बावजूद कि भूटान दुनिया का ऐसा देश है जहां पर्यटकों से सबसे ज्यादा टैक्स लिए जाते हैं. इस टैक्स को ‘सतत विकास शुल्क' यानी सस्टेनेबल डेवलपमेंट फीस कहा जाता है. पर्यटकों से प्रति व्यक्ति प्रति दिन 100 डॉलर का पर्यटन शुल्क लिया जाता है, जो अधिकांश यात्रियों के लिए काफी ज्यादा है. पर्यटकों को यात्रा से जुड़े अन्य खर्च भी वहन करने होते हैं, जैसे कि ड्राइवर और गाइड, जिसके लिए टूर कंपनियां आमतौर पर अलग से पैसे लेती हैं.
जर्मनी के बवेरिया राज्य के मोसबर्ग शहर में स्थित भूटान ट्रैवल नामक ट्रैवल कंपनी के लिए काम करने वाली मायर ने कहा, "वहां के लोग सस्ते पर्यटन नहीं, बल्कि धीमी गति का पर्यटन चाहते हैं यानी कि वहां आने वाले लोग आराम से उस देश की संस्कृति और परंपराओं को समझें और काफी ज्यादा भीड़-भाड़ न हो. जब पर्यटक देखते हैं कि टैक्स लगाने से सकारात्मक असर पड़ रहा है, तो वे इसे खुशी से चुकाते हैं.”
कैसे किया जाता है टैक्स की रकम का इस्तेमाल
भूटान के पर्यटन प्राधिकरण ने कहा है कि यह राजस्व सीधे देश के लगभग 8,00,000 नागरिकों की मदद करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. अधिकारी पर्यटकों से मिलने वाले पैसे को स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और बुनियादी ढांचे पर खर्च करते हैं. साथ ही, पर्यावरण को बचाए रखने वाले उपायों को बेहतर बनाते हैं और स्थानीय कारोबारों की मदद करते हैं.
भूटान ने 2023 में पर्यटन शुल्क से 2.6 करोड़ डॉलर का राजस्व हासिल करने की जानकारी दी. बेशक, इतना ज्यादा पर्यटन टैक्स एक तरह से पर्यटकों को रोकने का काम भी करता है. अधिकारियों ने बताया कि 2023 में भूटान में सिर्फ 1,03,000 पर्यटक आए. इनमें से ज्यादातर पर्यटक भारत से थे, जो एकमात्र ऐसा देश है जिसके नागरिकों को यहां घूमने के लिए हर दिन के हिसाब से कम टैक्स देना पड़ता है.
स्पेन के द्वीप मायोर्का की आबादी भी भूटान के ही बराबर करीब 9,62,000 है. हालांकि, हाल के वर्षों में यहां पर्यटकों की संख्या इतनी ज्यादा बढ़ गई कि स्थानीय निवासी परेशान हो गए और उन्होंने कई बार विरोध-प्रदर्शन किया.
2024 में यहां करीब 1.3 करोड़ लोग द्वीप पर छुट्टियां मनाने आए. इसका नतीजा यह हुआ कि कई निवासी सामूहिक पर्यटन पर सीमाएं लगाने की पैरवी कर रहे हैं.
द्वीप ने 2016 में यहां रहने पर टैक्स (आवास टैक्स) लगाने की शुरुआत की. होटल की कैटगरी के आधार पर, छुट्टी मनाने आने वाले पर्यटकों को प्रतिदिन 4 यूरो तक भुगतान करना होता है. स्पेन के तटवर्ती बेलिएरिक द्वीप समूह की सरकार की योजनाओं के मुताबिक, टैक्स को बढ़ाकर 6 यूरो तक किया जा सकता है. जबकि, सर्दियों के दौरान इसे समाप्त भी किया जा सकता है.
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इस धन का इस्तेमाल मायोर्का को बेहतर बनाने के लिए चलाई जा रही योजनाओं में किया जाता है. हालांकि, इस टैक्स से पर्यटकों के आने पर कोई खास असर नहीं पड़ा है. यह द्वीप हर साल पर्यटन के नए रिकॉर्ड बनाता है.
पर्यटकों को रोकने में ज्यादा असरदार नहीं है टैक्स
मायोर्का की राजधानी पाल्मा में बेलिएरिक यूनिवर्सिटी में एप्लाइड इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर जाउमे रोसेलो ने कहा, "पर्यटकों पर इस तरह के टैक्स का प्रभाव बहुत कम पड़ता है.”
उदाहरण के लिए, बार्सिलोना में होटल की कैटगरी के आधार पर यात्री फिलहाल हर दिन 7.50 यूरो तक का भुगतान करते हैं. वहीं, बर्लिन में रात भर ठहरने की लागत पर 7.5 फीसदी का टैक्स लगाया जाता है. जबकि, पेरिस में आने वाले पर्यटकों को सबसे महंगी कैटगरी के होटलों के लिए प्रति रात लगभग 16 यूरो का भुगतान करना पड़ सकता है.
रोसेलो का कहना है कि इतने टैक्स के बावजूद यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि कितना टैक्स लगाए जाने के बाद, पर्यटक अपने गंतव्य को बदलने के बारे में सोचना शुरू कर सकते हैं.
जर्मनी के वेर्निगेरोडे में इंस्टीट्यूट फॉर सस्टेनेबल टूरिज्म के प्रोफेसर हाराल्ड जाइस ने कहा कि कई पर्यटन स्थल टैक्स से मिली रकम का इस्तेमाल पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों के असर को कम करने, दीर्घकालिक परियोजनाओं को वित्तपोषित करने और पर्यटन के लिए बुनियादी ढांचे को बनाए रखने के लिए करते हैं.
उन्होंने कहा, "जब ऐसे टैक्स लागू करने की योजना तैयार की जाती है और उन्हें लागू किया जाता है, तब उसके पीछे की वजह इसी तरह की बतायी जाती है.”
पैसे का इस्तेमाल काफी अलग-अलग तरह से किया जाता है. यह यातायात व्यवस्था को विकसित करने से लेकर शहर के बजट को बढ़ाने तक कुछ भी हो सकता है. जाइस ने कहा, "इसीलिए, धन के इस्तेमाल को पारदर्शी बनाना महत्वपूर्ण है. हालांकि, अगर खजाना खाली है, तो अक्सर स्पष्ट तौर पर नहीं बताया जाता कि पैसे का इस्तेमाल किस काम में किया जाएगा.”
पर्यटनों की आलोचना से कतराते हैं कई लोग
कई जगहों पर, पर्यटन टैक्स से मिलने वाला पैसा शहर को टैक्स से होने वाली आय का एक बड़ा हिस्सा होता है. नगर पालिका के अनुसार, बार्सिलोना में पर्यटन टैक्स से लगभग 10 करोड़ यूरो मिलते हैं, जिससे यह नगरपालिका की आय का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत बन जाता है.
फिर भी, बार्सिलोना में अक्सर पर्यटन विरोधी प्रदर्शन होते रहते हैं, क्योंकि एयरबीएनबी जैसी कंपनियों के कारण छोटे समय के लिए किराये पर दिए जाने वाले घरों की वजह से स्थानीय लोगों को किराये की बढ़ती कीमतों का सामना करना पड़ रहा है. इसलिए, बार्सिलोना के अधिकारियों ने कहा है कि वे अब जानबूझकर उन परियोजनाओं के लिए पैसा दे रहे हैं जो आम जनता के लिए फायदेमंद हैं, न कि सिर्फ पर्यटन क्षेत्र के लिए.
पर्यटक आवासों में रात भर ठहरने पर लगने वाले टैक्स से इकट्ठा किए गए लगभग 10 करोड़ यूरो इस समय बार्सिलोना के ‘स्कूल क्लाइमेट प्लान' के लिए दिए जा रहे हैं, जिसके तहत शहर के स्कूलों में जलवायु नियंत्रण प्रणालियां स्थापित की जा रही हैं.
बर्लिन में रात भर ठहरने वाले आवास टैक्स से मिलने वाला राजस्व, जिसे सिटी टैक्स भी कहते हैं, अभी तक किसी खास काम के लिए निर्धारित नहीं किया गया है. 2024 में यह रकम करीब 9 करोड़ यूरो थी, जिसे फिलहाल शहर के आम बजट में शामिल किया जाता है.
एम्सटर्डम में भी यही स्थिति है, जहां 1973 से पर्यटक टैक्स लागू है. वर्तमान में यह टैक्स रात भर ठहरने की लागत का 12.5 फीसदी है. सिटी काउंसिल के प्रवक्ता के अनुसार, 2025 में इससे 26 करोड़ यूरो का राजस्व मिलने की उम्मीद है.
शहर के अधिकारी यह मानते हैं कि यह टैक्स आमदनी का एक महत्वपूर्ण स्रोत और पर्यटन वृद्धि को नियंत्रित करने का अहम साधन है. फिर भी, इस तरह के टैक्स पर्यटकों को रोकने में काफी कम कारगर हो सकते हैं.
2024 से वेनिस में दिखे कैसे बदलाव
काफी चर्चा के बाद, वेनिस ने 2024 में पर्यटन टैक्स लागू किया. पानी के ऊपर बसे इस शहर में दिन में घूमने आने वाले लोगों को पीक सीजन के 29 दिनों के दौरान 5 यूरो का प्रवेश शुल्क देना पड़ता था.
विपक्षी नेताओं ने शुल्क की आलोचना करते हुए कहा कि यह पर्यटकों को भीड़भाड़ वाले शहर में आने से रोकने के लिए बहुत कम है. नतीजतन, वेनिस ने शुल्क लिए जाने वाले दिनों की संख्या 29 से बढ़ाकर 54 कर दी. जो कोई पर्यटक अपनी यात्रा से चार दिन पहले शुल्क का भुगतान नहीं करता है, उसे अब 10 यूरो का भुगतान करना होता है.
हालांकि, यह देखना अभी बाकी है कि लोग अतिरिक्त शुल्क देकर वहां घूमने जाना चाहेंगे या किसी और जगह की ओर रुख करेंगे. बेलिएरिक यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता रोसेलो को इस पर संदेह है.
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उन्होंने मायोर्का का उदाहरण देते हुए कहा, "अधिकांश लोगों के लिए छुट्टी पर जाना विलासिता नहीं, बल्कि एक बुनियादी जरूरत है. मैलोर्का घूमने जाने वाले लोग बिना किसी शिकायत के वहां रहने के लिए टैक्स देते हैं. इस तरह के टैक्स को आम तौर पर अच्छी तरह से स्वीकार कर लिया जाता है. खासकर, जब टैक्स से होने वाली आमदनी का इस्तेमाल उस शहर को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है.”
फिर भी कई पर्यटकों की अपनी सीमाएं हैं, जैसा कि भूटान के उदाहरण से पता चलता है. जब कई दशकों तक 65 डॉलर के बाद पर्यटक टैक्स को बढ़ाकर 200 डॉलर कर दिया गया था, तो काफी कम पर्यटक भूटान पहुंचे. बाद में इसे कम करके 100 डॉलर प्रतिदिन कर दिया गया, ताकि पर्यटक यहां ज्यादा दिन तक ठहरें. सुजाने मायर ने एक स्पष्ट अंतर देखा, "हमने बुकिंग की संख्या में अंतर देखा है. कोई भी इतनी बड़ी रकम नहीं देना चाहता.”