चीनी कंपनियों की यूरोपीय जांच की जांच करेगा चीन

यूरोपीय संघ ने इस साल के शुरू में चीन की कंपनियों के खिलाफ जांच शुरू करने का एलान किया था.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

यूरोपीय संघ ने इस साल के शुरू में चीन की कंपनियों के खिलाफ जांच शुरू करने का एलान किया था. अब चीन ने कहा है कि वह पता लगाएगा कि इस जांच के आदेश में क्या चीनी कंपनियों के साथ कोई भेदभाव और नियमों के खिलाफ कार्रवाई हुई.चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि वह एक जांच शुरू कर रही है, जो यह पता लगाएगी कि क्या यूरोपीय संघ ने चीनी कंपनियों की जांच के लिए अनुचित कारोबारी तौर तरीकों या नियमों का इस्तेमाल किया है. इस घोषणा में कहा गया है कि यह जांच मुख्य रूप से पवन ऊर्जा, फोटो वोल्टाइक, सुरक्षा उपकरणों और इसी तरह की कुछ दूसरी चीजों पर केंद्रित रहेगी.

मंत्रालय ने अगले साल 10 जनवरी तक इस जांच को पूरा करने के लिए समय दिया है. जरूरत पड़ने पर इसे तीन महीने के लिए और बढ़ाया जा सकता है. मंत्रालय का कहना है कि वह यूरोपीय संघ की "प्राथमिक समीक्षाओं, गहरी जांच और चीनी कंपनियों के औचक निरीक्षणों की जांच करेगा." इस जांच का आग्रह चीन के चैंबर ऑफ कॉमर्स फॉर इंपोर्ट एंड एक्सपोर्ट ऑफ मशीनरी एंड इलेक्ट्रॉनिक प्रॉडक्ट्स ने किया था.

ईवी पर तनाव के बीच चीन की यात्रा पर जर्मन उप चांसलर

चीन की जवाबी कार्रवाई

जांच की इस घोषणा को यूरोपीय संघ की जांच पर चीन की तरफ से जवाबी कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है. यूरोपीय संघ की जांच इस बात पर है कि क्या चीन की तरफ से मिल रही सब्सिडी पवन चक्की बनाने वाली कंपनियों को सदस्य देशों में चल रहे प्रोजेक्टों में अनुचित लाभ दे रही है. ये प्रोजेक्ट यूरोपीय संघ के पांच सदस्य देशों के लिए हैं. इन देशों में स्पेन, ग्रीस, फ्रांस, रोमानिया और बुल्गारिया शामिल हैं. यूरोपीय संघ ने सोलर पैनल बनाने वाली चीन की दो कंपनियों के खिलाफ भी जांच की घोषणा की है. इन कंपनियों ने रोमानिया में 455 मेगावाट के सोलर पार्क के ठेके में बोली लगाई है.

चीन ने पवन चक्की बनाने वाली कंपनियों की यूरोपीय संघ में जांच पर प्रतिक्रिया में संरक्षणवाद और सब्सिडी की परिभाषा में "लापरवाही से तोड़ मरोड़" का आरोप लगाया है. इस साल जून में यूरोपीय संघ ने चीन की इलेक्ट्रिक कारों पर शुल्क भी बढ़ा दिया है. इसकी वजह से चीन और यूरोप के बीच कारोबारी तनाव बढ़ने की आशंका जताई जा रही है.

यूरोपीय संघ की चिंता चीन की सब्सिडी को लेकर है जिसकी वजह से यूरोपीय कार कंपनियों को नुकसान हो रहा है. यूरोपीय संघ की कार्यकारी संस्था यूरोपीय आयोग ने कहा है कि वह अस्थायी शुल्क लगाएगा जो चीनी कार कंपनियों के मौजूदा 10 फीसदी शुल्क को 38 फीसदी तक कर सकता है.

अलग नियमों के तहत यूरोपीय संघ ने पिछले साल सितंबर में चीन की इलेक्ट्रिक कारों के लिए सब्सिडी की भी जांच की थी. इस जांच के नतीजे में कहा गया कि चीन की सरकार अपने इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री को सब्सिडी देती है, जिससे यूरोपीय प्रतिद्वंद्वी कंपनियों को अनुचित नुकसान होता है. चीन ने जांच के नतीजों को खारिज कर दिया और कहा कि उसकी औद्योगिक नीतियां अनुचित नहीं हैं. वह अपनी कंपनियों के वैधानिक अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए जवाबी कार्रवाई करने की चेतावनी देता रहा है. आशंका जताई जा रही है कि चीन यूरोपीय कंपनियों से बदला लेने के लिए उन पर शुल्क बढ़ाने का एलान कर सकता है.

चीन को लेकर यूरोपीय संघ की आशंकाएं

यूरोपीय संघ ने इससे पहले भी इसी तरह की जांच चीन में बनने वाली ट्रेन, सोलर पैनल और इलेक्ट्रिक कारों के लिए भी की थी. यूरोपीय संघ 2050 तक नेट जीरो का लक्ष्य हासिल करने के लिए अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ा रहा है. इसके लिए इस तरह की जांच को उचित ठहराया जा रहा है. हालांकि इसके साथ ही चीन की तकनीक पर यूरोपीय संघ अपनी अत्यधिक निर्भरता को भी घटाना चाहता है. कई पश्चिमी देशों की सरकारें चीन को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मान कर आशंकित रहती हैं.

यूरोपीय संघ ने पहली जांच फॉरेन सब्सिडी रेग्युलेशन के तहत फरवरी में शरू की थी. इसके तहत चीन की रेल कंपनी सीआरआरसी की एक सब्सिडियरी कंपनी की जांच की गई. हालांकि बुल्गारिया के रेल प्रोजेक्ट से जब इस कंपनी ने इलेक्ट्रिक ट्रेन सप्लाई करने के लिए अपनी बोली वापस ले ली, तो फिर यह जांच बंद कर दी गई. इसी तरह एक और जांच में चीन की सोलर पैनल बनाने वाली कंपनी को निशाना बनाया गया. यह कंपनी रोमानिया में फोटो वोल्टाइक पार्क बनाने और ऑपरेट करने का ठेका लेना चाहती थी. इस पार्क के लिए कुछ पैसा यूरोपीय संघ की तरफ से भी आएगा.

चीन के लिए यूरोपीय संघ के राजदूत खॉर्गे टोलेडो ने कहा कि इलेक्ट्रिक कारों पर शुल्क के मामले पर बातचीत में चीन को साथ लाने की कोशिशों में "लगभग कोई प्रगति नहीं हुई है." टोलेडो ने बीजिंग में वर्ल्ड पीस फोरम में कहा, "हमने चीन सरकार को बातचीत का प्रस्ताव दिया था...हमने चार महीने पहले पत्र भेजा." टोलेडो का कहना है कि यूरोपीय संघ को इस पत्र का एक हफ्ते पहले तक कोई जवाब नहीं मिला था.

उधर चीन के वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने टोलेडो के इस दावे को खारिज किया है. चीन के सरकारी टीवी चैनल सीसीटीवी के मुताबिक प्रवक्ता का कहना है, "चीन ने हमेशा यूरोपीय पक्ष से आग्रह किया है कि वह कारोबारी संघर्षो को उचित तरीके से बातचीत और विमर्श के जरिए सुलझाए."

एनआर/एमजे (एपी, एएफपी)

Share Now

\