इमरान खान के दौरे से पहले बोला चीन- पाकिस्तान के कंगाली का जिम्मेदार नहीं है हमारा प्रोजेक्ट
सऊदी अरब द्वारा बेलआउट पैकेज की घोषणा के एक दिन बाद चीन ने कहा है कि पाकिस्तान की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था का जिम्मेदार चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) नहीं है. बता दें कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान 2 नवंबर को पहले आधिकारिक चीन दौरे पर रवाना होंगे. इमरान यहां पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे.
बीजिंग: सऊदी अरब द्वारा बेलआउट पैकेज की घोषणा के एक दिन बाद चीन ने कहा है कि पाकिस्तान की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था का जिम्मेदार चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) नहीं है. बता दें कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान 2 नवंबर को पहले आधिकारिक चीन दौरे पर रवाना होंगे. इमरान यहां पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे.
पाकिस्तान डेली 'डान' के मुताबिक, चीन का कहना है कि इस्लामाबाद में चल रहे आर्थिक संकट के लिए सभी महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी परियोजना को दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए. दरअसल चीन पाकिस्तान में हो रहे उसकी महत्वकांशी सीपीईसी परियोजना के विरोध से चिंतित है.
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सीपीईसी प्रोजेक्ट चीन के सीक्यांग प्रांत को पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ेगा. चीन अपनी महात्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट ऐंड रोड के तहत बनाए जा रहे सीपीईसी की आड़ में पाकिस्तान में अपने पांव जमा रहा है. चीन पाकिस्तान में पाइपलाइन, रेलवे समेत कई तरह के नेटवर्क में निवेश कर रहा है. चीन ने इस तरह के अपने 39 महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट बनाए हैं जिनमें से करीब 19 प्रोजेक्ट अब तक वह पेश कर चुका है. इसके लिए 2015 से अब तक चीन करीब 18.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का खर्चा कर चुका है.
रायटर की खबर के मुताबिक आर्थिक संकट से घिरा पाकिस्तान चीन के सिल्क रोड प्रोजेक्ट पर फिर से विचार कर रहा है. क्योकि पाकिस्तान को चीन के कर्ज जाल में फंसने का डर है. बता दें कि सिल्क रोड प्रोजेक्ट कराची और पेशावर के बीच रेल लाइन प्रोजेक्ट को कहा जाता है, जो चीन के बेल्ट ऐंड रोड इनिशटिव (बीआरआई) के तहत पाकिस्तान में बन रहा है. ब्रिटिश काल में 1872 किमी लंबी यह रेल लाइन बिछाई गई थी. अब उसके विस्तार और पुनर्निमाण में चीन ने दिलचस्पी दिखाते हुए 8.2 बिलियन डॉलर निवेश का फैसला किया था.
एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान सरकार ने चीन और इसके बैंकों से अबतक करीब 5 अरब डॉलर का कर्ज लें चुकी है. उसपर चढ़े कर्ज के लिए प्रतिदिन छह अरब रुपए का ब्याज भरना पड़ रहा है. इस वजह से पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार भी खाली होने के कगार पर पहुंच गया है.