एस्ट्राजेनेका ने कहा है कि वह अपनी कोविड-19 वैक्सीन दुनियाभर के बाजारों से वापस ले रही है. बीते दिनों कंपनी ने माना था कि उसकी वैक्सीन के गंभीर मामलों में साइड इफेक्ट हो सकते हैं.कोविड-19 वैक्सीन के साइड इफेक्ट को लेकर उठ रहे सवालों के बीच एंग्लो-स्वीडिश दवा निर्माता कंपनी एस्ट्राजेनेकाने मंगलवार को कहा है कि उसने दुनियाभर से अपनी वैक्सीन को वापस लेने की पहल की है. कंपनी ने वैक्सीन वापस लेने की वजह भी बताई है. कंपनी ने कहा वैक्सीन को वापस लेने का फैसला उपलब्ध अपडेटेड टीकों की अधिकता है.
ईयू से वापस होगी वैक्सजेवरिया
कंपनी ने यह भी कहा कि वह यूरोप में वैक्सीन वैक्सजेवरिया को भी वापस लेने के क्रम में आगे बढ़ेगी. एस्ट्राजेनेका ने अपनी मर्जी से यूरोपीय संघ में अपना "मार्केटिंग ऑथराइजेशन" वापस लिया है.
कंपनी ने एक बयान में कहा, "चूंकि कई तरह के कोविड-19 टीके विकसित किए गए हैं, ऐसे में अपडेटेड टीके अधिक मात्रा में मौजूद है." कंपनी ने कहा इससे वैक्सजेवेरिया की मांग में गिरावट आई है, जिसका अब उत्पादन या सप्लाई नहीं की जा रही है.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक कंपनी ने वैक्सीन वापस लेने के लिए 5 मार्च को आवेदन किया था और यह 7 मई से प्रभावी हुआ.
कंपनी पर आरोप
बीते दिनों ब्रिटेन की एक अदालत में एस्ट्राजेनेका ने माना था कि उसकी कोविड-19 वैक्सीन से "अति दुर्लभ मामलों में" थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) की शिकायत हो सकती है. टीटीएस के चलते शरीर में खून में थक्के बनने लगते हैं और प्लेटलेट्स की संख्या भी गिर जाती है.
ब्रिटेन के एक नागरिक ने कंपनी के खिलाफ मुकदमा किया था और इसी मामले में कंपनी ने साइड इफेक्ट की बात मानी थी.
ब्रिटेन से पहले अप्रैल 2024 में जर्मनी में भी एक महिला ने एस्ट्राजेनेका के खिलाफ शुरुआती कानूनी लड़ाई जीती. 33 साल की महिला ने एस्ट्राजेनेका की वैक्सजेवरिया वैक्सीन के संभावित साइड इफेक्ट्स के खिलाफ याचिका दायर की थी.
दक्षिणी जर्मनी के बामबेर्ग हायर रिजनल कोर्ट के प्रवक्ता ने फैसले के बाद कहा था कि कंपनी को वैक्सीन के अब तक पता चले सभी साइड इफेक्ट्स और इससे जुड़ी ऐसी अहम जानकारियां सार्वजनिक करनी चाहिए "जो टीटीएस वाले थ्रोम्बोसिस से जुड़ी हों.
भारत में कोविशील्ड
दिग्गज फॉर्मास्यूटिकल कंपनी की कोविड-19 वैक्सीन, महामारी के दौरान दुनिया भर में अरबों लोगों को लगाई गई. इसे ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर तैयार किया गया था.
कुछ देशों में इस वैक्सीन को कोविशील्ड और वैक्सजेवरिया नाम भी दिया गया. भारत में इसे सीरम इंस्टीट्यूट ने बनाया था. भारतीय अखबार बिजनेस स्टैंडर्ड के मुताबिक भारत में 29 अप्रैल 2024 तक 1.7494 अरब वैक्सीन लगाई गईं. अखबार ने यह जानकारी भारत सरकार के कोविन पोर्टल के हवाले से दी है.
आमिर अंसारी (रॉयटर्स)