इस्लामाबाद: पाकिस्तान सरकार खुद को लेकर हमेशा बड़े- बड़े दावा करता है. लेकिन बाद में उसकी पोल खुल जाती है. पाकिस्तान के बच्चों के स्कूल जाने को लेकर एक चौकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है. इस रिपोर्ट में पाकिस्तान की शिक्षा व्यवस्था के पोल खोलते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा गया है कि पाकिस्तान में करीब सवा दो करोड़ ऐसे बच्चे हैं. जो स्कूल जाना चाहतें है लेकिन वे स्कूल नहीं जा रहें है . इन बच्चों में ज्यादातर लड़कियां हैं. यह रिपोर्ट एक अंतरराष्ट्रीय अधिकार समूह ह्यूमन राइट वॉच ने तैयार की है. रिपोर्ट का नाम है, 'मैं अपनी बेटी को भोजन दूं या उसे पढ़ाऊं: पाकिस्तान में बालिकाओं की शिक्षा में अड़चनें'
ह्यूमन राइट वॉच द्वारा जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि प्राइमरी स्कूल जाने की उम्र वाली करीब 32 फीसदी लड़कियां स्कूल नहीं जा पा रही हैं. इसमें लड़कों की संख्या 21 फीसदी है. जो स्कूल नहीं जा पा रहें है. इस संस्था ने जब कई लड़कियों के परिवार से बात की गई तो पाकिस्तान के बारे में ऐसा खुलासा सामने आया. यह भी पढ़े: कंगाल पाकिस्तान ने पैसे जुटाने के लिए ढूंढी नई तरकीब, प्रधानमंत्री आवास की बेच डाली 8 भैंसे
इस रिपोर्ट के लिए संस्था का कहना है कि उसने 209 लोगों से बात की जिसमें अधिकतर लड़कियां थीं. लड़कियों के अलावा उनके माता-पिता, शिक्षक, विशेषज्ञ और कार्यकर्ताओं से भी बात की गई. इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 'जुलाई 2018 में चुन कर आई नई सरकार ने अपने चुनाव घोषणापत्र में इन बच्चों को स्कूल भेजने की बात कहीं थीं. लेकिन सरकार चुने जाने के बाद वह अपने
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बता दें कि पाकिस्तान के सवा दो करोड़ बच्चों को स्कूल नहीं जा जाने के पीछे रिपोर्ट में कई कारण बताए गए है. जिसमे कहा गया कि पाकिस्तान में अच्छी गुणवत्ता के स्कूलों की कमी है, भ्रष्टाचार अधिक है, राजनीति अस्थिरता है, धार्मिक तनाव अधिक है, साथ ही मीडिया और नागरिक समाज का दमन भी यहां होता है. इन प्रमुख कारणों के चलते अभिभावक अपने बच्चों को पढ़ने के लिए नहीं भेजतें है