नॉर्वे में 90 प्रतिशत गाड़ियां हुई इलेक्ट्रिक, भारत का क्या है हाल?

2012 में नॉर्वे में हर साल जितनी गाड़ियां बिक रही थीं उनमें इलेक्ट्रिक गाड़ियों की हिस्सेदारी सिर्फ 2.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

2012 में नॉर्वे में हर साल जितनी गाड़ियां बिक रही थीं उनमें इलेक्ट्रिक गाड़ियों की हिस्सेदारी सिर्फ 2.8 प्रतिशत थी. लेकिन वही नॉर्वे अब पूरी तरह से इलेक्ट्रिक गाड़ियों वाला देश बनने के लक्ष्य के बेहद करीब पहुंच गया है.गुरुवार दो जनवरी को जारी की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक 2024 में नॉर्वे में जितनी नई गाड़ियां बिकीं उनमें से 89 प्रतिशत इलेक्ट्रिक गाड़ियां थीं. इसी के साथ देश 2025 तक पूरी तरह इलेक्ट्रिक गाड़ियों वाला देश बन जाने के अपने लक्ष्य के करीब पहुंच गया है.

नार्वेजियन रोड फेडरेशन (ओएफवी) ने एक बयान में कहा, "हमें 2025 का लक्ष्य हासिल करने के लिए सिर्फ 10 प्रतिशत और चाहिए." 2024 में कुल 1,28,691 नई गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन हुआ, जिनमें 1,14,400 इलेक्ट्रिक थीं.

12 सालों में आया इतना बड़ा बदलाव

समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक दुनिया में किसी भी दूसरे बड़े देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की ऐसी हिस्सेदारी नहीं है. 2023 में यह आंकड़ा 82 प्रतिशत था. नॉर्वे तेल और गैस का एक बड़ा उत्पादक देश है लेकिन उसका लक्ष्य है कि 2025 तक जो भी नई गाड़ियां बिकें वो "जीरो उत्सर्जन" हों.

यह यूरोपीय संघ के इसी तरह के लक्ष्य से 10 साल पहले का लक्ष्य है. नॉर्वे ईयू का सदस्य नहीं है. देश ने इस क्षेत्र में यह बदलाव केवल 12 सालों में हासिल किया है. 2012 में देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की हिस्सेदारी सिर्फ 2.8 प्रतिशत थी, लेकिन उसके बाद कई तरह के प्रोत्साहनों की वजह से तस्वीर बदलने लगी.

इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर यूरोप और चीन का झगड़ा

इलेक्ट्रिक गाड़ियों को कई तरह के टैक्स से छूट देकर जीवाश्म ईंधनों पर चलने वाली भारी टैक्स आकर्षित करने वाली गाड़ियों के आगे टिकने लायक बना दिया गया. उन्हें टोल से छूट, सार्वजनिक पार्किंग स्थानों में फ्री पार्किंग और सड़कों पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट की ट्रैफिक लेनों के इस्तेमाल की इजाजत का भी फायदा मिला है.

बीते कुछ सालों में इनमें से कुछ प्रोत्साहनों को वापस ले लिया गया है लेकिन इलेक्ट्रिक गाड़ियां अब देश में आम हो गई हैं. ओएफवी के निदेशक ओय्विन्ड सोलबर्ग थोर्सन ने एक प्रेस रिलीज के जरिए कहा, "अगर सरकार और संसद अपने ही तय किए गए लक्ष्य को हासिल करना चाहते हैं तो यह बेहद जरूरी है कि इलेक्ट्रिक गाड़ियों की खरीद के लिए दिए जाने प्रोत्साहनों को बरकरार रखा जाए."

नॉर्वे में इलेक्ट्रिक गाड़ियां बेचने वाली कंपनियों में सबसे आगे टेस्ला है, जिसके पास बाजार में 19 प्रतिशत हिस्सेदारी है. इसके बाद फोक्सवागन, टोयोटा, वॉल्वो और बीएमडल्ब्यू का नंबर है.

फिलहाल कैसी है भारत की तस्वीर

थोर्सन ने यह भी कहा, "2025 में यह देखना दिलचस्प होगा कि नए चीनी ब्रांड और मॉडल खरीदारों के बीच अपनी स्थिति मजबूत कर पाएंगे या नहीं."

भारत में भी इलेक्ट्रिक गाड़ियों को लेकर उत्साह तो काफी है लेकिन अभी इनका बाजार बहुत छोटा है. इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन (आईबीईएफ) के मुताबिक 2024 में भारत में बिकने वाली कुल गाड़ियों में से सिर्फ दो प्रतिशत गाड़ियां इलेक्ट्रिक थीं. देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुती ने तो अभी तक एक भी इलेक्ट्रिक गाड़ी को बाजार में नहीं उतारा है.

उम्मीद की जा रही है कि जनवरी, 2025 में कंपनी अपनी पहली इलेक्ट्रिक गाड़ी सबसे पहले ऑटो एक्सपो में पेश करेगी और उसके बाद के महीनों में इसे बाजार में लेकर आएगी. इस समय टाटा, महिंद्रा, हुंडई, एमजी आदि जैसी कंपनियों की इलेक्ट्रिक गाड़ियां बाजार में हैं.

गाड़ियों के चार्जिंग स्टेशन का बाजार भी इसी तरह धीरे धीरे आगे बढ़ रहा है. उसमें भी दिल्ली एनसीआर में तेजी से नए नए चार्जिंग स्टेशन बन रहे हैं, जबकि दूसरी राज्यों में इतना उत्साह नहीं देखा गया है.

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के नाम पर सबसे ज्यादा थ्री व्हीलर और टू व्हीलर बिक रहे हैं. आईबीईएफ के मुताबिक, 2024 में बिकने वाले थ्री व्हीलरों में 50 प्रतिशत और टू व्हीलरों में करीब पांच प्रतिशत हिस्सेदारी इलेक्ट्रिक की थी.

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