Chandrayan-2: जानें इस समय कहां पहुंचा हैं चंद्रयान-2, देखें 'बाहुबली' के चांद तक पहुचने का पूरा सफर
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को दोपहर 2:43 बजे भारत का दूसरा ‘मून मिशन’ चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) सफलतापूर्वक लॉन्च कर एक नया इतिहास रच दिया.
नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को दोपहर 2:43 बजे भारत का दूसरा ‘मून मिशन’ चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) सफलतापूर्वक लॉन्च कर एक नया इतिहास रच दिया. शक्तिशाली रॉकेट जीएसएलवी-मार्क III-एम1 के जरिए चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण के साथ ही भारत ने एक और कीर्तिमान अपने नाम कर लिया.
आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से लॉन्च चंद्रयान-2 प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की अगली छलांग मानी जा रही है. कई जटिल प्रक्रियाओं के बाद 48वें दिन बाहुबली यानि कि चंद्रयान-2 चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रूव पर बड़े ही आराम से उतरेगा. जहां वह इसके अनछुए पहलुओं को जानने का प्रयास करेगा. बाहुबली के साथ एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर भी साथ गया है.
आपको बात दें कि इस अभियान पर 978 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. 850 किलोग्राम के चंद्रयान-2 ने उड़ान भरने के 16 मिनट 14 सैकेंड बाद ही पृथ्वी की कक्षा में स्थापित हो गया. बाहुबली आने वाले दिनों में ऑनबोर्ड प्रणोदन प्रणाली का उपयोग करते हुए सिलसिलेवार ढंग से ऑर्बिट मॅनूवॅर्स किये जाएंगे. इससे अंतरिक्ष यान की कक्षा चरणों में ऊंची उठेगी और उसे एक लूनर ट्रांसफर ट्राजैक्ट्री में पहुंचाएगी. इस कदम से अंतरिक्ष यान चंद्रमा के निकट यात्रा कर सकेगा.
ऐसे रहेगा सफर-
- चंद्रयान-2 प्रक्षेपण के 23 दिन तक पृथ्वी की एक अंडाकार कक्षा में मौजूद रहेगा.
- इसके बाद यह चांद की ओर रवाना हो जाएगा.
- बाहुबली इसके बाद फिर 30वें दिन तक चांद के सफर पर निकाल जाएगा.
- फिर 30वें दिन के बाद चांद की कक्षा में प्रवेश करेगा.
- बाहुबली 42वें दिन तक चांद के इर्द-गिर्द घूमता रहेगा और अंत में 48वें दिन नियंत्रित गति से चांद पर लैंड करेगा.
पृथ्वी कक्षा छोड़ने और चांद के प्रभाव वाले क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद चंद्रयान-2 की प्रणोदन प्रणाली प्रज्ज्वलित होगी ताकि यान की गति को कम किया जा सके. इससे यह चांद की प्राथमिक कक्षा में प्रवेश करने में सक्षम होगा. इसके बाद कई तकनीकी कार्य होंगे और चांद की सतह से 100 किलोमीटर ऊपर चंद्रयान-2 की वृत्ताकार कक्षा स्थापित हो जाएगी.
इसके बाद लैंडर, ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा और 100 किमी x 30 किमी की कक्षा में प्रवेश कर जाएगा. कई जटिल तकनीकी प्रक्रियाओं के बाद लैंडर 07 सितंबर 2019 को चांद के दक्षिण ध्रुव की सतह पर क्षेत्र में सॉफ्ट-लैंड करेगा. इसके बाद रोवर, लैंडर से अलग होगा और चांद की सतह पर एक चंद्र दिवस (पृथ्वी के 14 दिन) तक परीक्षण करेगा. लैंडर का मिशन जीवन भी एक चंद्र दिवस के बराबर है. ऑर्बिटर एक साल की अवधि के लिए अपना मिशन जारी रखेगा.
गौरतलब हो कि चंद्रयान-2 मिशन का उद्देश्य महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी को विकसित करना और इसका प्रदर्शन करना है। इसमें चांद मिशन क्षमता, चांद पर सॉफ्ट-लैंडिंग और चांद की सतह पर चलना शामिल हैं. विज्ञान के संबंध में यह मिशन चांद के बारे में हमारे ज्ञान को बढ़ाएगा. चांद की भौगोलिक स्थिति, खनिज, सतह की रासायनिक संरचना, ताप-भौगोलिक गुण तथा परिमण्डल के अध्ययन से चांद की उत्पत्ति और विकास की समझ बेहतर होगी. 11 साल पहले इसरो ने अपने पहले सफल चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-1’ का प्रक्षेपण किया था जिसने चंद्रमा के 3,400 से अधिक चक्कर लगाए और यह 29 अगस्त, 2009 तक 312 दिन तक काम करता रहा.