Solar Storm: आज पृथ्वी से टकरा सकता है सौर तूफान, जानें प्रभाव और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां

वैज्ञानिकों की मानें तो आज यानी 19 जुलाई 2022 को सौर तूफान पृथ्वी से टकराने वाला है. वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष शोधकर्ताओं का मानना है कि इससे पृथ्वी पर बड़े पैमाने पर असर पड़ सकता है. यह सौर तूफान तेजी से पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है, जिससे दुनिया में ब्लैकआउट होने की उम्मीद जताई जा रही है. बताया जा रहा है कि यह सौर तूफान 14 जून को सूर्य की तरफ से चला था.

सौर तूफान/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: File Image)

Solar Storm to Hit Earth: धरती पर एक बड़ी आसमानी आपदा के संकेत मिल रहे हैं. वैज्ञानिकों की मानें तो आज यानी 19 जुलाई 2022 को सौर तूफान (Solar Storm) पृथ्वी (Earth) से टकराने वाला है. वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष शोधकर्ताओं (Scientists and Space Researchers) का मानना है कि इससे पृथ्वी पर बड़े पैमाने पर असर पड़ सकता है. यह सौर तूफान तेजी से पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है, जिससे दुनिया में ब्लैकआउट होने की उम्मीद जताई जा रही है. बताया जा रहा है कि यह सौर तूफान 14 जून को सूर्य से चला था. नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (National Oceanic and Atmospheric Administration) यानी एमओएए (NOAA) ने इसे लेकर अलर्ट जारी किया था. धरती से सौर तूफान के टकराने की  जानकारी अंतरिक्ष मौसम भौतिक विज्ञानी डॉ. तमिथा स्कोव (Dr. Tamitha Skov) ने दी है.

डॉ. तमिथा स्कोव ने सौर तूफान को लेकर अपने ट्विटर अकाउंट से एक ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने लिखा है- लंबे सांप जैसे सोलर फ्लेयर पृथ्वी से टकराने वाले हैं. नासा ने भविष्यवाणी करते हुए 19 जुलाई को इस तूफान के पृथ्वी से टकराने की बात कही है. इस तूफान की वजह से सैटेलाइट प्रभावित हो सकते हैं और जीपीएस व रेडियो का काम भी प्रभावित हो सकता है. अगर ऐसा होता है तो सौर तूफान की वजह से धरती पर अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बिजली जा सकती है.

देखें ट्वीट-

सौर तूफान का हो सकता है यह असर

सौर तूफान से रेडियो सिग्नल के प्रभावित होने के आलावा रेडियो संचालकों को भी व्यवधान का सामना करना पड़ सकता है. इसके साथ ही जीपीएस का इस्तेमाल करने वालों को भी दिक्कते हो सकती हैं और यह तूफान मोबाइल फोन के सिग्नल को भी प्रभावित कर सकता है. यह तूफान ब्लैकआउट के खतरे को बढ़ा सकता है.

ब्रह्मांड की एक नियमित घटना

दरअसल, सूरज से अग्नि का निकलना ब्रह्मांड की एक नियमित घटना है, क्योंकि समय-समय पर सूरज से आग की गर्म ज्वालाएं निकलती रहती हैं. सूर्य सौर मंडल का नेतृत्व करता है और उससे विशाल ऊर्जा का उत्सर्जन होता है. अनजान लोगों के लिए विशाल अग्नि निकाय बड़े विस्फोटों से गुजरता है, जो अरबों परमाणु बमों की बमबारी की कल्पना के समान हो सकता है. सौर तूफान एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें सूर्य अपने चारों ओर घूमने वाले ग्रहों की ओर चुंबकीय आवेशों के साथ ऊष्मा ऊर्जा का उत्सर्जन करता है.

सूरज से निकलने वाला रेडिएशन है सोलर स्टॉर्म

सौर तूफान सूरज से निकलने वाला एक रेडिएशन होता है, जिसके चलते पूरा सौर मंडल प्रभावित होता है. इसे जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म और सोलर स्टॉर्म भी कहा जाता है. सोलर स्टॉर्म की वजह से इलेक्ट्रो मैग्नेटिक रेडिएशन और गर्मी काफी बढ़ जाती है. वैसे तो सौर तूफान की घटना बहुत कम होती है, लेकिन ऐसा नहीं है कि यह तूफान पहला बार आ रहा है. इससे पहले साल 1859 में इस तूफान की वजह से यूरोप और अमेरिका में टेलीग्राफ नेटवर्क बर्बाद हो गया था. उसके बाद साल 1989 में सोलर स्टॉर्म की वजह से कनाडा का क्यूबेक शहर काफी हद तक प्रभावित हुआ था.

गौरतलब है कि सौर तूफान हमेशा से ही वैज्ञानिकों के लिए बड़ी चिंता का विषय रहे हैं और स्पेस रिसर्चर्स के अनुसार, इस तरह के सौर तूफान धरती पर तमाम चीजों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं.

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