आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बढ़ती लोकप्रियता और इस्तेमाल के कारण दुनियाभर में सरकारें चिंतित हैं और नियम कायदे बनाने में जुटी हैं. यूरोपीय संघ का कानून इस साल आ सकता है.इस साल यूरोपीय संघ में एक समझौता हो सकता है, जिसके तहत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सीमाएं तय करने के लिए कायदे-कानून बनाए जाएंगे. यूरोपीय संघ में तकनीक से जुड़े नियमों के लिए जिम्मेदार मार्गरेटे वेस्टागेर ने रविवार को कहा कि यह कानून आर्टिफिशियल से जुड़ा दुनिया का पहला कानून होगा.
पिछले हफ्ते ही यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के बीच आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक्ट के मसौदे पर शुरुआती सहमति बनी थी. इस मसौदे पर 11 मई को यूरोपीय संसद में वोटिंग होनी है. उसके बाद सदस्य देशों और यूरोपीय आयोग के साथ मिलकर बिल के मसौदे को अंतिम रूप दिया जाएगा.
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वेस्टागेर रविवार को जापान के ताकाशाकी में थीं, जहां जी-7 देशों के डिजिटल मंत्रियों की बैठक हो रही थी. इस बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ का एआई एक्ट नई तकनीक के विकास का समर्थक है और इसका मकसद उभरती नई तकनीकों के सामाजिक खतरों को कम से कम करना है.
चिंतित हैं सरकारें
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के तेज उभार और जिंदगी के हर पहलू पर उसके व्यापक असर के कारण दुनियाभर की सरकारें इससे जुड़े नियम बनाने पर विचार कर रही हैं. वेस्टागेर कहती हैं कि एआई का गलत इस्तेमाल कहीं ज्यादा महंगा पड़ सकता है.
उन्होंने कहा, "हम ये नियम इसलिए बना रहे हैं क्योंकि अगर खतरनाक रूप से (एआई का) गलत इस्तेमाल होता है तो उसके खतरों से निपटना कहीं ज्यादा महंगा और नुकसानदायक होगा.”
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यूरोपीय संघ का एआई एक्ट इस साल पारित हो जाने की संभावना है लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इन नियमों को लागू होने में कई साल तक लग सकते हैं. हालांकि वेस्टागेर ने कहा कि उद्योगों को नए नियमों के लिए तैयार हो जाना चाहिए.
एक इंटरव्यू में वेस्टागेर ने कहा, "किसी तरह की झिझक नहीं होनी चाहिए और जहां-जहां भी एआई का व्यापक प्रभाव है, वहां बदलाव के लिए विमर्श शुरू कर देना चाहिए और इस बात का इंतजार नहीं करना चाहिए कि कानून पारित होंगे और फिर लागू किए जाएंगे.”
फायदे और नुकसान की तुलना
यूं तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस दशकों से मौजूद है और इस क्षेत्र में गहन शोध हो रहा है, लेकिन पिछले साल ओपन एआई नामक कंपनी द्वारा जारी चैटजीपीटी और मिडजर्नी जैसे सॉफ्टवेयर आम जीवन में भी क्रांतिकारी रूप से लोकप्रिय हो रहे हैं.
इन तकनीकों की बढ़ती लोकप्रियता ने सरकारों को इनकी असीमित वृद्धि के प्रति चिंता में डाल दिया है और वे इन्हें काबू करने के नए रास्ते खोजने को मजबूर हुए हैं.
इलॉन मस्क के समर्थन वाली एक संस्था के अलावा यूरोपीय संघ के एआई एक्ट का मसौदा तैयार करने में शामिल नेताओं ने भी पूरी दुनिया के नेताओं से आग्रह किया है कि वे एआई को किसी तरह की अव्यवस्था फैलाए जाने से रोकने के लिए साथ मिलकर काम करें.
जी-7 देशों के डिजिटल मंत्री रविवार को जापान में एआई नियमों को लेकर नियम बनाने पर भी सहमत हुए. इस सहमति में यह स्पष्ट किया गया है कि ये नियम संभावित खतरों पर आधारित होंगे.
वेस्टागेर ने कहा, "अब जबकि एआई लोगों की उंगलियों पर पहुंच चुकी है, तो जरूरी है कि हम एक राजनीतिक नेतृत्व दिखाएं और सुनिश्चित करें कि हर कोई इसका इस्तेमाल सुरक्षित रूप से करे और इसकी अद्भुत संभावनाओं को उत्पादकता व सेवाओं की बेहतरी के लिए प्रयोग किया जाए.”
चैटजीपीटी की लोकप्रियता
चैटजीपीटी एक सॉफ्टवेयर है जो तमाम तरह के काम कर सकता है. उसके अपने शब्दों में, "चैटजीपीटी (ChatGPT) एक बड़ा भाषा मॉडल है जो ओपनएआई द्वारा तैनात किया गया है. यह जीपीटी-3.5 आर्किटेक्चर पर आधारित है जो भाषा विकास के क्षेत्र में नवीनतम प्रौद्योगिकी का उपयोग करता है. यह मॉडल टेक्स्ट संशोधन, समानार्थी शब्दों, अनुवाद और वाक्य संरचना जैसे बहुत सारे भाषा संबंधी कार्यों के लिए उपयोग किया जाता है. यह बहुत सारे क्षेत्रों में उपयोग किया जाता है, जैसे शिक्षा, संगणक विज्ञान, वित्त, स्वास्थ्य और मीडिया.”
यह जवाब चैटजीपीटी ने हिंदी में ही दिया है. इस एप्लिकेशन के इस्तेमाल से लिखने और अनुवाद करने से लेकर सॉफ्टवेयर के लिए कोड लिखना तक बच्चों का खेल हो गया है. इलॉन मस्क आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल और उभार को लेकर अपनी चिंताएं जाहिर करते रहे हैं.
उन्होंने कुछ संदर्भों में एआई को खतरनाक और भयानक बताया है जो मानव जाति के लिए खतरे का संकेत हो सकते हैं. वह यह भी कहते हैं कि यदि एआई को संवेदनशीलता के साथ विकसित नहीं किया जाता है, तो इससे मानव जाति को बड़ी आपदाएं भी हो सकती हैं.
उन्होंने एक बार अपने ट्वीट में एआई को "दिवालिया" कहा था. इसके अलावा, उन्होंने इसे "इंसान के जाने बिना दूसरे पहलुओं को देख सकने वाली विनाशक" शक्ति भी कहा है.
हालांकि, उन्होंने एक बार अपने ट्वीट में इसे "संजीवनी बूटी" भी कहा था. उन्होंने इसके संभावित फायदों पर भी बात की थी, जिनसे मानव जाति को लाभ हो सकता है जैसे कि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, ऑटोमेशन, जीवन की सुविधाओं में सुधार और अधिक संभावना आदि.
विवेक कुमार (रॉयटर्स)