मधुमक्खियों को कीटनाशकों से बचाने वाला खाना
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

कोलंबिया के वैज्ञानिकों ने कहा है कि उन्होंने ऐसा खाना तैयार किया है जो मधुमक्खियों को कीटनाशकों के जहरीले नुकसान से बचा सकता है.कोलंबिया के वैज्ञानिकों ने एक नया फूड सप्लीमेंट विकसित किया है, जो कीटनाशकों से मधुमक्खियों के दिमाग की रक्षा करता है. यह सप्लीमेंट खेती में इस्तेमाल किए जाने वाले रसायनों से होने वाले न्यूरोलॉजिकल नुकसान से मधुमक्खियों को सुरक्षित रखता है.

मधुमक्खियों को परागण करने की अपनी भूमिका के कारण प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र और खाद्य उत्पादन के लिए अहम माना जाता है.

बोगोटा में कोलंबिया की निजी रोसारियो यूनिवर्सिटी ने, एरिजोना यूनिवर्सिटी के न्यूरोसाइंस विभाग और कोलंबिया की जावेरियाना यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर पूरी तरह पौधों पर आधारित यह सप्लीमेंट विकसित किया है.

यह सप्लीमेंट मधुमक्खियों को खेती में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले न्यूरोटॉक्सिन से लड़ने में मदद करता है. इसके कारण कीटनाशकों से उनके दिशाओं को पहचान कर उड़ने की क्षमता और याददाश्त को नुकसान नहीं होता.

रोसारियो यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर आंद्रे रिवेरोस ने बताया, "यह सप्लीमेंट एक समाधान है, जो कीटनाशकों के संपर्क में आने पर मधुमक्खियों की मदद करता है. यह भोजन उन्हें कीटनाशकों के खिलाफ सुरक्षा विकसित करने में मदद करता है."

बड़े स्तर पर प्रयोग की जरूरत

यह फॉर्मूला फ्लेवोनोइड्स से बनाया गया है, जो पौधों से मिलने वाले यौगिक हैं और सेहत के लिए अच्छे माने जाते हैं.

रोसारियो विश्वविद्यालय के प्राकृतिक विज्ञान के छात्र हुआन होजे ओवाले बताते हैं कि पहले मधुमक्खियों को एक-एक करके प्रयोगशाला में छोटी ट्यूबों में रखा गया और उन्हें यह सप्लीमेंट खिलाया गया. छोटे स्तर पर कामयाबी मिलने के बाद अब यह परीक्षण विश्वविद्यालय के मधुमक्खी पालन केंद्र में वास्तविक स्थितियों में हो रहा है.

ओवाले ने कहा, "हमें पहले से ही पता है कि कुछ अणु मधुमक्खियों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं और कीटनाशकों से होने वाले नुकसान को रोकते हैं." ओवाले ने यह भी बताया कि इन तरीकों को और ज्यादा असरदार बनाने के लिए काम जारी रखना महत्वपूर्ण है.

क्यों खतरनाक हैं रसायन

कीटनाशक, खासकर नीओनिकोटिनॉइड्स और ऑर्गेनोफॉस्फेट,मधुमक्खियों के लिए बेहद खतरनाक हैं. ये रसायन मधुमक्खियों की तंत्रिकाओं और शारीरिक प्रणालियों को नुकसान पहुंचाते हैं. इससे उनकी यादाश्त, दिशा खोजने की क्षमता और शरीर की गतिविधियां प्रभावित होती हैं.

‘साइंस' जर्नल में 2017 में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि नीओनिकोटिनॉइड्स मधुमक्खियों की भोजन खोजने की क्षमता को कम कर देते हैं. साथ ही, उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर हो जाती है, जिससे उनकी कालोनियों का पतन होने लगता है. इस कारण मधुमक्खियों की कई प्रजातियों पर विलुप्ति का खतरा भी मंडरा रहा है.

2015 में ‘नेचर' पत्रिका में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन के अनुसार, मधुमक्खियों के कीटनाशकों के संपर्क में आने से उनकी सीखने और याद रखने की क्षमता पर असर पड़ता है. वे अपने छत्ते तक लौटने का रास्ता भूल जाती हैं. लंबे समय तक इन रसायनों के संपर्क में रहने से उनके केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को स्थायी नुकसान हो सकता है, जिससे उनकी मृत्यु हो जाती है.

‘प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी बी' में 2020 में प्रकाशित एक शोध ने पुष्टि की कि कीटनाशकों से प्रदूषित पराग और रस मधुमक्खियों के प्रजनन को प्रभावित करते हैं. इससे रानी मधुमक्खियों की संख्या में कमी आती है. इस तरह के कीटनाशकों के कारण मधुमक्खियों की संख्या घट रही है, जो जैव विविधता और खाद्य सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है.

रिपोर्टः विवेक कुमार (रॉयटर्स)