'Cyborg Baby' to be Born! वैज्ञानिकों ने पहली बार ह्यूमन प्लेसेंटा में Microplastics का पता लगाया, जानें क्या है इसका मतलब
हम हर जगह प्लास्टिक प्रदूषण के प्रभावों को पढ़ते और देखते रहे हैं, लेकिन अब एक अजन्मे बच्चे के सूक्ष्मजीवों के शरीर में प्रवेश करने की सबसे गंभीर खबर आई है. पहली बार, वैज्ञानिकों ने प्लेसेंटा में माइक्रोप्लास्टिक पाया है, जो भ्रूण के विकास को और प्रभावित कर सकता है. वैज्ञानिक इसे 'साइबोर्ग बेबी' की तरह बता रहे हैं.
'Cyborg Baby' to be Born! हम हर जगह प्लास्टिक प्रदूषण (Plastic Pollution) के प्रभावों को पढ़ते और देखते रहे हैं, लेकिन अब अजन्मे बच्चे के शरीर में सूक्ष्मजीवों के प्रवेश करने की सबसे गंभीर खबर सामने आई है. पहली बार, वैज्ञानिकों ने प्लेसेंटा (Placenta) में माइक्रोप्लास्टिक (Microplastic) पाया है, जो भ्रूण के विकास (Fetal Development) को और प्रभावित कर सकता है. जर्नल एनवायरनमेंटल इंटरनेशनल में प्रकाशित एक लेटेस्ट इटालियन अध्ययन के अनुसार, माइक्रोप्लास्टिक्स छह महिलाओं में से चार में पाया गया. मानव शरीर में प्लास्टिक के सटीक स्वास्थ्य प्रभावों का पता नहीं है, लेकिन वैज्ञानिक इसे 'साइबोर्ग बेबी' (Cyborg Baby) की तरह बता रहे हैं. इसका क्या मतलब है? आइए इस अध्ययन के बारे विस्तार से जानते हैं.
प्लास्टिक के सबसे नन्हे अंशों को माइक्रोप्लास्टिक्स के रूप में जाना जाता है और उन्हें पूरे प्लानेट में उच्चतम बिंदु से सबसे गहरी खाई तक खोजा गया है. माउंट एवरेस्ट के बर्फ और धारा के पानी में भी माइक्रोप्लास्टिक पाया गया है. हाल के अध्ययन में माइक्रोप्लास्टिक की थोड़ी मात्रा का नमूना लिया गया था, लेकिन तुलनात्मक रूप से माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा बहुत अधिक थी. प्रत्येक व्यक्तिगत प्लेसेंटा के 4% में एक दर्जन से अधिक प्लास्टिक के कण पाए गए थे.
प्लेसेंटा एक भ्रूण के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, यह ऑक्सीजन और पोषण प्रदान करता है. शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि माइक्रोप्लास्टिक्स की उपस्थिति से खतरनाक परिणाम हो सकते हैं और यह भ्रूण के विकास में बाधा डाल सकता है. प्लेसेंटा में माइक्रोप्लास्टिक की उपस्थिति से बच्चा न केवल मानव कोशिकाओं का होगा, बल्कि अकार्बनिक प्लास्टिक का भी होगा. इस अध्ययन का नेतृत्व करने वाले सैन जियोवानी कैलीबेटा (San Giovanni Calibita) में प्रसूति और स्त्री रोग के निदेशक (Director of Obstetrics and Gynaecology) एंटोनियो रागुसा (Antonio Ragusa) ने कहा कि यह एक साइबोर्ग बेबी होने जैसा है, जो न केवल मानव कोशिकाओं से बना है, बल्कि यह जैविक और अकार्बनिक संस्थाओं का मिश्रण है. हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि माइक्रोप्लास्टिक ने महिलाओं के शरीर में श्वसन तंत्र या फिर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम के जरिए प्रवेश किया है. यह भी पढ़ें: ‘टेस्ट ट्यूब बेबी’ के बाद अब आई ‘टेस्ट ट्यूब बछड़ा’
साइबोर्ग बेबी क्या है?
साइबोर्ग या साइबरनेटिक ऑर्गेनिज्म शब्द एक ऑर्गेनिक और बायोमेकेरॉनिक (Biomechatronic) शरीर के दोनों हिस्सों से जुड़ा है. एक व्यक्ति को तब साइबोर्ग माना जा सकता है, जब उसमें कृत्रिम हृदय वॉल्व, कोक्लियर इंप्लाट या इंसुलिन पंप जैसे बाहरी प्रत्यारोपण होते हैं. ऐसी स्थिति में उन्हें साइबोर्ग कहा जाता है, क्योंकि उनमें केवल मानव कोशिकाएं ही शामिल नहीं हैं, बल्कि अकार्बनिक ईकाई भी मौजूद होते हैं.
माइक्रोप्लास्टिक्स का समुद्री जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, क्योंकि बहुत सारा प्लास्टिक महासागरों में डंप हो जाता है. तटीय क्षेत्र माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं. प्लास्टिक हमारे शरीर में प्रवेश करने के साथ ही हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है.ऐसे में माइक्रोप्लास्टिक के साथ पैदा होने वाले शिशुओं के लिए गंभीर खतरा हो सकता है, इसलिए हमें हर बार प्लास्टिक का उपयोग करने और संकट से निपटने के अधिक वैकल्पिक तरीकों को अपनाने की आवश्यकता है.