Chandrayaan-3 Mission Update: चंद्रयान-3 ने सफलता पूर्वक बदला तीसरा ऑर्बिट, जानिए कहां पहुंचा ISRO का मिशन मून
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान सगंठन (ISO) का चंद्रयान-3 अपने मिशन पर सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है. अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि मिशन अपने तय समय पर है और कक्षा बदलने की तीसरी प्रक्रिया (अर्थ बाउंड ऑर्बिट मैन्यूवर) को बेंगलुरु से सफलतापूर्वक निष्पादित किया गया है.
बेंगलुरु: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान सगंठन (ISRO) का चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) अपने मिशन पर सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है. अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि मिशन अपने तय समय पर है और कक्षा बदलने की तीसरी प्रक्रिया (अर्थ बाउंड ऑर्बिट मैन्यूवर) को बेंगलुरु से सफलतापूर्वक बदल दिया गया है. इससे पहले इसरो ने 17 जुलाई (सोमवार) को चंद्रयान-3 की दूसरी कक्षा बढ़ाने की प्रक्रिया (Earth-bound apogee Firing) को सफलतापूर्वक पूरा किया था. अब अगली ऑर्बिट मैन्यूरिंग 20 जुलाई 2023 को दोपहर 2 से 3 बजे ही होगी.पिछले सात दशक में 111 चंद्र मिशन में से 62 सफल रहे- नासा के आंकड़े.
शुक्रवार को प्रक्षेपित किया गया ऐतिहासिक ‘चंद्रयान-3’ मिशन 40 दिन के महत्वपूर्ण चरण से गुजरेगा और अंतत: चंद्रमा की सतह पर ‘लैंडिंग’ के लिए इसमें लगे ‘थ्रस्टर्स’ की मदद से इसे पृथ्वी से दूर ले जाया जाएगा.
इसरो ने दिया ताजा अपडेट
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से एलवीएम3-एम4 रॉकेट के जरिए ‘चंद्रयान-3’ का सफल प्रक्षेपण किया था. शुक्रवार दोपहर 2.35 बजे उड़ान भरने के 17 मिनट बाद उपग्रह को उसकी लक्षित कक्षा में प्रवेश करा दिया गया था.
इसरो के मिशन मून के तहत यान 41 दिन की अपनी यात्रा में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर एक बार फिर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का प्रयास करेगा जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंच पाया है. चांद की सतह पर अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कर चुके हैं लेकिन उनकी ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर नहीं हुई थी. भारत अपने इस मिशन के साथ एक नया इतिहास रचने जा रहा है.
अगर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का 600 करोड़ रुपये का चंद्रयान-3 मिशन चार साल में अंतरिक्ष एजेंसी के दूसरे प्रयास में लैंडर को उतारने में सफल हो जाता है, तो अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद भारत चंद्र सतह पर ‘सॉफ्ट-लैंडिंग’ की तकनीक में महारत हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा.