Chandrayaan 2: भारत के लिए ऐतिहासिक पल, चंद्रयान-2 हुआ लॉन्च, विश्वपटल पर बाहुबली के साथ ISRO रचेगा सबसे बड़ा इतिहास
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन देश के दूसरे मून मिशन 'चंद्रयान-2' (Chandrayaan 2) को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च कर चुका है. यह एक ऐतिहासिक पल है और प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व का दिन भी. 'चंद्रयान-2' के लॉन्च के साथ ही भारत दुनिया का चौथा ऐसा देश बन गया है जिसने चंद्रमा पर अपना खोजी यान उतारा. 'चंद्रयान-2' चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरेगा.
अंतरिक्ष में भारत (India) एक बार फिर इतिहास रच रहा है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) देश के दूसरे मून मिशन 'चंद्रयान-2' (Chandrayaan 2) को श्रीहरिकोटा (Sriharikota) के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (Satish Dhawan Space Centre) से लॉन्च कर चुका है. यह एक ऐतिहासिक पल है और प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व का दिन भी. 'चंद्रयान-2' के लॉन्च के साथ ही भारत दुनिया का चौथा ऐसा देश बन गया है जिसने चंद्रमा (Moon) पर अपना खोजी यान उतारा. पूरी दुनिया की नजरें भारत के इस महत्वाकांक्षी मिशन पर है.
इसरो प्रमुख के सिवन ने चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण पर सभी को बधाई दी है. उन्होंने कहा कि यह एक एतिहासिक यात्रा की शुरुआत है. वक्त रहते हुए तकनीकी खामियां दूर कर ली गईं. इसके लिए सभी वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत की है.
'चंद्रयान-2' चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव (South Pole) क्षेत्र में उतरेगा. ISRO के अनुसार दक्षिणी ध्रुव में अब तक कोई देश नहीं गया है. चांद को फतह कर चुके अमेरिका, रूस और चीन ने अभी तक इस जगह पर कदम नहीं रखा है. 'चंद्रयान-2' यहां चांद के अनछुए पहलुओं को जानने का प्रयास करेगा. जो चांद पर पानी की मौजूदगी तलाशने के अलावा भविष्य में यहां मनुष्य के रहने की संभावना भी तलाशेगा. माना जा रहा है कि भारत इस मिशन मून के जरिए दूसरे देशों पर बढ़त हासिल कर लेगा.
श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-2 हुआ लॉन्च
इससे 11 साल पहले इसरो ने अपने पहले सफल चंद्र मिशन 'चंद्रयान-1 का प्रक्षेपण किया था जिसने चंद्रमा के 3,400 से अधिक चक्कर लगाए और यह 29 अगस्त, 2009 तक 312 दिन तक काम करता रहा. इस अभियान पर 978 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.
NASA के मंगल ग्रह पर भेजे गए रोवर मिशन से जुड़े वैज्ञानिक अमिताभ घोष (Amitabha Ghosh) ने कहा, 'चंद्रयान 2' की कीमत के लिहाज़ से इससे होने वाला फायदा बहुत बड़ा होगा. उन्होंने कहा, "चंद्रयान 2 जैसा जटिल मिशन सारी दुनिया को संदेश देगा कि भारत जटिल तकनीकी मिशनों को कामयाब करने में भी पूरी तरह सक्षम है.
कैसे अपनी यात्रा पूरी करेगा चंद्रयान-2
करीब 20 से 21 दिन में 3,84,000 किलोमीटर की यात्रा के बाद चंद्रयान चंद्रमा की कक्षा में पहुंचेगा. चंद्रमा की कक्षा में यान के पहुंचने के बाद विक्रम नाम का लैंडर कक्षा से अलग हो जाएगा. हालांकि ऑर्बिटर चांद की सतह से 100 किलोमीटर की दूरी पर चक्कर लगाता रहेगा. 6 सितंबर को विक्रम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करेगा.
विक्रम के साथ नासा का पेलोड धरती और चंद्रमा के बीच की दूरी मापेगा. इसके अलावा लैंडर की सटीक लोकेशन भी पता चल सकेगी. 8 पेलोड्स की मदद से ऑर्बिटर चंद्रमा की थ्री डी मैपिंग करेगा. इसके अलावा सोलर एक्स-रे का भी विश्लेषण किया जाएगा. चंद्रमा की बाहरी सतह के अध्ययन के साथ ही अन्य चीजों का भी पता लगाया जाएगा.
7,500 लोगों ने श्री हरिकोटा से देखेंगे भारत की उड़ान
इस एतिहासिक पल को देखने के लिए देशभर से हजारों लोग श्री हरिकोटा पहुंचे हैं. इसरो के अधिकारी के मुताबिक रॉकेट के प्रक्षेपण को देखने के लिए कुल 7,500 लोगों ने ऑनलाइन पंजीकरण कराया है. इसरो ने हाल ही में लॉन्च को देखने के लिए आम जनता को अनुमति दी थी. लोगों के लिए इसरो ने लगभग 10 हजार लोगों की क्षमता वाली एक गैलरी बनाई है.
इससे पहले चंद्रयान-2 को 15 जुलाई को लॉन्च किया जाना था. लेकिन लॉन्चिंग से 56 मिनट पहले क्रायोजेनिक इंजन में लीकेज के चलते कुछ वक्त पहले ही स्थगित कर दिया गया था. कई दिग्गज वैज्ञानिकों ने इस कदम के लिए इसरो की प्रशंसा भी की थी. उनका कहना था कि जल्दबाजी में कदम उठाने से बड़ा हादसा हो सकता था. तीन दिन पहले ही इसे प्रक्षेपित किये जाने की नई तिथि की घोषणा की गई थी.