क्या मोबाइल फोन की वजह से शुक्राणुओं की संख्या में कमी आ सकती है?
शोधकर्ताओं ने मोबाइल फोन के इस्तेमाल और युवा पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या में कमी के बीच एक संभावित संबंध का पता लगाया है.
शोधकर्ताओं ने मोबाइल फोन के इस्तेमाल और युवा पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या में कमी के बीच एक संभावित संबंध का पता लगाया है. तो क्या इस खबर से आपको चिंतित होना चाहिए?पिछले कई दशकों से दुनिया भर में शुक्राणुओं की संख्या में गिरावट आ रही है. इसके कारणों को लेकर शोधकर्ताओं के पास कई परिकल्पनाएं हैं लेकिन यह कोई नहीं जानता कि इस कमी की वास्तविक वजह क्या है. स्विट्जरलैंड में हुए एक नए अध्ययन से इस सूची में एक और संभावित जोखिम जुड़ सकता है, और वो है मोबाइल फोन.
स्विस शोधकर्ताओं ने 2,800 से भी ज्यादा युवा पुरुषों के वीर्य के नमूनों का विश्लेषण करने के बाद यह पाया है कि ज्यादा मोबाइल फोन के इस्तेमाल और कम शुक्राणुओं के बीच एक खास संबंध है.
जिन युवाओं पर यह शोध किया गया है, मोबाइल के इस्तेमाल के बारे में उन्होंने खुद जानकारी दी है. इस अध्ययन को फर्टिलिटी एंड स्टेरिलिटी जर्नल में इस सप्ताह प्रकाशित किया गया है.
शोधकर्ताओं को विभिन्न प्रकार के फोन उपयोगकर्ताओं के बीच शुक्राणु की गतिशीलता या आकारिकी में कोई अंतर नहीं मिला. उन्हें कोई ऐसा सबूत भी नहीं मिला जो यह दर्शाता हो कि फोन को बैकपैक के बजाय जेब में रखना, शुक्राणुओं की संख्या में कोई भूमिका निभाता है. यानी मोबाइल फोन व्यक्ति किस जगह रख रहा है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है.
शोधकर्ताओं ने 2005 से 2018 तक अध्ययन किया और पाया कि अध्ययन के अंत की तुलना में अध्ययन के पहले वर्षों के दौरान फोन के ज्यादा इस्तेमाल और कम शुक्राणुओं की संख्या के बीच संबंध कहीं ज्यादा स्पष्ट था.
शोधकर्ताओं के मुताबिक, "यह पैटर्न नई प्रौद्योगिकियों के संक्रमण के अनुरूप है. खासकर, 2जी से 3जी और 4जी तक. शुक्राणुणों में कमी, फोन की आउटपुट पावर में इसी क्रम के अनुरूप है.”
प्रजनन क्षमता को प्रभावित करने वाले कारक
अध्ययन में मोबाइल फोन को उन कारकों की एक लंबी सूची में जोड़ा गया है जो अन्य शोधकर्ताओं के मुताबिक, प्रजनन क्षमता में अवरोध उत्पन्न कर सकते हैं. जैसे - धूम्रपान, मोटापा, शराब, मनोवैज्ञानिक तनाव और कीटनाशकों और सब्जियों को पैक करने वाले प्लास्टिक रैपर में पाए जाने वाले तथाकथित ‘एंडोक्राइन डिसरप्टिंग' रसायन, जिन्हें हम दुकान पर खरीदते हैं.
यह शोध पिछले कुछ दशकों में बढ़ती चिंता के कुछ सबूत प्रदान करता है कि मोबाइल फोन से उत्सर्जित रेडियोफ्रिक्वेंसी विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र (RF-EMFs) मानव के प्रजनन स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं.
अभी तक, इस संभावित संबंध को देखने वाले अध्ययन सिर्फ चूहों पर या फिर प्रयोगशालाओं में शुक्राणुओं पर किए गए हैं. यह अध्ययन पहली बार ‘वास्तविक दुनिया' में किया हुआ माना जा रहा है, जिसे बाहरी शोधकर्ता सकारात्मक बता रहे हैं.
यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर में एंड्रोलॉजी के प्रोफेसर एलन पेसी शोध में तो शामिल नहीं थे लेकिन इसके परिणामों के बारे में उनकी राय कुछ अलग है.
एक बयान में वो कहते हैं, "अध्ययन सही नहीं है और इसके लेखक मोबाइल फोन के उपयोग की स्वयं रिपोर्टिंग के जरिए इसे खुद ही स्वीकार करते हैं. लेकिन यह वास्तविक दुनिया में किया गया एक अध्ययन है और मेरी राय में यह अच्छा है.”
जीववैज्ञानिक दृष्टि से कोई स्पष्टीकरण नहीं
केयर फर्टिलिटी की मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी एलिसन कैंपबेल भी इस अध्ययन में शामिल नहीं थीं लेकिन वे इसे ‘आकर्षक और अनोखा' बताती हैं.
हालांकि, उनका मानना है कि लगातार और बहुत ज्यादा मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने वालों के शुक्राणुओं की संख्या में गिरावट के कई और भी कारण हो सकते हैं.
पेसी की चिंता भी लगभग ऐसी ही है. वो कहते हैं, "हम निश्चित तौर पर यह नहीं कह सकते कि मोबाइल फोन पुरुषों की जीवनशैली या व्यवसाय के किसी अन्य पहलू के लिए सरोगेट मार्कर नहीं है, जो उनके शुक्राणु की गुणवत्ता में किसी भी बदलाव का वास्तविक कारण है.”
कैंपबेल कहती हैं कि इस्तेमाल और क्षमता के बीच का यह संबंध सिर्फ देखा गया है, पुष्टि के लिए कोई वैज्ञानिक तर्क नहीं है. उनके मुताबिक, "वर्तमान में इस खोज के पीछे जीव विज्ञान या तंत्र की तरफ से कोई पुष्टि नहीं हुई है, क्योंकि इस बारे में अभी तक कोई शोध नहीं किया गया है.”
पुरुषों को क्या करना चाहिए?
यदि आप ऐसे व्यक्ति हैं जो भविष्य में किसी दिन बच्चे पैदा करना चाहते हैं, तो यह खबर आपको चिंताजनक लग सकती है. लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि चिंता की कोई बात नहीं है और अभी से इसे लेकर अपनी लाइफस्टाइल में कोई बड़ा बदलाव करने की जरूरत नहीं है.
पेसी कहते हैं, "अगर पुरुषों की बात है तो अपने फोन को बैग में रखना और उसका इस्तेमाल सीमित करना उनके लिए अपेक्षाकृत आसान काम है. लेकिन फिलहाल ऐसा कोई सबूत नहीं है जो उनके शुक्राणु की गुणवत्ता में सुधार करेगा. इसके लिए अचानक और नियंत्रित परीक्षण की आवश्यकता होगी. जहां तक मेरी बात है, मैं तो अपना फोन अपने ट्राउजर की जेब में ही रखूंगा.”
(क्लेयर रॉथ)