जब आपको गुस्सा आए तो साथियों पर भड़कने या फिर तकिये में मुंह छिपा कर रोने की बजाय, उसे लिख डालिए और फिर उसे फाड़ कर फेंक दीजिए. यह तरीका आपका गुस्सा शांत करने में काफी असरदार है.जापानी रिसर्चरों की एक टीम शोध करने के बाद इस नतीजे पर पहुंची है. भावनाओं को लिख कर उन्हें अपने से दूर धकेला या फिर अलग किया जा सकता है.
साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में इस हफ्ते छपी रिसर्च रिपोर्ट के प्रमुख लेखक नोबुयुकी कवाई का कहना है, "हमने उम्मीद की थी कि हमारा तरीका गुस्से को कुछ हद तक दबाएगा. हालांकि गुस्से को पूरी तरह खत्म होते देख कर हम हैरान रह गए." कवाई नागोया यूनिवर्सिटी में कॉग्निटिव साइंस के प्रोफेसर हैं.
कैसे हुआ प्रयोग
इस प्रयोग में करीब 100 छात्रों ने हिस्सा लिया. इसमें उनसे सामाजिक मुद्दों पर अपनी संक्षिप्त राय लिखने को कहा गया. इसके लिए उन्हें 'सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान की पाबंदी होनी चाहिए' जैसे कुछ विषय दिए गये थे. रिसर्चरों ने उनसे कहा था कि नागोया यूनिवर्सिटी का एक पीएचडी छात्र उनकी लिखित राय का मूल्यांकन करेगा.
पत्नी के गुस्से ने करा दी फ्लाइट की लैंडिंग
हालांकि प्रयोग में शामिल लोगों ने चाहे जो कुछ भी लिखा हो, मूल्यांकन करने वाले ने उन्हें बुद्धिमता, रुचि, मित्रता, तर्क और औचित्य के आधार पर बहुत कम अंक दिए. इतना ही नहीं उन्हें अपमानजनक फीडबैक भी दिए गए. एक फीडबैक था, "मुझे यकीन नहीं होता कि एक पढ़ा लिखा इंसान इस तरह से सोच सकता है. मुझे उम्मीद है कि यह आदमी यूनिवर्सिटी में पढ़ने के दौरान कुछ सीखेगा."
इसके बाद प्रयोग में शामिल छात्रों ने अपनी भावनाओं को लिखा. छात्रों के दो गुट थे. आधे छात्रों के एक समूह ने जिन कागजों पर अपनी भावनाएं दर्ज की थीं उनके टुकड़े टुकड़े कर दिए या फिर उन्हें फेंक दिया. दूसरे गुट ने उन कागजों को पारदर्शी फोल्डर या फिर बॉक्स में रख दिया.
खत्म हो गया गुस्सा
रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी छात्रों में अपमान के बाद गुस्से का अलग अलग स्तर दिखाई दिया. हालांकि जिस समूह ने कागज पर अपनी भावनाओं को लिखने के बाद उन्हें संभाल कर रखा उनके अंदर गुस्सा उच्च स्तर पर बना रहा जबकि दूसरे समूह में यह घटते घटते पूरी तरह खत्म हो गया.
रिसर्चरों की दलील है कि उनकी खोज का गुस्से के निवारण करने के अनौपचारिक तरीके के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. उनका यह भी कहना है, "घर या काम की जगह पर गुस्से को नियंत्रित करना हमारी निजी जिंदगी और नौकरी में नकारात्मक नतीजों को घटा सकता है."
एनआर/सीके (एएफपी)