अमेरिका में दो अध्ययनों के बाद मोटापे की एक गोली टीके जितनी ही असरदार पायी गयी है.मोटापे की बीमारी को ठीक के लिए कुछ टीके उपलब्ध हैं लेकिन यह एक दर्दनाक इलाज माना जाता है. इसलिए दुनियाभर में ऐसे किसी इलाज की उम्मीद है जो कम दर्द दे और प्रभावशाली भी हो. अमेरिका में 40 फीसदी से ज्यादा लोग मोटापे के रोग से ग्रस्त हैं और ऐसे इलाज के इंतजार में हैं. हो सकता है उनका इंतजार जल्द ही खत्म हो जाए.
वेगोवी नाम की एक गोली इस दिशा में काफी प्रभावशाली साबित हो रही है, जो टीकों की जगह ले सकती है. रविवार को दो अध्ययनों के नतीजे जारी किये गये जो इस दिशा में उत्साहजनक निष्कर्ष देते हैं. अध्ययन बताते हैं कि वेगोवी डाइबिटीज से ग्रस्त लोगों के इलाज में भी कारगर साबित हो सकती है, जिनके लिए वजन कम करना बेहद चुनौतीपूर्ण रहा है.
दवा बनाने वाली कंपनी नोवो नोर्डिस्क इस गोली के लिए इस साल के आखिर तक अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन को अर्जी देने की योजना बना रही है.
गोली के फायदे
मोटापे का इलाज करने वाले डॉ डेनियल बेसेसन डेनवेर हेल्थ नामक संस्थान में एंडोक्राइनोलॉजी के प्रमुख हैं. वह इस अध्ययन का हिस्सा नहीं थे. वह बताते हैं, "अगर आप लोगों से पूछें कि गोली लेना पसंद करेंगे या इंजेक्शन, तो लोग उत्साह से जवाब देते हैं, गोली.” डॉ बेसेसन कहते हैं कि इसके साथ दवा का असर भी लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है.
वैसे बाजार में कई ऐसी गोलियां उपलब्ध हैं जो मोटापा कम करने के दावे करती हैं लेकिन उनमें से कोई भी टीकों जितनी प्रभावशाली नहीं रही हैं. वजन कम करने के लिए काम कर रहे संस्थान इंटेलिहेल्थ की संस्थापक और वेल कॉरनेल हेल्थ नामक अस्पताल में क्लीनिकल प्रोफेसर डॉ. कैथरीन सॉन्डर्स कहती हैं कि ऐसी गोली की खबर से लोग बेहद उत्साहित होंगे.
भारत, अमेरिका और चीन को होगा मोटापे से खरबों का नुकसान
नोवो नॉर्डिस्क रिबेलसस नाम से एक दवा बेचती है जो डाइबिटीज के लिए दी जाती है. यह सेमाग्लूटाइड टीके की गोली के रूप में लिये जाने वाली दवा है जो 14 मिलीग्राम की खुराक में दी जाती है.
कैसे हुआ अध्ययन?
रविवार को अमेरिकन डाइबिटीज एसोसिएशन की सालाना बैठक में दो ट्रायल्स के नतीजे जारी किये गये. इन अध्ययनों में इस बात पर परीक्षण किया गया कि सेमाग्लूटाइड की 25 और 50 ग्राम खुराक डाइबिटीज, मोटापे और अन्य समस्याओं को प्रभावशाली रूप से ठीक कर सकती हैं या नहीं. 16 महीने तक 1,600 ऐसे लोगों पर अध्ययन किया गया जो मोटापे से ग्रस्त हैं और टाइप 2 डाइबिटीज के लिए भी इलाज करवा रहे हैं.
अध्ययन में पाया गया कि इन ज्यादा खुराक वाली गोलियों ने ब्लड शुगर को काफी कम किया और उसका प्रभाव रिबेलसस से बेहतर था. जिन लोगों को अधिक खुराक दी गयी, उनका वजन 7 से 10 किलोग्राम तक कम हुआ जबकि जिन लोगों को कम खुराक दी गयी, उनका वजन 4.5 किलोग्राम तक ही कम हुआ.
दूसरे अध्ययन में मोटापे से ग्रस्त 660 लोगों पर जांच की गयी. 16 महीने तक चले इस अध्ययन में शामिल लोग डाइबिटीज से पीड़ित नहीं थे लेकिन मोटापे से जुड़ा कोई एक रोग उन्हें था. इस अध्ययन में पाया गया कि 50 मिलीग्राम खुराक वाली रोजाना दवा से लोगों का औसतन 15 फीसदी तक वजन कम हुआ यानी लगभग 15 किलोग्राम.
जबकि जिन लोगों को दवा के नाम पर प्लेसिबो दिया गया, उनका वजन दो से तीन किलोग्राम ही कम हुआ. अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि वजन में यह कमी वेगोवी के हर हफ्ते लगने वाले टीकों के बराबर ही है.
गोली के नुकसान
हालांकि इन गोलियों के दुष्प्रभाव भी पाये गये. किसी भी तरह की खुराक लेने वाले 80 फीसदी मरीजों को जी मितलाना, कब्ज और दस्त जैसी समस्याएं हुईं. जो लोग 50 मिलीग्राम खुराक पर थे उनमें कैंसर-मुक्त ट्यूमर होना खतरा ज्यादा पाया गया. 13 फीसदी मरीजों को त्वचा में सनसनाहट महसूस या अतिरिक्त संवेदनशीलता महसूस हुई.
मोटापे का शिकार बनती आधी दुनिया
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे लोगों के बीच गोलियां ज्यादा लोकप्रिय होंगी जो वजन कम करना चाहते हैं लेकिन टीकों से डरते हैं. साथ ही, टीकों की जगह गोलियों को अपने पास रखना ज्यादा आसान है और उन्हें फ्रिज में भी नहीं रखना होगा.
उधर मोटापे का इलाज करने वालीं डॉ फातिमा कोडी स्टैन्फर्ड कहती हैं कि ओजेंपिक या वेगोवी के टीके लेने वाले लाखों मरीजों के लिए जरूरी नहीं कि गोली बेहतर विकल्प हो.
मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल में काम करने वालीं डॉ. स्टैन्फर्ड कहती हैं, "मैंने टीके लगवाने में लोगों में बहुत ज्यादा परहेज नहीं देखा. बहुत से लोग इस बात से राहत महसूस करते हैं कि हफ्ते में एक बार ही दवाई लेनी है.”
वीके/एए (एपी)