Bengaluru Metro Organ Transport: बेंगलुरु मेट्रो से अस्पताल पहुंचाया गया इंसानी अंग, जान बचाने की अनोखी पहल ने रच दिया इतिहास; देखें VIDEO
बेंगलुरु में पहली बार ‘नम्मा मेट्रो’ के जरिए इंसानी अंग यानी एक डोनेट किया गया लिवर समय रहते अस्पताल पहुंचाया गया. ये घटना 1 अगस्त की है, जब रात करीब 8:38 बजे एक खास मिशन शुरू हुआ.
Bengaluru Metro Organ Transport: बेंगलुरु में पहली बार ‘नम्मा मेट्रो’ के जरिए इंसानी अंग यानी एक डोनेट किया गया लिवर समय रहते अस्पताल पहुंचाया गया. ये घटना 1 अगस्त की है, जब रात करीब 8:38 बजे एक खास मिशन शुरू हुआ. लिवर को वैदेही अस्पताल से एंबुलेंस में डॉक्टर और सात मेडिकल स्टाफ के साथ व्हाइटफील्ड मेट्रो स्टेशन लाया गया. बेंगलुरु मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BMRCL) की टीम पहले से तैयार थी. स्टेशन पर मौजूद असिस्टेंट सिक्योरिटी ऑफिसर (ASO) और मेट्रो स्टाफ ने मेडिकल टीम का स्वागत किया और जरूरी दस्तावेजों और सुरक्षा जांच को तेजी से पूरा किया.
इसके बाद 8:42 बजे मेट्रो ट्रेन ने व्हाइटफील्ड स्टेशन से रवाना होकर राजराजेश्वरी नगर स्टेशन तक का सफर तय किया.
बेंगलुरु मेट्रो से पहली बार पहुंचाया गया इंसानी अंग
समय पर पूरी हुई ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया
करीब 9:48 बजे जब ट्रेन गंतव्य स्टेशन पहुंची, तो वहां दूसरी ASO टीम पहले से मौजूद थी. ट्रेन से उतरते ही मेडिकल टीम को एक और एंबुलेंस में बैठाया गया, जो उन्हें सीधे स्पर्श हॉस्पिटल तक ले गई. अंग को सही समय पर पहुंचाकर ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया पूरी की गई, जिससे एक जिंदगी को बचाया जा सका.
BMRCL के मुताबिक, इस पूरे ऑपरेशन को भारत सरकार के आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) और संयुक्त प्रक्रिया आदेश (JPO) के दिशा-निर्देशों के तहत अंजाम दिया गया.
हैदराबाद मेट्रो ने भी किया है ऐसा साहसिक कार्य
ये पहली बार है जब बेंगलुरु मेट्रो का इस्तेमाल किसी ऑर्गन ट्रांसप्लांट मिशन के लिए किया गया है. देशभर में ये दूसरी ऐसी घटना है. इससे पहले हैदराबाद मेट्रो ने 18 जनवरी को एक "ग्रीन चैनल" बनाकर दिल (हार्ट) को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक पहुंचाया था.
मेडिकल कार्यों में रेल नेटवर्क का सही इस्तेमाल
इस तरह की पहलें ना सिर्फ तकनीक और सिस्टम पर विश्वास को बढ़ाती हैं, बल्कि ऑर्गन डोनेशन और ट्रांसप्लांट सिस्टम को भी मजबूत करती हैं. अक्सर ट्रैफिक जाम और दूरी के कारण अंगों को समय पर नहीं पहुंचाया जा पाता, जिससे मरीज की जान खतरे में पड़ जाती है. मेट्रो जैसे तेज और ट्रैफिक-फ्री सिस्टम का इस्तेमाल इस समस्या का कारगर हल साबित हो सकता है.
मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर देशभर में मेट्रो और रेलवे नेटवर्क को इस दिशा में सक्रिय किया जाए, तो कई लोगों की जान बचाई जा सकती है. इसके लिए सिर्फ बेहतर प्लानिंग और अलग से कोऑर्डिनेशन की जरूरत होगी.