Wrestling: दिल्ली पुलिस ने अदालत को बताया- बृजभूषण ने महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने का कोई मौका नहीं छोड़ा

भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के पूर्व प्रमुख और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दर्ज कथित यौन उत्पीड़न मामले में अदालत ने उन्हें पेशी से एक दिन की छूट दे दी है, वहीं दिल्ली पुलिस ने कहा है कि आरोपी ने महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने का कोई मौका नहीं छोड़ा.

Brij Bhushan Sharan Singh | Photo: Facebook

नई दिल्ली, 24 सितंबर: भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के पूर्व प्रमुख और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दर्ज कथित यौन उत्पीड़न मामले में अदालत ने उन्हें पेशी से एक दिन की छूट दे दी है, वहीं दिल्ली पुलिस ने कहा है कि आरोपी ने महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने का कोई मौका नहीं छोड़ा. यह भी पढ़ें: Asian Games 2023: टेबल टेनिस में भारतीय पुरुष टीम क्वार्टर फाइनल में पहुचीं, महिला टीम हारी

पुलिस ने राउज एवेन्यू कोर्ट के अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (ACMM) हरजीत सिंह जसपाल के समक्ष दलील देते हुए कहा कि सिंह के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं. दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मामले में ताजिकिस्तान की कथित घटनाओं का हवाला देते हुए दावा किया कि ये घटनाएं उनके कार्यों को दर्शाती हैं.

पुलिस के मुताबिक, ताजिकिस्तान में एक कार्यक्रम के दौरान बृजभूषण शरण सिंह ने एक महिला पहलवान को जबरन गले लगाया, और बाद में अपने कृत्य को यह कहकर उचित ठहराया कि उसने ऐसा एक पिता की तरह किया.

ताजिकिस्तान में एशियाई चैम्पियनशिप की एक अन्य शिकायत में आरोप लगाया गया है कि सिंह ने बिना अनुमति के एक महिला पहलवान की शर्ट उठाई और उसके पेट को अनुचित तरीके से छुआ. दिल्ली पुलिस ने तर्क दिया कि ये घटनाएं भारत के बाहर हुईं लेकिन मामले के लिए उपयुक्त थीं.

पुलिस ने इस बात पर जोर दिया कि बात यह नहीं है कि पीड़ितों ने घटनाओं पर प्रतिक्रिया दी या नहीं, बल्कि बात यह है कि उनके साथ गलत हुआ. उन्होंने दिल्ली में डब्ल्यूएफआई के कार्यालय में एक कथित घटना का भी उल्लेख किया और कहा कि शिकायतों के लिए राष्ट्रीय राजधानी उपयुक्त क्षेत्राधिकार है.

मामले की विस्तार से सुनवाई के बाद एसीएमएम ने मामले की अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को तय की. पिछली सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने अदालत को बताया था कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच के लिए सरकार द्वारा गठित निगरानी समिति ने उन्हें दोषमुक्त नहीं किया था.

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