सविता पुनिया को ऐसे ही नहीं बोलते 'भारत की दीवार': उनके ये प्रेरणादायक ट्वीट्स देखकर समझ जाएंगे कितनी मेहनत से बनी हैं भारतीय हॉकी टीम की सर्वश्रेष्ठ गोल कीपर
Tokyo Olympics: Indian Women's Hockey Team | Goal Keeper Savita Punia: ओलंपिक इतिसाह में ये पहला मौका है जब भारतीय महिला हॉकी टीम सेमी फाइनल मैच खेलेगी. इस मैच में बड़ी जिम्मेदारी भारतीय हॉकी महिला टीम की गोल कीपर सविता पुनिया पर होगी. जिम्मेदारी बड़ी है तो मेहनत भी जबरदस्त ही होगी.
Tokyo Olympics: Indian Women's Hockey Team | Goal Keeper Savita Punia: ओलंपिक इतिसाह में ये पहला मौका है जब भारतीय महिला हॉकी टीम सेमी फाइनल मैच खेलेगी. इस मैच में बड़ी जिम्मेदारी भारतीय हॉकी महिला टीम की गोल कीपर सविता पुनिया पर होगी. जिम्मेदारी बड़ी है तो मेहनत भी जबरदस्त ही होगी. सविता पुनिया इन दिनों जी तोड़ मेहनतर कर रही हैं. वहीं उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से कुछ ट्विट किए जिसमें वे वर्कआउट करते हुए नजर आ रही हैं. सविता पुनिया ने वर्कआउट के कई ट्विट किए जिसमें वे जिम में पसीना बहाते हुए नजर आ रही हैं.
सविता पुनिया ने 7 जुलाई को एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें वे वर्क आउट करती नजर आ रही हैं. इसे ट्विट करते हुए सविता पुनिया ने कहा, हम अकेले नहीं हैं... हमें अपने देश भारत का प्यार और समर्थन मिल रहा है. Tokyo Olympics 2020: कांस्य पदक के साथ दिल्ली पहुंची पीवी सिंधु, एयरपोर्ट पर हुआ जोरदार स्वागत
वहीं इससे पहले उन्होंने 5 मई को एक वीडियो पोस्ट ट्विट किया. इसमें सविता पुनिया जमकर वर्कआउट करती नजर आ रही हैं. इस ट्विट को साझा कर शायद उन्होंने जता दिया था कि भारत इस बार ओलंपिक में धमाल मचाने वाला है.
वहीं उन्होंने बीती 9 जून को भी वर्कआउट का एक वीडियो ट्विट किया और कहा, किरदार शिद्दत से निभाइये जिंदगी में, कहानी तो एक दिन सभी को होना है.
वहीं उन्होंने एक अन्य ट्विट में कहा, जो अपने क़दमों की काबिलियत पर विश्वास रखते हैं, वो ही अक्सर मंज़िल पर पहुँचते हैं.
बता दें कि सविता को हॉकी खेलने की प्रेरणा उनके दादा रंजीत सिंह पुनिया से मिली थी. उन्होंने दादा के कहने पर ही हॉकी स्टिक थामी थी. सविता का कहना है कि अगर उनके दादा ने न कहा होता वो जुडो या बैडमिंटन खिलाड़ी होती. सविता के दादाजी रेडियो पर हॉकी कमेंट्री सुनते थे और सविता को लोकल मैच दिखाने ले जाते. उन्होंने अपने एक बयान में कहा था, लेकिन मेरे दादाजी कुछ और हासिल करने के लिए मेरे घर छोड़ने पर अड़े थे और घर के बाकी लोग भी थे, जो बहुत खुले विचारों वाले थे और वे भी चाहते थे कि मैं कुछ हासिल करूं."