टोक्यो, 29 जुलाई: टोक्यो ओलिपिंक 2020 (Tokyo Olympics 2020) में भारोत्तोलक सेखोम मीराबाई चानू (Chanu Saikhom Mirabai) के रजत पदक (Silver Medal) के बाद एक और पदक पक्का हो गया है. दरअसल असम (Assam) के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखने वाली लवलीना बोरगोहेन (Lovlina Borgohain) ने चीनी बॉक्सर ताइपे की निएन चिन चेन को क्वार्टर फाइनल (Quarter Final) में 4-1 से शिकस्त देते हुए अबतक कांस्य पदक (Bronze medal) पर अपना कब्जा जमा लिया है.
देश को अब उनसे उम्मीदें है कि वह अपनी विपक्षी खिलाड़ियों को सेमीफाइनल और फाइनल मुकाबले में भी शिकस्त देकर देश को इस साल का पहला गोल्ड मेडल दिलाएं. बात करें लवलीना के बारे में तो वह पूर्वोत्तर राज्य असम से ओलंपिक खेलों तक जाने वाली पहली महिला बॉक्सर हैं. वो 69 किलोग्राम वेल्टरवेट वर्ग में खेलती हैं.
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टोक्यो ओलिपिंक 2020 में लवलीना ने जिस चीनी खिलाड़ी को शिकस्त दी है वो पूर्व विश्व चैंपियन हैं और अब तक के कई मुकाबलों में वह उनसे हारती आई थीं. लवलीना की मौजूदा उम्र 24 साल है.
लवलीना बोरगोहेन असम के गोलाघाट (Golaghat) जिले में पड़ने वाली सरुपथर (Sarupathar) विधानसभा के छोटे से गांव बरोमुखिया (Baromukhiya) की रहने वाली हैं. लवलीना के गांव में महज दो हजार की आबादी निवास करती है.
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लवलीना बोरगोहेन सिर्फ 24 साल की हैं. उन्होंने असम के एक छोटे से गांव से ओलंपिक तक का सफर तय किया है. लवलीना बोरगोहेन असम के गोलाघाट जिले में पड़ने वाली सरुपथर विधानसभा के छोटे से गांव बरोमुखिया की रहने वाली हैं. उनके गांव में महज 2 हजार की आबादी है.
लवलीना बोरगोहेन के पिता एक छोटे व्यपारी हैं. इसके अलावा वो कुल तीन बहनें हैं. लवलीना की दोनों बहनें लिचा और लीमा किक बॉक्सर हैं. बहनों का प्रभाव उनपर भी पड़ा और वो भी किकबॉक्सिंग में जुट गईं.