Ind vs WI: पिछले 24 साल से भारत में टेस्ट जितने को बेताब है वेस्टइंडीज

पिछले लगभग तीन दशकों में विदेशी टीमों को भी भारतीय सरजमीं पर जूझना पड़ा है और वेस्टइंडीज की टीम भी अपवाद नहीं है जिसके खिलाफ भारत को गुरुवार से राजकोट में दो टेस्ट मैचों की श्रृंखला का पहला मैच खेलना है. भारत ने इस बीच 2002 और 2011 में तीन.तीन टेस्ट मैचों की श्रृंखला में 2-0 के समान अंतर से जीत दर्ज की जबकि 2013 में सचिन तेंदुलकर की विदाई श्रृंखला में 2-0 से क्लीन स्वीप किया.

प्रतीकात्मक तस्वीर(Photo Credit: PTI)

नई दिल्ली: विराट कोहली तब बल्ला थामना सीख रहे थे तो ऋषभ पंत और पृथ्वी साव का जन्म भी नहीं हुआ था जबकि कुलदीप यादव ने उसी दिन दुनिया के दीदार किये थे जब वेस्टइंडीज ने भारतीय सरजमीं पर अपना आखिरी टेस्ट मैच जीता था. वेस्टइंडीज ने भारत में अपना आखिरी टेस्ट मैच 14 दिसंबर 1994 को मोहाली में जीता था. इसी दिन कानपुर में कुलदीप यादव का जन्म हुआ था जबकि कोहली तब केवल छह साल के थे. इसके बाद वेस्टइंडीज ने भारतीय धरती पर जो आठ टेस्ट मैच खेले उनमें से छह में उसे हार का सामना करना पड़ा जबकि दो मैच ड्रा रहे. इस लिहाज से इस टीम में कोई भी ऐसा खिलाड़ी नहीं है जिसने कभी वेस्टइंडीज से हार झेली हो.

पिछले लगभग तीन दशकों में विदेशी टीमों को भी भारतीय सरजमीं पर जूझना पड़ा है और वेस्टइंडीज की टीम भी अपवाद नहीं है जिसके खिलाफ भारत को गुरुवार से राजकोट में दो टेस्ट मैचों की श्रृंखला का पहला मैच खेलना है. भारत ने इस बीच 2002 और 2011 में तीन.तीन टेस्ट मैचों की श्रृंखला में 2-0 के समान अंतर से जीत दर्ज की जबकि 2013 में सचिन तेंदुलकर की विदाई श्रृंखला में 2-0 से क्लीन स्वीप किया.

सिर्फ वेस्टइंडीज ही नहीं अन्य टीमों के लिये भी पिछले दो दशक से अधिक समय में भारत में जीत दर्ज करना मुश्किल रहा है. पिछले 18 वर्षों (एक जनवरी 2001 से) में भारत ने अपनी सरजमीं पर जो 86 मैच खेले हैं उनमें से 50 में उसे जीत मिली. इस बीच उसने केवल दस मैच गंवाये और बाकी 26 मैच ड्रा रहे. भारतीय टीम भले ही विदेशों में अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पा रही है लेकिन अपनी पिचों पर उसका कोई सानी नहीं है. पिछले आठ वर्षों (एक जनवरी 2011 से) में केवल इंग्लैंड (दो मैच) और आस्ट्रेलिया (एक मैच) ही भारत में जीत दर्ज कर पाये हैं. इस बीच हालांकि इंग्लैंड ने नौ मैचों से पांच और आस्ट्रेलिया ने आठ मैचों से छह में हार भी झेली है.

भारत ने पिछले आठ वर्षों में अपनी धरती पर जो 36 टेस्ट मैच खेले हैं उनमें से 26 में उसे जीत मिली है और तीन में हार जबकि बाकी सात मैच ड्रा समाप्त हुए.

वेस्टइंडीज के कोच स्टुअर्ट लॉ भारत में मिलने वाली चुनौती से अच्छी तरह वाकिफ हैं लेकिन उन्हें उम्मीद है कि लगातार सुधार कर रही उनकी टीम कुछ अप्रत्याशित परिणाम हासिल करने में सफल रहेगी.

लॉ ने राजकोट में कहा, ‘‘ भारतीय टीम रैंकिंग में शीर्ष पर है, हम आठवें स्थान पर हैं. हम उनके घरेलू मैदान पर खेल रहे हैं, यह काफी बड़ी चुनौती है.  भारतीय दौरे पर आने वाली अधिकतर टीमों को सफलता नहीं मिली है. हम इन तमाम चुनौतियों को समझते हैं लेकिन दूसरी तरफ हमारी टीम में सुधार हो रहा है.’’ वेस्टइंडीज को पिछले 24 वर्षों में भारतीय मैदानों पर पहली जीत की दरकार है लेकिन दो टीमें ऐसी भी हैं जिन्होंने तीन दशक से यहां एक भी टेस्ट नहीं जीता है. श्रीलंका ने 1982 में भारत में अपना पहला टेस्ट मैच खेला था और तब से लेकर उसका भारत में पहली जीत का इंतजार बना हुआ है. इस बीच श्रीलंका ने भारत में 20 मैच खेले जिसमें 11 में उसे हार मिली। बाकी नौ मैच ड्रा रहे.

न्यूजीलैंड की टीम ने भारत में अंतिम जीत नवंबर 1988 में दर्ज की थी. इसके बाद खेले गये 17 मैचों में से नौ में उसे हार मिली है. उसने भारत में जो पिछले छह मैच खेले हैं उनमें से हार मिली है. जिम्बाब्वे ने 1993 में भारत में पहला टेस्ट मैच खेला था. उसने 2002 तक भारतीय धरती पर पांच टेस्ट मैच खेले जिनमें से चार में उसे हार मिली. जिम्बाब्वे ने पिछले 16 वर्षों में भारत में कोई टेस्ट मैच नहीं खेला है. अफगानिस्तान और बांग्लादेश ने भारत में अब तक केवल एक एक टेस्ट मैच खेला है जिनमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

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