एडिलेड 2014, बेंगलुरु 2017 और पर्थ 2018 में नाथन लायन, साउथहैंपटन 2014 और 2018 में मोईन अली हो या फिर 2017 पुणे में स्टीव ओ कीफ इन तीनों फिरकी गेंदबाजों ने भारतीय बल्लेबाजों को परेशान किया. भारतीय बल्लेबाजों को जिन्हें हमेशा स्पिनरों के खिलाफ मजबूत समझा जाता रहा है उनका इन फिरकी गेंदबाजों के सामने ढेर हो जाना चिंता का विषय है. खास कर तब जब हमारे पास स्पिनरों पर चढ़ाई करने का इतिहास रहा हैं.
स्पिनरों के सामने टीम इंडिया के बल्लेबाजों को घुटने टेकता देख उन क्रिकेट फैन्स को सबसे ज्यादा दुख हो रहा हैं जिन्होंने 1990 और 2000 के दशक में सचिन, द्रविड़ और लक्ष्मण को स्पिन गेंदबाजों पर हावी होते देखा हैं. उस दौर के भारतीय बल्लेबाज स्पिनरों के लिए मददगार पिच पर भी वार्न, मुरलीधरन और सकलैन मुश्ताक जैसे वर्ल्ड क्लास स्पिनरों को बेहद आसानी से खेलते थे. सचिन द्वारा शेन वार्न को मारे गए पैडल स्वीप या सहवाग द्वारा मुरलीधरन को मारे गए लंबे-लंबे छक्के देखने के बाद मोईन अली और नाथन लायन की गेंदों पर भारतीय बल्लेबाजों को धराशाई होता देख खेल प्रेमियों को काफी निराशा होती है.
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ऐसे में बड़ा सवाल यहां यह खड़ा होता है कि उस वक्त में और आज में ऐसा क्या बदलाव हुआ है कि टीम इंडिया के बल्लेबाज स्पिनरों के आगे टिक नहीं पा रहे हैं? क्यों कोहली के आलावा कोई और बल्लेबाज घुमती गेंदों को पढ़ नहीं पा रहे हैं? हमने वजह तलाश करने की प्रयास किया.
वजह नंबर 1- खराब फुटवर्क:
टी 20 और सिमित ओवरों के मैच खेलने के आदी हो चुके टीम इंडिया के बल्लेबाजों के फुटवर्क को लेकर काफी सवाल खड़े किए जा रहे हैं. मौजूदा भारतीय बैटिंग लाइन-अप में बहुत कम ऐसे बल्लेबाज हैं जो गेंद के पिच तक जाकर उसे खेलते हैं. ज्यादातर बल्लेबाज क्रिस में खड़े रहकर ही गेंद को खेलते है.
वजह नंबर 2-टेम्परामेंट:
आज की टीम इंडिया के बल्लेबाजों के पास द्रविड़, लक्ष्मण और सचिन जैसा टेम्परामेंट नहीं है. लगभग सभी खिलाडी आईपीएल में खेलते हैं और बड़े शॉट लगाने के आदी हो गए हैं. कई बार परिस्तिथि ऐसी होती है कि बल्लेबाजों को संयम के साथ गेंदों को रक्षात्मक तरीके से खेलना पड़ता है. मगर मौजूदा भारती लाइन-अप में बल्लेबाज बड़े शॉट खेलने की कोशिश करते हैं.
वजह नंबर 3- सभी दांए हाथ के बल्लेबाज:
मौजूदा भारतीय टीम में टॉप आर्डर में सभी दांए हाथ के बल्लेबाज हैं. हालांकि पंत टीम में हैं मगर वो लोअर आर्डर में खेलते हैं. सभी दए हाथ के बल्लेबाज होने से विरोधी टीम के स्पिनरों को काफी फायदा होता है. उन्हें बार-बार फील्ड बदलनी नहीं पड़ती और लगातार एक ही लाइन पर गेंद करनी होती है.
बहरहाल, अगर टीम इंडिया को आगे टेस्ट मैच जीतने हैं तो उन्हें स्पिनरों के खिलाफ जमकर प्रैक्टिस करनी होगी. वैसे भारत में आज भी अश्विन, कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल जैसे अच्छे स्पिनर हैं. इनके खिलाफ लाल गेंद से प्रैक्टिस की तो इसका फायदा मिल सकता है.
टीम इंडिया के मौजूदा बल्लेबाजों को सचिन, द्रविड़, लक्ष्मण और अजहर जैसे बल्लेबाजों के पुराने वीडियो देखने से भी फायदा हो सकता हैं. उन्हें देखना चाहिए कि किस तरह ये बल्लेबाज फुटवर्क और कालियों के इस्तेमाल से स्पिनरों के खिलाफ इतने रन बनाते थे.