एलिस्टर कुक के मैच में उनका विकेट लेना 'यादगार लम्हा' रहा: हनुमा विहारी
हनुमा विहारी (Photo: PTI)

नई दिल्ली: भारतीय टीम के खिलाड़ी हनुमा विहारी को एक ऐसे मैच के साथ टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण का मौका मिला, जो एलिस्टर कुक जैसे दिग्गज बल्लेबाज के शानदार करियर का विदाई मैच था. हनुमा ने न सिर्फ क्रिकेट के सबसे चुनौतीपूर्ण प्रारूप में पदार्पण कर अपने सपने को सच किया बल्कि कुक जैसे दिग्गज का विकेट लेकर उसे यादगार भी बना दिया.

कुक ने इस साल 7 सितम्बर को शुरू हुए उस मैच की पहली पारी में 71 रन बनाए थे और दूसरी पारी में 147 रनों की यादगार पारी खेली थी. इंग्लैंड की दूसरी पारी में कुक को हनुमा ने विकेट के पीछे ऋषभ पंत के हाथों कैच कराया. हनुमा ने इंग्लैंड के लिए सबसे अधिक रन बनाने वाले कुक के इस विकेट को 'यादगार पल' बताया और कहा कि वह इस पल को जिंदगी भर नहीं भूल पाएंगे.

लंदन में द ओवल मैदान पर खेले गए पांचवें मैच से पहले कुक ने घोषणा कर दी थी कि वह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह देंगे. हनुमा की किस्मत में यह उपलब्धि लिखी थी और कुक का विकेट लेकर उन्होंने अपना नाम एक लिहाज से 'अमर' कर लिया. हनुमा की किस्मत उनके साथ थी क्योंकि तीन मैचों के लिए चुनी गई टीम में वह शामिल नहीं थे लेकिन बाद में बाकी के दो मैचों के लिए उन्हें भारतीय टीम में चुना गया और इंग्लैंड पहुंचते ही आखिरी टेस्ट में उन्हें अंतिम-11 में जगह भी मिल गई.

हनुमा ने आईएएनएस से फोन पर साक्षात्कार में कहा, "मुझे कुक से बात करने का मौका नहीं मिला, लेकिन उनकी आखिरी टेस्ट पारी में उनका विकेट लेना मेरे लिए यादगार लम्हा है. मैं इस लम्बे को ताउम्र याद रखूंगा." हनुमा के लिए टेस्ट पदार्पण किसी भी लिहाज से आसान नहीं रहा. वह जब पहली बार बल्लेबाजी करने उतरे थे तब भारतीय टीम परेशानी में थी और उसने अपने चार विकेट महज 103 रनों पर ही खो दिए थे. यहां से हनुमा ने पहले विराट कोहली के साथ और फिर रवींद्र जडेजा के साथ अर्धशतकीय साझेदारियां कीं.

हनुमा ने कहा कि उनकी कोशिश उस समय विकेट पर पैर जमाने और साझेदारियां करने की थी. अपने पहले टेस्ट की पहली पारी में 124 गेंदों में सात चौके और एक छक्के की मदद से 56 रन बनाने वाले हनुमा ने कहा, "मैं बस स्थिति के हिसाब से खेलने के बारे में सोच रहा था. मेरे दिमाग में था कि मुझे शुरुआती पलों में विकेट पर पैर जमाने हैं और फिर कुछ साझेदारियां करनी हैं, जिससे टीम को मदद मिले."

24 साल के इस खिलाड़ी ने कहा, "मैंने विराट और जडेजा के साथ साझेदारियां भी कीं, जिससे टीम को मदद मिली. मेरे लिए यह अच्छा अनुभव रहा. पहली बार इंग्लैंड में खेल रहा था. वो भी इतने अच्छे गेंदबाजी आक्रमण के सामने. इससे मेरा आत्मविश्वास बढ़ा."

हनुमा ने कहा कि उन्हें शुरुआत में एंडरसन और ब्रॉड को खेलने में परेशानी हुई लेकिन एक बार सेट होने के बाद उन्होंने अच्छी बल्लेबाजी की. बकौल हनुमा, "एंडरसन और ब्रॉड जैसे गेंदबाजों को खेलने में परेशानी हुई. मुझे हालात के साथ तालमेल बिठाने में थोड़ा समय लगा, लेकिन जब एक बार मैंने अपने पैर जमा लिए थे तब मैंने उन दोनों को अच्छा खेला."

हनुमा ने कहा कि वह जब इंग्लैंड जा रहे थे तब उन्हें अपने आप पर अच्छा करने का भरोसा था. दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने कहा, "मैंने इंग्लैंड में पहले भी खेला है. इंडिया-ए के दौरे किए हैं. इंडिया-ए के साथ मैंने इंग्लैंड में अच्छा किया था इसलिए मुझे भरोसा था कि मैं अच्छा कर सकता हूं."

नौ साल की उम्र में हैदराबाद से क्रिकेट की शुरुआत करने वाले हनुमा का कहना है कि उनका मुख्य काम रन बनाना है और मौका मिलने पर गेंद से विकेट निकालना. इसी के दम पर वह राष्ट्रीय टीम में अपना स्थान पक्का करने की कोशिश में हैं.

उन्होंने कहा, "मैं ऐसा बल्लेबाज हूं जो गेंदबाजी भी कर सकता है. मैं शीर्ष क्रम में बल्लेबाजी करता हूं और ऑफ स्पिन भी लेकिन मेरा प्राइमरी रोल बल्लेबाजी का है. मेरा काम रन बनाना है और मौके मिले तो विकेट लेना है. मेरी पूरी कोशिश है कि मैं इतनी प्रतिस्पर्धा के बीच में अच्छा प्रदर्शन कर टीम में अपनी जगह पक्की कर सकूं." हनुमा ने 16 साल की उम्र में हैदराबाद से रणजी ट्रॉफी पदार्पण किया इसके बाद वह बीते कुछ वर्षो से आंध्र प्रदेश के लिए खेल रहे हैं.

हनुमा से जब पूछा गया कि उन्होंने भारतीय ड्रेसिंग रूम में विराट, अजिंक्य रहाणे, चेतेश्वर पुजारा, रविचंद्रन अश्विन जैसे दिग्गजों के साथ रहकर क्या सीखा? तो उन्होंने कहा, "मेरा ध्यान इस पर था कि वो लोग कैसे तैयारी करते हैं. मैच से पहले अपने आप को तैयार करते हैं. मैच से पहले उनके दिमाग में क्या चल रहा होता है. यही चीजें हैं जो उन्हें वो खिलाड़ी बनाती हैं जो वो अभी हैं."

हनुमा को मलाल है कि जिन दो मैचों के लिए वह इंग्लैंड गए थे वह दोनों मैच भारतीय टीम हार गई. उन्होंने कहा, "दुर्भाग्यवश मैं जिन दो मैचों के लिए टीम में चुना गया था वो दोनों मैच हम हार गए, लेकिन ड्रेसिंग रूम में मैंने काफी कुछ सीखा. मैं खुश हूं कि मैं उस ड्रेसिंग रूम का हिस्सा बन सका." हनुमा 2012 में अंडर-19 विश्व कप जीतने वाली टीम का भी हिस्सा रहे थे. बीते घरेलू सीजन में शानदार प्रदर्शन के कारण उन्हें टेस्ट टीम में जगह मिली.