नई दिल्ली, 8 अगस्त : भारतीय क्रिकेट में 8 अगस्त का दिन खास है. इस दिन भारत के तीन ऐसे क्रिकेटरों का जन्म हुआ था, जिसमें दो बल्लेबाज और एक तेज गेंदबाज थे. यह तीनों ही खिलाड़ी अपार प्रतिभा के धनी थे, जिन्होंने अपनी टीम के लिए अहम योगदान दिया. 8 अगस्त 1968 को जन्मे एक ऐसे गेंदबाज की 90 के दशक में एंट्री हुई, जिसने अपनी कद काठी और गेंदबाजी से काफी चर्चाएं बटोरी. यह वह समय था, जब जवागल श्रीनाथ और वेंकटेश प्रसाद की जोड़ी की तूती बोलती थी. हालांकि, अबेय कुरुविला का देरी से भारतीय क्रिकेट टीम में डेब्यू हुआ था.
करीब छह फुट छह इंच लंबे मुंबई के कुरुविला भारत के सबसे लंबे गेंदबाजों में से एक थे. दिलचस्प तथ्य यह है कि, इतनी लंबाई के बावजूद वह बहुत तेज गति के गेंदबाज नहीं थे. उनकी गति मध्यम ही थी. उनकी ताकत स्विंग गेंदबाजी और धीमी गेंद की अच्छी समझ थी. 1996-97 में, जवागल श्रीनाथ के चोटिल होने के बाद ही कुरुविला को भारतीय टीम में जगह मिली थी. देरी से मौका मिलने के बाद, जब उन्होंने खेलना शुरू किया तो अपने खेल से क्रिकेट विशेषज्ञों और प्रशंसकों को समान रूप से प्रभावित किया. यह भी पढ़ें : पेरिस ओलंपिक 2024: आज हॉकी में ब्रोंज मेडल के लिए भिड़ेंगे भारत और स्पेन, जानें कब और कहां देखें लाइव मैच
उनकी गेंदबाजी में शानदार नियंत्रण और बल्लेबाज को परेशान करने की क्षमता थी. साथ ही, उनकी धीमी ऑफ कटर भी काफी कारगर थी. उन्होंने 1997 में जमैका के किंग्सटन में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना टेस्ट डेब्यू किया. बारबाडोस में चौथे टेस्ट में उनके 5/68 के शानदार प्रदर्शन ने उनको देश भर में चर्चित कर दिया.
कुरुविला ने एकदिवसीय मैचों में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया, जहां उन्होंने 1997 में कोलंबो में श्रीलंका के खिलाफ चार विकेट लिए थे. कुरुविला ने सलिल अंकोला, पारस म्हाम्ब्रे, नीलेश कुलकर्णी और बाद में अजित अगरकर के साथ खेला. इन सभी ने मिलकर उस दौरान मुंबई को एक सफल टीम बनाने में मदद की. उन्होंने 1999-2000 में क्रिकेट से संन्यास ले लिया.
8 अगस्त 1952 को भारतीय बल्लेबाज सुधाकर राव का जन्म हुआ था, जो सत्तर और अस्सी के दशक में कर्नाटक क्रिकेट में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी थे. सुधाकर तकनीकी रूप से बेहतरीन बल्लेबाज थे, और हर तरह का शॉट खेलने की विविधता उनकी खासियत थी. उन्होंने सबसे पहले विश्वविद्यालय स्तर पर बड़े स्कोर बनाकर अपनी पहचान बनाई, और फिर राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी इसी तरह का प्रदर्शन जारी रखा.
1975-76 में हैदराबाद के खिलाफ नाबाद 200 रनों की पारी ने उन्हें भारतीय टीम में जगह दिलाई. हालांकि अपने एकमात्र एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मैच में चार रन बनाकर रन आउट हो गए. भले ही उन्हें भारत के लिए एक ही वनडे मैच खेलने का अवसर मिला, लेकिन 83 फर्स्ट क्लास मैचों में करीब 40 की औसत के साथ 4014 रन बनाए.
8 अगस्त को जन्मे तीसरे महत्वपूर्ण क्रिकेटर दिलीप सरदेसाई हैं, जिनका जन्म 1940 को हुआ था. दिलीप सरदेसाई भारत के ऐसे टेस्ट क्रिकेटर थे, जो स्पिन गेंदबाजी के खिलाफ शानदार बल्लेबाजी के लिए जाने जाते थे. उन्होंने भारतीय टीम के लिए कुल 30 टेस्ट मैच खेले, जिसमें उन्होंने 39.23 की औसत के साथ 2001 रन बनाए.
दिलीप सरदेसाई के बारे में दिलचस्प तथ्य यह है कि, वह गोवा से आने वाले एकमात्र ऐसे क्रिकेटर हैं, जिन्होंने भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व किया है. सरदेसाई ने अपना टेस्ट डेब्यू साल 1961 में इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच से किया था. सरदेसाई को 23 जून, 2007 को चेस्ट इंफेक्शन के कारण मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनका निधन 2 जुलाई को हो गया था. दिलीप सरदेसाई के बेटे राजदीप सरदेसाई भारत के वरिष्ठ पत्रकार हैं.