मद्रास उच्च न्यायालय ने हाल ही में टिप्पणी की कि लोक सेवक, स्कूली बच्चों की तरह, हमेशा सार्वजनिक छुट्टियों और काम से छूट की प्रतीक्षा करते हैं. उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ के न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन ने आगे कहा कि अंबेडकर जयंती, को नागरिकों की भावनाओं के सम्मान के लिए एक सार्वजनिक अवकाश के रूप में घोषित किया था, डॉ. अंबेडकर खुद चाहते थे कि लोग और अधिक काम करें. .

कुडनकुलम न्यूक्लियर पावर एम्प्लाइज यूनियन के सदस्यों द्वारा 14 अप्रैल, 2018 को घोषित अवकाश पर काम करने के लिए "दोगुने वेतन" की मांग करने वाली याचिका का निपटारा करते हुए यह टिप्पणी की गई थी.

हालांकि अदालत ने कहा, "डॉ. अम्बेडकर ऐसे व्यक्ति थे जो चाहते थे कि लोग उनकी जयंती पर छुट्टी घोषित करने के बजाय कड़ी मेहनत करें. हमने भावनाओं और प्रतीकों की एक प्रणाली का पालन किया और दक्षता के बजाय शिष्टाचार में विश्वास किया." कोर्ट ने कहा कि देश प्रतीकवाद और भावनाओं की बहुत परवाह करता है.

Public servants are like school children; look forward to public holidays: Madras High Courthttps://t.co/bGLsNyxxlL pic.twitter.com/4cxvvYtj2c

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