केरल उच्च न्यायालय ने हाल ही में इस बात पर जोर दिया कि अदालतों को हर उस मामले में बच्चे के पितृत्व का निर्धारण करने के लिए डीएनए परीक्षण का निर्देश नहीं देना चाहिए जहां पितृत्व विवादित है. कोर्ट ने कहा कि किसी बच्चे के पितृत्व पर महज विवाद ही डीएनए टेस्ट कराने का आदेश देने के लिए पर्याप्त नहीं है. न्यायालय ने कहा, पितृत्व का एक विशिष्ट खंडन होना चाहिए. न्यायमूर्ति ए बदहरुदीन ने कहा कि सिर्फ असाधारण मामलों में डीएनए परीक्षणों का आदेश दिया जा सकता है.
अदालत ने कहा, अन्य मामलों में, पक्षों को बच्चे के पितृत्व को साबित करने के लिए सबूत पेश करने का निर्देश दिया जाना चाहिए. उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि "केवल जब अदालत को ऐसे सबूतों के आधार पर निष्कर्ष निकालना असंभव लगता है या विवाद को डीएनए परीक्षण के बिना हल नहीं किया जा सकता है, तो वह डीएनए परीक्षण का निर्देश दे सकता है, अन्यथा नहीं."
DNA test to clear suspicions on child's paternity can only be ordered in exceptional cases: Kerala High Court
report by @SaraSusanJiji https://t.co/Ofp1WGj6lU
— Bar & Bench (@barandbench) September 20, 2023
उच्च न्यायालय ने पितृत्व परीक्षण के लिए उसकी याचिका को खारिज करने के पारिवारिक अदालत के फैसले के खिलाफ एक व्यक्ति की अपील को खारिज करते हुए ये टिप्पणियां कीं. व्यक्ति (याचिकाकर्ता) ने अपनी अलग हो चुकी पत्नी के इस दावे का खंडन किया कि वह उसके बच्चे का पिता है. पत्नी ने व्यक्ति की याचिका पर आपत्ति जताई और कहा कि वह केवल गुजारा भत्ता देने से बचने के लिए बच्चे के पितृत्व पर विवाद कर रहा है. उच्च न्यायालय ने अंततः उस व्यक्ति की याचिका खारिज कर दी और पारिवारिक अदालत के आदेश को बरकरार रखा.
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