इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नवरात्रि और रामनवमी त्योहारों के दौरान धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करने और कलाकारों को मानदेय देने के लिए प्रत्येक जिले को 1 लाख रुपये आवंटित करने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका खारिज कर दी है. मंदिरों में आयोजित कार्यक्रमों में कलाकारों को मानदेय देने के योगी आदित्यनाथ सरकार के फैसले को बरकरार रखते हुए हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा है कि यह किसी भी धर्म या धार्मिक संप्रदाय के प्रचार में राज्य की लिप्तता नहीं है. यह भी पढ़ें: Children Not Property Of Parents: वैवाहिक विवादों में बच्चों के साथ अपनी प्रॉपर्टी की तरह न करें व्यवहार- बॉम्बे हाई कोर्ट

अदालत ने कहा, वास्तव में यह राज्य की एक साधारण धर्मनिरपेक्ष गतिविधि है, यह राज्य द्वारा किए गए विकास कार्यों को प्रचारित करने में शामिल है. जस्टिस डी के उपाध्याय और ओ पी शुक्ला की पीठ ने मोतीलाल यादव द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया, जिसमें राज्य सरकार के 10 मार्च, 2023 के फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें उसने रामनवमी के अवसर पर प्रत्येक जिले को 1 लाख रुपये आवंटित किए थे. अदालत का आदेश 22 मार्च को पारित किया गया था. लेकिन मंगलवार को ही अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया गया.

देखें ट्वीट:

(SocialLY के साथ पाएं लेटेस्ट ब्रेकिंग न्यूज, वायरल ट्रेंड और सोशल मीडिया की दुनिया से जुड़ी सभी खबरें. यहां आपको ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर वायरल होने वाले हर कंटेंट की सीधी जानकारी मिलेगी. ऊपर दिखाया गया पोस्ट अनएडिटेड कंटेंट है, जिसे सीधे सोशल मीडिया यूजर्स के अकाउंट से लिया गया है. लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है. सोशल मीडिया पोस्ट लेटेस्टली के विचारों और भावनाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करता है, हम इस पोस्ट में मौजूद किसी भी कंटेंट के लिए कोई जिम्मेदारी या दायित्व स्वीकार नहीं करते हैं.)