Sand Boa Snake: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के दुधवा वन क्षेत्र (Dudhwa Forest) के पास से लाल सैंड बोआ सांप (Red Sand Boa Snake) की तस्करी (Smuggling) करने की कोशिश में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है. रिपोर्ट्स के अनुसार, पुलिस की गिरफ्त में आए आरोपी दिल्ली के हैं और उन्होंने खीरी के एक सपेरे से 10 लाख रुपए में सैंड बोआ सांप (Sand Boa Snake) को खरीदा था और मुंबई में इस सांप को 50 लाख रुपए में बेचने की योजना बनाई थी. दरअसल, सैंड बोआ सांप जहरीले नहीं होते हैं, लेकिन इनकी ब्लैक मार्केट में काफी ज्यादा डिमांड होती है. सैंड बोआ सांप को ब्लैक मार्केट (Black Market) में सबसे महंगे सांपों (Snakes) में से एक माना जाता है. चलिए जानते हैं आखिर क्यों ब्लैक मार्केट में इस प्रजाति के सांपों की डिमांड सबसे ज्यादा है और इनकी तस्करी क्यों की जाती है?
दरअसल, सैंड बोआ के विभिन्न उपयोग हैं और उनसे जुड़े मिथक और तथ्य के कारण इस प्रजाति के सांपों का खास महत्व बताया जाता है, जबकि वैज्ञानिक नजरिए से इन गैर-विषैले सांपों का उपयोग औषधि के लिए किया जाता है. कई लोग इस सांप का इस्तेमाल काला जादू करने के लिए करते रहे हैं. सैंड बोआ की मांग मलेशियाई अंधविश्वासों से भी जोड़ा गया है, जो दावा करते हैं कि सैंड बोआ का मालिक होना सौभाग्य की बात है. भारत के कई राज्यों में बड़े पैमाने पर सैंड बोआ सांप की तस्करी की जाती है और इसके पीछे का मुख्य कारण अंधविश्वास और काले जादू में सांप का इस्तेमाल माना जाता है. यह भी पढ़ें: Red Sand Boa Snake Smuggling: दुधवा वन क्षेत्र में लाल बोआ सांप के साथ चार गिरफ्तार
कहा जाता है कि सैंड बोआ सांपों के दो सिर होते हैं, क्योंकि इस सांप की पूंछ भी सिर की तरह दिखती है. इस प्रजाति के सांप उन संरक्षित जानवरों में से एक हैं, उचित दस्तावेज के बिना जिसका स्वामित्व प्राप्त नहीं हो सकता है. इस प्रक्रिया से लोगों के लिए सरीसृप का मालिक होना बेहद मुश्किल हो जाता है. ऐसा अक्सर उसकी ज्यादा कीमत होने के कारण होता है. इन सांपों की बिक्री का मुख्य बाजार चीन, मलेशिया और आसपास के अन्य एशियाई देशों से आता है, जो सांप को अपनाकर अपनी किस्मत चमकाने के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार रहते हैं. यह भी पढ़ें: Rainbow Python: क्या आपने कभी देखा है इंद्रधनुषी अजगर? बार-बार देखा जा रहा है इस अद्भुत सांप का वायरल वीडियो
दो सिर वाले बोआ सांप वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची IV के तहत सूचीबद्ध हैं, जो सरीसृपों की रक्षा करता है. इसका मतलब यह है कि बोआ सांप के साथ पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को सांपों के उचित दस्तावेज उपलब्ध कराने की जरूरत है और इसे पेश करने में विफलता उन्हें अपराधी की श्रेणी में ला सकता है. हालांकि आसान पैसा बनाने के लालच में विभिन्न भारतीय राज्यों में पाए जाने वाले इन दुर्लभ सरीसृपों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में तस्करी करने की कोशिश लगातार की जाती रही है.