Rajasthan: शादी के 54 साल बाद अलवर में बुजुर्ग दंपत्ति के घर गूंजी किलकारी, IVF के जरिए किया अपने पहले बच्चे का स्वागत
प्रतिकात्मक तस्वीर (Photo Credit : Pixabay)

Elderly Couple Welcomed Their Baby With the Help of IVF: शादी के बाद हर दंपत्ति (Couple) की ख्वाहिश होती है कि उनके घर-आंगन में नन्हे बच्चे की किलकारी गूंजे, लेकिन कई दंपत्ति सालों तक माता-पिता बनने का इंतजार ही करते रह जाते हैं और फिर बढ़ती उम्र के साथ-साथ वो अपनी माता-पिता बनने की उम्मीद को छोड़ देते हैं. इस बीच राजस्थान (Rajasthan) के अलवर (Alwar) से एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसे सुनकर आप भले ही हैरान हो सकते हैं, लेकिन किसी के घर सालों इंतजार के बाद बच्चे की किलकारी गूंजी है. राजस्थान के अलवर में रहने वाले 75 वर्षीय पुरुष और 70 वर्षीय महिला ने शादी के करीब 54 साल बाद आईवीएफ (IVF) के जरिए अपने पहले बच्चे का स्वागत किया है. डॉक्टरों का दावा है कि यह राज्य का एकमात्र ऐसा मामला है, जहां शादी के 54 साल बाद बुजुर्ग दंपत्ति माता-पिता (Elderly Couple Become Parents) बने हैं.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, अलवर में रहने वाले इस दंपत्ति ने माता-पिता बनने के लिए आईवीएफ तकनीक की मदद ली. कहा जा रहा है कि मां और बच्चा दोनों ही स्वस्थ हैं. डॉक्टरों का कहना है कि इस मामले ने बुजर्ग महिलाओं में भी गर्भाधान के बारे में जागरूकता बढाने का काम किया है, क्योंकि यह बिल्कुल असंभव के संभव होने जैसा मामला है.

बताया जाता है कि झुंझुनू के नुहनिया गांव के रहने वाले गोपीचंद एक पूर्व सैनिक हैं, जिन्हें बांग्लादेश युद्ध के दौरान पैर में गोली लग गई थी. इस उम्र में पिता बनने पर भी गोपीचंद बेहद खुश हैं और उन्होंने कहा- खुशी है कि हम अपने परिवार को आगे ले जा सकते हैं, क्योंकि मैं अपने पिता नैनू सिंह का इकलौता बेटा हूं.

खबरों की मानें तो करीब डेढ़ साल पहले गोपीचंद एक रिश्तेदार के जरिए फर्टिलिटी क्लीनिक पहुंचे थे, उनकी पत्नी चंद्रावती देवी नौ महीने पहले तीसरे आईवीएफ प्रयास पर गर्भधारण करने में सफल हो गईं. जहां चंद्रावती मां बनने को लेकर खुश थीं तो वहीं बढ़ती उम्र में होने वाली समस्याओं को लेकर वो चिंतित भी थीं, लेकिन सोमवार को उन्होंने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया. यह भी पढ़ें: MP: महिला ने 4 बच्चों को एक साथ दिया जन्म, समय से पहले पैदा हुए चारों नवजात पूरी तरह स्वस्थ

आईवीएफ क्या है?

आईवीएफ एक ऐसी तकनीक है, जिसमें अंडाशय से परिपक्व अंडों को एक प्रयोगशाला में शरीर के बाहर शुक्राणु के साथ निषेचित किया जाता है, ताकि भ्रूण पैदा किया जा सके, जिसे बाद में चिकित्सकीय रूप से गर्भाशय में रखा जाता है. आईवीएफ को टेस्ट ट्यूब बेबी के रूप में भी जाना जाता है. यह एक महंगी तकनीक है, जो निसंतान दंपत्तियों को संतान सुख प्राप्त करने में सहायक होती है.

गौरतलब है कि 40 वर्ष और उससे अधिक उम्र की महिलाओं के लिए आईवीएफ चक्र के काम करने की संभावना 20 फीसदी तक होती है, जबकि हर बढ़ते वर्ष के साथ इसकी सफलता दर में 2-3 फीसदी की गिरावट आती है. 45 वर्ष या उससे अधिक उम्र की महिलाओं में आईवीएफ उपचार के माध्यम से गर्भधारण की संभावना केवल 3 फीसदी होती है, जबकि प्राकृतिक गर्भाधान की गुंजाइश केवल 1 प्रतिशत होती है.