मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) के पालघर (Palghar) जिले के मुर्भे (Murbhe) में एक मछुआरा रातों रात करोड़पति बन गया. हाल ही में चंद्रकांत तारे (Chandrakant Tare) को तब बड़ा जैकपॉट (Jackpot) लगा, जब उन्होंने 157 घोल मछली (Ghol Fish) पकड़ी. दरअसल घोल को इस क्षेत्र की सबसे महंगी खाद्य और व्यावसायिक मछली माना जाता है. Fish With Human Teeth: नॉर्थ कैरोलीना में मिली इंसानी दांतों वाली मछली, वायरल फोटो देख उड़े लोगों के होश
रिपोर्ट्स के अनुसार, 28 अगस्त को चंद्रकांत तारे ने उत्तर प्रदेश और बिहार के व्यापारियों के एक संघ को 1.33 करोड़ रुपये में 157 घोल मछली बेची. मानसून के चलते मछली पकड़ने पर महीनों के लंबे प्रतिबंध के बाद तारे की यह पहली ट्रिप थी और संयोग से उनके हाथ बहुमूल्य घोल मछली लग गई.
तारे 15 अगस्त को हरबा देवी नाव (Harba Devi boat) पर 10 चालक दल के सदस्यों के साथ मछली पकड़ने गए थे. जब उनकी नाव पालघर तट से लगभग 25 समुद्री मील दूर वाधवान (Wadhwan) के पास पहुंची, तो मछुआरे ने गहरे समुद्र में जाल बिछा दिया. तब तारे की किस्मत बदली और घोल मछली जिसे "समुद्री सोना" भी कहा जाता है फंस गया.
तारे की बेशकीमती पकड़ी गई मछलियों का एक वीडियो जल्द ही मछुआरों के बीच वायरल हो गया और नाव के वापस लौटने पर मछली व्यापारियों का एक बड़ा समूह 28 अगस्त को नीलामी के लिए इकट्ठा हो गया. 157 घोल मछली पकड़ने और बेचने वाले तारे ने बताया कि इस कमाई से उन्हें वित्तीय नुकसान की भरपाई करने में मदद मिलेगी.
इस दौरान तारे ने 157 घोल मछली का 1.3 करोड़ रुपये में सौदा किया. घोल मछली, जिसे वैज्ञानिक रूप से प्रोटोनिबिया डायकैंथस (Protonibea Diacanthus) कहा जाता है, एक प्रकार की ब्लैकस्पॉटेड क्रोकर मछली (Blackspotted Croaker Fish) है. इसका उपयोग कॉस्मेटिक और फार्मास्युटिकल उद्देश्यों के लिए किया जाता है. इसके आलावा सर्जरी में इस्तेमाल होने वाले टांके का धागा भी घोल मछली से ही बनाया जाता है. घोल मछली की इंडोनेशिया, थाईलैंड, हांगकांग, सिंगापुर और मलेशिया में बहुत भारी मांग है. प्रदूषण के कारण पालघर जल क्षेत्र में घोल मछली की उपस्थिति अत्यंत दुर्लभ है.