World Peace Day 2019: आज जब संपूर्ण विश्व एक और विश्व-युद्ध की कगार पर खड़ा है. बड़ी शक्तियां अपने अहम की तृष्टि में तो छोटे देश अपनी सुरक्षा के नाम पर परमाणु एवं जैविक हथियारों का जखीरा इकट्ठा कर रहे हैं. वास्तविकता यह है कि युद्ध की विभीषिका ना बड़े देश झेलने की स्थिति में है, ना ही छोटे देश. ऐसे में एक ही पर्याय बचता है, और वह है विश्व में शांति एवं भाईचारा की स्थापना. शांति का अंतर्राष्ट्रीय दिवस मुख्य रूप से सम्पूर्ण विश्व में शांति और अहिंसा स्थापित करने के लिए मनाया जाता है. आज अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस है. पहले यह सितंबर के तीसरे शनिवार को मनाया जाता था लेकिन 2001 के बाद से प्रत्येक 21 सितंबर को 'अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस' के रूप में घोषित कर दिया गया.
शांति के लिए अहिंसा मुख्य माध्यम है
इस सत्य को नकारा नहीं जा सकता कि दुनिया में हिंसा है, क्योंकि हमारी प्राथमिकताएं बदल गई हैं. अपनी प्राथमिकताओं की पूर्ति के लिए हम युद्ध का सहारा लेते हैं. लेकिन क्या युद्ध ही एकमात्र पर्याय है. क्योंकि इतिहास गवाह है कि युद्ध से केवल सर्वनाश ही होता है. इसलिए सभी राष्ट्रों को मिलकर समान रूप से विश्व शांति में अपना आवश्यक सहयोग देना चाहिए. विश्व शांति पूरी पृथ्वी में अहिंसा स्थापित करने का एक माध्यम है. दुनिया के हर निवासियों को भगवान महावीर, गौतम बुद्ध एवं महात्मा गांधी के बताए करुणा एवं अहिंसा के मार्ग पर चलना होगा, तभी विश्व में शांति की स्थापना की जा सकती है. वस्तुतः हम एक ही प्रकाश ज्योति और एक ही मानव जाति के हिस्से हैं, जिसका एक ही सिद्धांत है मिलजुल कर पूरे भाईचारे और सद्भावना के साथ रहना.
सभी के जीवन का एक ही लक्ष्य शांति और खुशी
जीवन का प्रमुख लक्ष्य शांति और खुशी प्राप्त करना है, जिसके लिए मनुष्य निरंतर सक्रिय तो है, लेकिन शांति के प्रयास को लेकर बहुत गंभीर नहीं. इसी संदर्भ में प्रत्येक वर्ष 21 सितंबर को पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस के रूप में मनाया जाता है. वास्तव में विश्व स्तर पर शांति बनाए रखने के लिए ही इस दिवस को मनाए जाने पर को हरी झंडी दिखाई गयी थी. लेकिन पूरे विश्व के हालात देखते हुए जाहिर होता है कि कहीं भी शांति के हालात नजर नहीं आते.
विश्व शांति और गांधी जी की अहिंसा नीति
महात्मा गाँधी ने अपने असाधारण कार्यों एवं अहिंसावादी सिद्धांतों से पूरी दुनिया को शांति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया. उनके इस विश्वास ने पूरी दुनिया की सोच बदल दी थी. आज़ादी एवं शांति की स्थापना ही गांधी जी के जीवन का एकमात्र लक्ष्य था. उनके द्वारा स्वतंत्रता और शांति के लिए शुरू की गई इस लड़ाई ने भारत और दक्षिण अफ्रीका में कई ऐतिहासिक आंदोलनों को एक नई दिशा दिखलाई थी. वर्तमान में अफगानिस्तान, इराक, इरान, पाकिस्तान, लीबिया, सोमालिया समेत दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जारी युद्ध, संघर्ष और हिंसा को देखते हुए आज के विशेषज्ञ भी मानते हैं कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की अहिंसा और सत्याग्रह की नीतियां बेहद प्रासंगिक है. सिर्फ इन्हीं की अलख जगाकर विश्व शांति कायम की जा सकती है.
यह भी पढ़ें: World Alzheimer's Day 2019: आज है वर्ल्ड अल्जाइमर डे, क्या है ये बीमारी? जानिए इसके लक्षण और बचाव के तरीके
‘विश्व के कई हिस्सों में जहां हिंसा और संघर्ष चल रहा है, वहीं मिस्र, लैटिन अमेरिका, चीन, म्यामांर समेत पूरी दुनिया में लोग गांधी के पदचिन्हों पर चलते हुए आज भी अहिंसक तरीके से क्रांति की अलख जगाए हुए हैं. लेह वालेसा ने पोलैंड में क्रूर कम्युनिस्ट शासन को गांधीवादी तरीके से चुनौती दी. मजदूर संघ सोलिडेरिटी के नेता वालेसा ने 31 अगस्त 1980 को गडास्क शिपयार्ड से अपने आंदोलन की शुरूआत की थी. उन्होंने बताया कि लेह वालेसा ने अहिंसक तरीके से गांधी जी के सत्याग्रह का अनुसरण करते हुए अपने आंदोलन को आगे बढ़ाया और अंतत: सफलता पाई. नोबल पुरस्कार से सम्मानित किये जाते समय वालेसा ने माना कि वह महात्मा गांधी के ऋणी हैं.