World Hijab Day 2024: कौन हैं नगमा, जिसकी व्यथा से उपजा ‘विश्व हिजाब दिवस’? जानें संदर्भित कथा के साथ हिजाब पर कुछ रोचक फैक्ट!

हिजाब कपड़े का एक दुपट्टा जैसा परिधान होता है, जिसे पर्दानशीं मुस्लिम महिलाएं उस समय पहनती हैं, जब वह अपने करीबी रिश्तेदारों अथवा किसी अन्य पुरुष के साथ होती हैं.

Hijab (Photo Credit: Pixabay)

World Hijab Day 2024: हिजाब कपड़े का एक दुपट्टा जैसा परिधान होता है, जिसे पर्दानशीं मुस्लिम महिलाएं उस समय पहनती हैं, जब वह अपने करीबी रिश्तेदारों अथवा किसी अन्य पुरुष के साथ होती हैं. हालांकि कई मुस्लिम महिलाएं सांस्कृतिक एकता की भावना को बढ़ाने के लिए भी हिजाब पहनना पसंद करती हैं, वहीं कुछ मुस्लिम महिलाएं इसे धार्मिक दायित्व मानती हैं. इसे हेडस्कार्फ भी कहते हैं. प्रत्येक वर्ष 1 फरवरी को 140 देशों की मुस्लिम महिलाएं विश्व हिजाब दिवस मनाती हैं. अपनी विविधता के कारण हिजाब एक उत्कृष्ट फैशन स्टेटमेंट भी बन रहा है. आइये जानते हैं, विश्व हिजाब दिवस की शुरूआत कब और कैसे हुई, महिलाओं के लिए इसका क्या महत्व है, कैसे करते हैं इसका सेलिब्रेशन तथा हिजाब से संबंधित कुछ रोचक जानकारियां

विश्व हिजाब दिवस का इतिहास

साल 2013 में अमेरिकी मूल की मुस्लिम महिला नजमा खान ने धार्मिक सहिष्णुता और सोच को बढ़ावा देने के लिए सभी महिलाओं को एक दिन के लिए आवश्यक रूप से हिजाब पहनने का सुझाव दिया था. इस आयोजन में करीब 140 देश भाग लेते हैं. इसका उद्देश्य सभी धर्मों एवं पृष्ठभूमि की महिलाओं को हिजाब पहनने और इसका अनुभव साझा करने के लिए प्रोत्साहित करना है.

नगमा की व्यथा

नजमा खान मूलतः बांग्लादेश में पैदा हुई थीं. 11 वर्ष की आयु में वह बांग्लादेश से न्यूयार्क (अमेरिका) आईं. उन्होंने न्यूयार्क स्थित मिडिल स्कूल में दाखिला लिया. पूरे स्कूल में एकमात्र हिजाबी छात्रा होने के कारण उन्हें काफी मुश्किल और भेदभाव भरे दौर से गुजरना पड़ा. शेष छात्रों के लिए वह अनोखी लड़की थीं. नजमा ने जब युनिवर्सिटी में प्रवेश लिया, तो दुर्भाग्य से उन्हीं दिनों 9/11 की ह्रदय-विदारक घटना घटी. लोगों ने उन्हें ओसामा बिन लादेन अथवा आतंकी संगठन की सदस्या तक कहा. किसी भी लड़की के लिए यह स्थिति सहज नहीं कही जा सकती. तब पहली बार नजमा ने महसूस किया कि उन्हें अपनी साथी महिला मित्रों को हिजाब पहनकर उसकी फीलिंग को समझने का सुझाव देना चाहिए. इसी सोच को नजमा खान ने 1 फरवरी 2013 को महिला मित्रों के सामने व्यक्त किया, जो संयोगवश विश्व हिजाब दिवस के रूप में स्थापित हो गया.

सदियों पुराना है हिजाब का प्रचलन

आज धर्म के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाले हिजाब की शुरुआत दरअसल धूप से बचने के लिए की गई थी. खबरों के अनुसार हिजाब के साक्ष्य मेसोपोटामिया सभ्यता में देखने को मिलते हैं. माना जाता है कि शुरुआती दौर में बारिश और तेज धूप से बचने के लिए लिनन के कपड़े से सिर ढका जाता था. मगर समय के साथ हिजाब धर्म से जुड़ गया और मुस्लिम महिलाओं, विधवाओं एवं बच्चियों के लिए इसे पहनना अनिवार्य कर दिया गया. धीरे-धीरे हिजाब परंपरा और सम्मान का प्रतीक बन गया.

हिजाब के समान अन्य परिधान

मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले अन्य परिधान भी दुनिया भर में काफी लोकप्रिय हैं.

बुर्का अथवा नकाबः नकाब वस्तुतः घूंघट सरीखा होता है, जिसमें आंखें खुली होती हैं, और चेहरा तथा पूरा शरीर ढका हुआ होता है.

खिमाराः यह वास्तव में हिजाब के समान ही होता है, जिसमें एक लंबे दुपट्टे से सिर और बदन के ऊपरी हिस्से को ढका जाता है. इसमें चेहरा खुला रहता है.

शयलाः यह एक आयताकार कपड़े का टुकड़ा होता है, जिसे सिर के चारों ओर लपेट कर पिनअप किया जाता है.

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