बच्चे क्यों नहीं कह पाते अपने माता-पिता से मन की बात, जानें ऐसी स्थिति हो सकती है कितनी घातक

आज भी माता-पिता और उनके बच्चे के बीच एक दूरी है, जिसके कारण बच्चे दिल की बातें माता-पिता से शेयर करने में झिझकते हैं. इसकी एक वजह यह हो सकती है कि बच्चों को लगता है कि उनकी बात सुनकर माता-पिता क्रोधित हो उठेंगे, या कभी-कभी माता-पिता का अत्यधिक सम्मान करने वाले संस्कारों के कारण बच्चे मुंह नहीं खोल पाते.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

फेसबुक, वाट्सऐप, ट्विटर, इंस्टाग्राम इत्यादि के कारण भले ही दूरियां कितनी भी सिमट गयी हों, लेकिन आज भी माता-पिता और उनके बच्चों के बीच एक दूरी है, जिसके कारण बच्चे दिल की बातें माता-पिता से शेयर करने में झिझकते हैं. इसकी एक वजह यह हो सकती है कि बच्चों को लगता है कि उनकी बात सुनकर माता-पिता क्रोधित हो उठेंगे या कभी-कभी माता-पिता का अत्यधिक सम्मान करने वाले संस्कारों के कारण बच्चे मुंह नहीं खोल पाते. जिसका खामियाजा कभी-कभी बहुत घातक भी साबित हो जाता है. ऐसे में यह जानना बहुत दिलचस्प हो जाता है कि आखिर ऐसी कौन सी बातें हैं जो बच्चे अपने ही माता-पिता से नहीं कह पाते? आइये जानें ऐसी कौन सी बातें हो सकती हैं...

रिलेशनशिप जैसी बातें

विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण होना स्वाभाविक बात है. दोस्ती कब मोहब्बत में बदल जाती है पता नहीं चलता, लेकिन बहुत कम बच्चे होते हैं जो अपने इस तरह के रिश्तों का जिक्र अपने माता से कर पाते हैं. इसके पीछे भी अमूमन माता-पिता की सोच की ही अहम भूमिका होती है. क्योंकि हर माता-पिता चाहता है कि उसकी बहू अथवा दामाद लाखों में एक हो. ऐसे माता-पिता को समय के साथ अपनी सोच बदलनी चाहिए

फेल होने की बात

हर माता-पिता की ख्वाहिश होती है कि उनकी संतान खूब पढ़-लिखकर दुनिया में उनका नाम रोशन करे. वे बच्चों से केवल सफल होने की उम्मीदें रखते हैं. ऐसे माता-पिता की संतान जब किसी वजह से फेल हो जाती है तो वह डांट अथवा पिटाई होने के डर से फेल होने की बात माता-पिता से नहीं कह पाती. कभी-कभी माता-पिता का यह प्रेशर संवेदनशील बच्चे के लिए जीवनघाती भी साबित हो सकती है.

 लेस्बियन होने की बात

अक्सर कुछ बच्चे किशोरावस्था में जान पाते हैं कि उनमें लेस्बियन या गे जैसे लक्षण हैं. शुरू में माता-पिता की नजर में वह सामान्य बच्चा ही दिखता है. बच्चे को जब दूसरों के टोका-टाकी करने पर पता चलता है तो वह इस बात को अपने माता-पिता को नहीं बता पाता. वह तय नहीं कर पाता कि पता नहीं माता-पिता इस बात को कैसे स्वीकारेंगे या उन्हें दुःख होगा. इस संदर्भ में मनोचिकित्सकों का कहना है कि अपने लेस्बियन या गे  होने की बात बच्चों को छिपाना नहीं चाहिए, वरना आगे चलकर दोनों की ही जिंदगी दुभर हो सकती है.

पसंदीदा करियर चुनना

अक्सर बच्चे के करियर को लेकर माता-पिता बहुत सपने संजोते हैं कि उनका बच्चा सीए अथवा डॉक्टर, इंजीनियर बनेगा. अक्सर इस दिशा में बच्चे की सोच माता-पिता की सोच से भिन्न होती है. कुछ बच्चे एयर होस्टेज बनना चाहते हैं, लेकिन माँ इसे रिस्की जॉब मानती है. ऐसे में बच्चा अक्सर खुद को दोराहे पर पाता है. वह तय नहीं कर पाता कि वह माता-पिता की पसंद से इतर किसी और फील्ड में जाना चाहता है. इस तरह की दुविधाएं अक्सर माता-पिता और बच्चों के बीच दूरियां पैदा करती हैं. एक बच्चा ही ज्यादा अच्छी तरह समझ सकता है वह क्या कर सकता है और क्या नहीं.

नशे की आदत

अक्सर बच्चा बुरी सोहबत में पड़ कर सिगरेट- शराब, तंबाकू, खैनी, पान मसाला जैसी नशीली चीजों का आदी बन जाता है. वह इस आदत को अपने माता-पिता से शेयर नहीं कर पाता. शुरू में वह इसे हल्के में लेता है. जब तक किसी के माध्यम से उसकी बात माता-पिता तक पहुंचती है, काफी देर हो चुकी होती है. इस तरह की आदतें कैंसर जैसी रोग की वजह बनती हैं. लिहाजा बच्चे को यह बात माता-पिता को समय रहते बता देना ही उचित होता है.

ब्रेकअप की बातें

आजकल काम-काज के सिलसिले में अक्सर बच्चे दूसरे शहरों में प्रस्थान कर जाते हैं. नई जगह पर वे किसी के साथ लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने लगते हैं. वे यह बात अपने माता-पिता को नहीं बता पाते. लेकिन किसी वजह से जब दोनों में ब्रेकअप होता है, तो यह स्थिति किसी भी युवा को अवसाद तक में धकेल सकती है, जो किसी भी माता-पिता के लिए भयावह होता है. ऐसे में संतान को खुलकर अपने दिल की बात माता-पिता से शेयर करना चाहिए और यह विश्वास दिलाना चाहिए कि उनकी जोड़ी अच्छी है. अगर माता-पिता की स्वीकृति मिल जाती है तो ब्रेकअप के चांसेज काफी कम हो जाता है.

लेट आने पर सच नहीं बताना

कॉलेज हो या दफ्तर किसी न किसी वजह से लेट हो जाना स्वाभाविक-सी बात है, लेकिन लेट होने पर माता-पिता अथवा पत्नी से लेट होने के पीछे झूठ बोल कर बात टालने की कोशिश की जाती है. यह स्थिति कभी-कभी भयावह साबित हो सकती है. माता-पिता के लिए भी और संतान के लिए भी. इसलिए लेट होने की सही-सही वजह बताना माता-पिता के साथ संतान के लिए भी सही होता है.

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.

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