क्या है पूर्णिमा का रहस्य? जानें कैसे करता है चंद्रमा मनुष्य को प्रभावित ?

चंद्रमा का पृथ्वी के सबसे करीब होने के कारण पृथ्वी पर इसका काफी असर पड़ता है, जिससे धरती के जीव-जंतु समुद्र, वृक्ष इत्यादि प्रभावित होते हैं. यहां तक कि पूर्णिमा एवं अमावस्या का संबंध भी चंद्रमा से होता है. दोनों के परस्पर योग से अच्छा एवं बुरा परिणाम जीवों पर प्रत्यक्षतः पड़ता है. ज्योतिषियों के अनुसार चंद्रमा का मानव के तन और मन पर संपूर्ण नियंत्रण रहता है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

हमारे वेद पुराणों एवं खगोल शास्त्र के अनुसार ब्रह्मांड यानी सृष्टि की गति एक लंबी और धीमी प्रक्रिया है. नव ग्रह इसका प्रत्यक्ष प्रमाण कहे जा सकते हैं. इनमें एकमात्र चंद्रमा ही सबसे सुंदर, कोमल और सक्रिय ग्रह माना गया है. चंद्रमा का पृथ्वी के सबसे करीब होने के कारण पृथ्वी पर इसका काफी असर पड़ता है, जिससे धरती के जीव-जंतु समुद्र, वृक्ष इत्यादि प्रभावित होते हैं. यहां तक कि पूर्णिमा एवं अमावस्या का संबंध भी चंद्रमा से होता है. दोनों के परस्पर योग से अच्छा एवं बुरा परिणाम जीवों पर प्रत्यक्षतः पड़ता है. ज्योतिषियों के अनुसार चंद्रमा का मानव के तन और मन पर संपूर्ण नियंत्रण रहता है. यहां हम पूर्णिमा से मानव पर होने वाले प्रभाव का जिक्र करेंगे.

क्या कहता है पूर्णिमा का विज्ञान?

चंद्रमा का पृथ्वी के जल से गहरा संबंध है. पूर्णिमा की रात समुद्र में ज्वार-भाटा उत्पन्न होता है, क्योंकि चंद्रमा समुद्र के जल को ऊपर की ओर खींचता है. चूंकि मनुष्य के शरीर में भी लगभग 85 प्रतिशत जल होता है, इसलिए पूर्णिमा के दिन दिखनेवाले चंद्रमा का मनुष्य के शरीर पर भी गहर असर पड़ता है. जिनकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर होता है, वह अचानक बड़बड़ाने लगते हैं. कभी-कभी पागलपन इस हद तक भी बढ़ सकता है कि उसके मन में आत्महत्या तक के विचार आ सकते हैं. अवसाद बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, लेकिन जिसे अच्छे संस्कार मिले होते है, उस पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है. अगर वह साधक है तो वो अपनी साधना बढ़ा देता है. लेखक है तो उसका कुछ अच्छा लिखने का मन करता है इत्यादि.

वैज्ञानिकों का मानना है

देश-विदेश के तमाम वैज्ञानिकों का मानना है कि पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा का प्रभाव काफी तेज होता है. इस वजह से मानव के रक्त में न्यूरॉन सेल्स तीव्रता से सक्रिय हो जाते हैं. ऐसी स्थिति में व्यक्ति बहुत ज्यादा संवेदनशील हो जाता है, यह स्थिति किसी एक पूर्णिमा पर नहीं बल्कि हर पूर्णिमा पर होती है. व्यक्ति का भविष्य भी उसी के अनुरूप बिगड़ता-संवरता रहता है. यह भी पढ़ें: क्या है शनि की साढ़ेसाती? इसकी पीड़ा शांत करने के लिए करें ये उपाय!

पेट में चय-उपचय की समस्या?

जिन्हें मंदाग्नि (भूख नहीं लगना) रोग होता है या जिनके पेट में चय-उपचय की क्रिया काफी धीमी गति से होती है, इसके पश्चात जब व्यक्ति भोजन करके उठता है तो वह एक अजीब सा नशा सा महसूस करता है. नशे की स्थिति में न्यूरॉन सेल्स मद्धिम पड़ जाते हैं, जिसकी वजह से मस्तिष्क का नियंत्रण शरीर पर कम और भावनाओं पर ज्यादा केंद्रित हो जाता है. ऐसे लोगों पर चंद्रमा का प्रभाव गलत दिशा में चला जाता है. यही वजह है पूर्णिमा के दिन ज्योतिषि उपवास रखने के लिए कहते हैं.

पूर्णिमा के दिन ये कार्य न करें

पूर्णिमा के दिन किसी भी प्रकार का तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए, ना ही शराब अथवा किसी अन्य नशे की चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए. इस दिन शारीरिक संबंध बनाने से भी बचना चाहिए. इससे ना केवल आपके शरीर पर नकारात्मक प्रतिक्रिया होती है, बल्कि भविष्य में भी कुछ बुरा होने की संभावना रहती है. ज्योतिषियों का तो यहां तक कहना है कि चौदस, पूर्णिमा एवं प्रतिपदा इन तीन दिन तक पवित्र बने रहना ही समझदारी है.

Share Now

\