घर के अन्य कक्षों की तरह बाथरूम एवं शौचालय का भी विशेष महत्व होता है. खासकर आप जब घर बनवाते हैं, अथवा बिल्डिंग में फ्लैट खरीदते हैं, तो घर के मुख्यद्वार, ड्राइंग रूम, बेड रूम, पूजा घर आदि की दशा-दिशा पर तो ध्यान देते हैं, लेकिन घर के अहम हिस्से बाथरूम एवं शौचालय पर ध्यान नहीं देते. वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार घर में शौचालय अथवा बाथरूम कहां है, किसी दिशा में है, ऐसी कई बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए. इसकी डिजाइन और प्लानिंग आदि में थोड़े से बदलाव से आप नकारात्मक ऊर्जा से छुटकारा पाते हैं, और उससे प्राप्त शुभता का लाभ भी उठाते हैं. आइए जानें वास्तु के अनुसार घर में बाथरूम एवं शौचालय किस दिशा में रखना चाहिए.
* अटैच बाथरूम और शौचालय का दरवाजा किस दिशा में हो?
बेडरूम से जुड़े बाथरूम का प्रवेशद्वार उत्तर या पूर्व की ओर होना चाहिए. वास्तु के अनुसार बाथरूम या शौचालय का दरवाजा दक्षिण-पश्चिम दिशा में नहीं होना चाहिए. अगर आपका बाथरूम आपके बेडरूम से अटैच है, और आप मनचाही दिशा उसे नहीं दे सकते, तो जब इसका उपयोग नहीं हो तो उसके दरवाजे बंद ही रखें.
* अटैच बाथरूम और शौचालय किस दिशा में हो?
रेडी-टू-मूव-इन अपार्टमेंट खरीदते समय, सुनिश्चित कर लें कि क्या बाथरूम की दिशा सही जगह पर स्थित है? ध्यान रखें कि वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय उत्तर-पश्चिम या पश्चिम दिशा में होना श्रेष्ठ होता है. लेकिन कभी भी बेडरूम के उत्तर-पूर्वी या पूर्वी हिस्से में शौचालय न बनाएं.
* बाथरूम बाहर के फर्श के स्तर से ऊपर रखें या नीचे?
छोटी जगहों में बड़े बाथरूम के लिए जगह निकाल पाना मुश्किल होता है. इसका बेहतर उपाय यह है कि आप शौचालय के लेबल को बाहर की जमीन से थोड़ी ऊंचाई पर बनवाएं. यह तरीका वास्तु के अनुसार भी उचित है, क्योंकि वास्तु कभी भी बाहर की जमीन के समान स्तर पर बाथरूम बनाने की अनुमति नहीं देता है. अलबत्ता बाथरूम की जगह अगर थोड़ा एकांत यानी बेडरूम या ड्राइंग रूम से अलहदा जगह पर रखें तो वैज्ञानिक रूप से भी यह लाभकारी होता है!
* शौचालय में कम्बोड किस दिशा हो?
फ्लश टॉयलेट का कम्बोड किसी भी सूरत में ऐसा ना बनवाएं, कि उपयोगकर्ता का मुंह पश्चिम या पूर्व दिशा में हो. वास्तु शास्त्र के अनुसार फ्लश शौचालय के लिए सबसे अच्छी जगह दक्षिण-पूर्व, उत्तर-पश्चिम, या उत्तर अथवा दक्षिण की ओर होना सभी के स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहतर होता है.
* बाथरूम या शौचालय की दीवार रसोई अथवा पूजा-घर से स्पर्श करता ना हो
वास्तु शास्त्र इस बात का कड़ा विरोध करता है कि घर की मंदिर अथवा रसोई घर की दीवार का कोई भी हिस्सा बाथरूम से लगा हुआ नहीं होना चाहिए. ऐसा होने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास बना रहता है. इसके साथ वास्तु इस बात को भी घर में रहने वालों के लिए शुभ नहीं मानता, जिस बाथरूम के नल से पानी रिसता हो. ऐसा होना भी सेहत के लिए अनुकूल नहीं होता.
* बाथरूम में लगे आईना (दर्पण) की सही दिशा क्या है?
आज बाथरूम को भी फैंसी बनाने का खूब चलन है. शौकीन लोग इसके टॉयल्स के लिए काफी भागदौड़ करते हैं. बाथरूम में आईना (दर्पण) को भी खास तवज्जो दिया जाता है. इस बात का ध्यान रखें कि बाथरूम घर का निपटान क्षेत्र माना जाता है. इसलिए इस पर लोग ज्यादा सोच-विचार नहीं करते. लेकिन वास्तु का मानना है कि अगर बाथरूम का इंटीरियर सही तरीके से किया जाये तो यह आपके घर के अन्य क्षेत्रों को भी संतुलित कर सकता है. मसलन बाथरूम की उत्तर या पूर्व की दीवार पर आईना बाथरूम के उत्तर या पूर्व दिशा में लगाना बेहतर माना जाता है, बेहतर होगा कि सिंक की दिशा भी उसी के अनुरूप हो.
* कैसा हो बाथरूम का दरवाजा?
एक अच्छी गुणवत्ता वाले बाथरूम में लकड़ी का दरवाजा लगवाना सर्वोत्तम होता है. किसी भी धातु से बना दरवाजा बाथरूम में लगाने से बचें, क्योंकि बाथरूम जैसी जगह पर धातु का दरवाजा नकारात्मकता को बढ़ावा देता है, इसका असर आपके या परिवार के किसी सदस्य पर नकारात्मकता का प्रभाव डालता है. अगर लकड़ी का दरवाजा महंगा मिल रहा है तो आजकल बाथरूम में प्लास्टिक के दरवाजों का भी खूब चलन है.