Vaman Jayanti 2025: हमेशा की तरह इस वर्ष भी सितंबर का महीना व्रतों एवं पर्वों से भरा-पूरा होगा. इस माह बाद पितृपक्ष, गणेश विसर्जन, नवरात्रि, दुर्गा अष्टमी जैसे महत्वपूर्ण पर्व पड़ेंगे. इसी श्रृंखला में भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की द्वादशी को वामन द्वादशी या वामन जयंती के रूप में मनाया जाता है. भगवान विष्णु के पांचवें स्वरूप वामन जयंती का पर्व मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के वामन स्वरूप अवतार का जन्म हुआ था और यह शुभ दिन श्रवण नक्षत्र और अभिजीत मुहूर्त में मनाया जाता है. इस बार वामन जयंती 4 सितंबर को मनाई जाएगी. वामन जयंती के अवसर पर आइये जानते हैं, इसके महत्व, मुहूर्त, मंत्र एवं पूजा-विधि आदि के बारे में.
वामन जयंती का महत्व:
यह भगवान विष्णु का पांचवां अवतार है. वामन रूप में उन्होंने असुरराज बलि का अभिमान तोड़ा और धर्म की पुनः स्थापना की. पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने असुर राजा बलि से तीन पग भूमि मांगकर एक पग से पृथ्वी, दूसरे से स्वर्ग का नाप लिया. जब तीसरे पग के लिए भूमि शेष न रही, तब राजा बलि ने अपना सिर अर्पण किया, और वामन भगवान ने तीसरा पग उनके सिर पर रख दिया. यह कथा धर्म, सम्मान और वचनों का पालन दर्शाती है. यह भी पढ़ें : Radha Ashtami 2025: राधा अष्टमी का व्रत करने से मिलता है वैवाहिक सुख, जानें क्यों लगता है अरबी का भोग
वामन जयंती मूल तिथि एवं पूजा मुहूर्त
भाद्रपद शुक्ल पक्ष द्वादशी प्रारंभ: 04:21 AM (04 सितम्बर 2025, गुरुवार)
भाद्रपद शुक्ल पक्ष द्वादशी समाप्त: 04:10 AM (05 सितम्बर 2025, शुक्रवार)
उदया तिथि के अनुसार 04 सितंबर 2025 को वामन जयंती मनाई जाएगी.
वामन व्रत एवं पूजन विधि
वामन जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र पहनें. सूर्य को जल अर्पित करने के बाद हाथ में पुष्प एवं अक्षत लेकर भगवान विष्णु का ध्यान करें, और वामन व्रत एवं पूजा का संकल्प लें, पूजा स्थल के समक्ष स्थल को साफ करें. एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर वामन भगवान की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें. एक कलश में जल भरकर, इस पर आम के पत्ते लगाकर, उस पर जटावाला नारियल रखें. प्रतिमा के समक्ष पांच बत्तियों वाला दीप एवं धूप प्रज्वलित करें. निम्न मंत्र का जाप करते हुए पूजा प्रारंभ करें.
‘शंखचक्रगदापद्मधरं चतुर्भुजं शुभं। पीताम्बरधरं देवं वामनं विष्णुमव्ययम्॥‘
अर्घ्य समर्पण मंत्र:
‘नमः पूर्णाय नमः पुण्याय नमो वामनरूपिणे।
नमः पुण्यजटायैव नमो विष्णवे नमः शिवम्॥‘
अब भगवान को फूल, अक्षत, पान, सुपारी, चंदन, गंगाजल, तुलसी दल अर्पित करें. प्रसाद में पंचामृत, खीर, हलवा, फल, मिठाई चढ़ाएं. वामन अवतार की कथा पढ़ें या सुनें. विष्णु जी की आरती उतारें.













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