Utpanna Ekadashi Vrat Date 2023: कब हैं उत्पन्ना एकादशी? जानें इनका महत्व, मुहूर्त, तिथि पूजा विधि एवं इससे संबंधित पौराणिक कथा!
हिंदू धर्म शास्त्रों में साल की सभी 24 एकादशियों को महत्वपूर्ण बताया गया है, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण के प्रिय मास मार्गशीर्ष में देवी एकादशी के प्राकट्य होने के कारण इस एकादशी का विशेष महत्व बताया जाता है, इसलिए इसे उत्पन्ना एकादशी का नाम दिया गया. इस वर्ष 08 दिसंबर 2023 को उत्पन्ना एकादशी मनाई जाएगी.
हिंदू धर्म शास्त्रों में साल की सभी 24 एकादशियों को महत्वपूर्ण बताया गया है, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण के प्रिय मास मार्गशीर्ष में देवी एकादशी के प्राकट्य होने के कारण इस एकादशी का विशेष महत्व बताया जाता है, इसलिए इसे उत्पन्ना एकादशी का नाम दिया गया. इस वर्ष 08 दिसंबर 2023 को उत्पन्ना एकादशी मनाई जाएगी. आइये जानें उत्पन्ना एकादशी व्रत का महात्म्य, मुहूर्त एवं व्रत की पौराणिक कथा इत्यादि.
उत्पन्ना एकादशी का महत्व
सनातन धर्म शास्त्रों के अनुसार श्रीहरि ब्रह्माण्ड के पालनहार हैं. उनकी पूजा एवं व्रत के लिए एकादशी तिथि का विशेष महत्व है, प्रत्येक माह पड़ने वाली एकादशी में उत्पन्ना एकादशी का इसलिए विशेष महत्व है, क्योंकि इसी दिन देवी एकादशी का प्राकट्य हुआ था. इसलिए जो जातक भक्ति और समर्पण के साथ इस दिन श्रीहरि की पूजा एवं व्रत करता है, उनके सभी कष्ट और समस्याएं मिट जाती हैं, जीवन में सुख, शांति एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. इसके साथ-साथ उत्पन्ना एकादशी की शाम को जो उपवासी दूध से बना प्रसाद ग्रहण करते हैं उनकी हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं. जीवन के सारे सुख भोग कर अंत में वे बैकुंठ धाम में स्थान प्राप्त होता है. यह भी पढ़ें :Kal Bhairav Jayanti 2023: कब है काल भैरव जयंती ? जानें इनकी उत्पत्ति की रोचक कथा और महात्म्य!
इस वर्ष दो दिन मनाई जाएगी उत्पन्ना एकादशी
इस वर्ष मार्गशीर्ष माह में पड़ने वाली उत्पन्ना एकादशी व्रत दो दिन पड़ रही है. मूल रूप से एकादशी का व्रत उदया तिथि के अनुसार किया जाता है, गृहस्थ जीवन वाले लोग उत्पन्ना एकादशी का व्रत 8 दिसंबर को रखेंगे, वहीं वैष्णव संप्रदाय के लोग 9 दिसंबर को उत्पन्ना एकादशी का उपवास रखेंगे.
उत्पन्ना एकादशी (2023) शुभ मुहूर्त
मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी प्रारंभः 05.06 AM (08 दिसंबर 2023, शुक्रवार)
मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी समाप्तः 06.31 AM (09 दिसंबर 2023, शनिवार)
पारण का समयः 01.15 PM से 03.20 PM
उत्पन्ना एकादशी पूजा विधि
एकादशी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि निवृत्त होकर घर के मंदिर की सफाई करें और दीप प्रज्वलित करें. श्रीहरि का गंगाजल से अभिषेक करें और उन्हें नारियल, सुपारी, फल, लौंग, धूप, पंचामृत, अक्षत, चंदन और मिष्ठान अर्पित करें. दूध से बनी मिठाई और फलों का भोग लगाएं. इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है. भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें. अंत में श्री हरि की आरती उतारें.
उत्पन्ना एकादशी व्रत की पौराणिक कथा
सतयुग में नाड़ीजंघ नामक राक्षस का बेहद बलवान पुत्र था मुर. उसने इंद्र, वरुण, यम, अग्नि, वायु, चंद्रमा, नैऋत देवताओं को पराजित कर उनके राज्यों पर अधिकार कर लिया था. सभी देव भगवान शिवजी के पास पहुंचे. शिवजी ने उन्हें श्रीहरि के पास भेजा. देवताओं की पीड़ा सुन श्रीहरि ने मुर पर आक्रमण कर दिया. मुर के साथ उनका लंबा युद्ध चला. युद्ध करते-करते वह थक गये तो आराम करने वह बद्रिकाश्रम गुफा में चले गये. मुर भी गुफा में पहुंचा. उसने आराम कर रहे श्रीहरि पर आक्रमण कर दिया, लेकिन तभी श्रीहरि के शरीर से कांतिमय रूपवाली देवी प्रकट हुईं, और उन्होंने मुर का वध कर दिया. श्रीहरि ने देवी से कहा, आपका जन्म मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी को हुआ है, इसलिए आपका नाम उत्पन्ना एकादशी होगा. इस दिन जो भी श्रद्धालु उत्पन्ना एकादशी व्रत करेगा, उसे जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति मिलेगी.