Urn Installation in Navratri 2022: क्यों करते हैं नवरात्रि में कलश स्थापना? जानें इसका महात्म्य और इसका विधि-विधान एवं मंत्र!

सनातन धर्म में पूजा-अनुष्ठान के समय कलश स्थापना की प्रक्रिया हर हिंदू परिवार में किया जाता है. नवरात्रि में तो इसकी विशेष महिमा बताई जाती है. नवरात्रि के 9 दिनों तक हिंदू परिवार व्रत रखते हुए मां दुर्गा की पूजा-अर्चना से पूर्व कलश की स्थापना एवं इसकी पूजा अर्चना करता है और अंतिम दिन इसका विधि-विधान से विसर्जन कर किया जाता है.

चैत्र नवरात्रि 2022 (Photo Credits: File Image)

सनातन धर्म में पूजा-अनुष्ठान के समय कलश स्थापना की प्रक्रिया हर हिंदू परिवार में किया जाता है. नवरात्रि में तो इसकी विशेष महिमा बताई जाती है. नवरात्रि के 9 दिनों तक हिंदू परिवार व्रत रखते हुए मां दुर्गा की पूजा-अर्चना से पूर्व कलश की स्थापना एवं इसकी पूजा अर्चना करता है और अंतिम दिन इसका विधि-विधान से विसर्जन कर किया जाता है. आखिर क्या है कलश स्थापना का महात्म्य? क्यों और कैसे करते हैं कलश स्थापना? इस बार 2 अप्रैल 2022 शनिवार के दिन चैत्रीय नवरात्रि प्रारंभ हो रहा है. नवरात्रि में कलश-स्थापना पर मुंबई के ज्योतिष शास्त्री एवं पुरोहित पंडित रविंद्र नाथ पाण्डेय विस्तृत जानकारी दे रहे हैं .

कलश स्थापना का महात्म्य!

सनातन धर्म के अनुसार नवरात्रि पर कलश-स्थापना से घर-परिवार में सुख-शांति एवं मंगल कामनाओं की पूर्ति होती है. देवी पुराण में उल्लेखित है कि कलश के मुख में विष्णुजी. कंठ में शिवजी और मूल में ब्रह्माजी निवास करते हैं. मध्य में दैवीय मातृ-शक्तियों का वास होता है. कलश का जल प्रतीक है कि श्रद्धालु का मन जल की तरह स्वच्छ, निर्मल और शीतल है. इस पर स्थापित नारियल भगवान श्री गणेश का प्रतीक होता है. कलश में जल के साथ सुपारी, पुष्प, सूत, कुमकुम, आम्र पल्लव एवं मुद्रा रखने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. कलश पर रोली से बनाया स्वास्तिक चिह्न जीवन की चार अवस्थाओं बाल्य, युवा, प्रौढ़ एवं वृद्धावस्था की सच्चाई को दर्शाता है. कलश के नीचे बोया जौ यह दर्शाता है कि सृष्टि की रचना के समय सबसे पहली फसल जौ ही था. जौ को पवित्र एवं पूर्ण फसल माना जाता है.

कलश स्थापना की विधि!

नवरात्रि के पहले दिन प्रातः स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र पहनें. मंदिर की साफ-सफाई करें. मंदिर के सामने साफ मिट्टी बिछा कर जौ फैलाएं और इस जल का छिड़काव करें. यह प्रक्रिया तीन बार करें. अब मिट्टी के कलश में जल भर कर इसमें रोली, पुष्प, सुपारी, अक्षत एवं कुछ मुद्राएं डालें. कलश पर रोली से स्वास्तिक का निशान बनाएं और कलश पर तीन बार मौली लपेटें. इसे मिट्टी में रोपित जौ के ऊपर स्थापित करें. कलश पर पांच या सात आम्र पल्लव बिछायें. एक जटा एवं पानी वाला नारियल लेकर इसे चुनरी से लपेटें. इस बात का ध्यान रहे कि नारियल का मुख भक्त की ओर हो, ताकि उसे प्रत्यक्ष इसके पुण्य लाभ की प्राप्ति हो. अब इसे कलश पर रखते हुए माँ दुर्गा का आह्वान मंत्र पढ़ें. यह भी पढ़ें : Benefits of Camphor 2022: पूजा ही नहीं सेहत और सौंदर्य के लिए भी है लाभकारी कपूर! कपूर से ऐसे पायें आर्थिक समस्या से मुक्ति!

ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

क्यों करते हैं कलश स्थापना?

हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार सभी वैदिक संस्कारों एवं शुभ मुहूर्तों पर विधिवत कलश-स्थापना करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं, और अपने भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. नवरात्र पर्व की प्रथम तिथि में कलश-स्थापना की जाती है. कलश को देवी-देवता की शक्ति एवं तीर्थों का प्रतीक मानकर स्थापित किया जाता है. कलश स्थापना के साथ अनिवार्य रूप से नौ दिनों तक अखंड ज्योति भी जलाने का विधान है. शास्त्रों में अखण्ड-ज्योति के बिना कलश पूजन को पूर्ण नहीं माना जाता है. इससे घर में समृद्धि आती है और नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है.

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