Shraddh Paksh 2024: क्या है अविधवा नवमी? जानें इस दिन किसका और किसके द्वारा श्राद्ध करना चाहिए!

आश्विन मास कृष्ण पक्ष पितरों को समर्पित पखवाड़ा है. इस पूरे पखवाड़े में तिथियों के अनुरूप पूर्वजों का श्राद्ध एवं तिल-तर्पण आदि किया जाता है. श्राद्ध पखवाड़े के नवें दिन अविधवा नवमी मनाई जाती है. इस दिन को नवमी श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है.

Shradh Parv 2024( img: file photo)

आश्विन मास कृष्ण पक्ष पितरों को समर्पित पखवाड़ा है. इस पूरे पखवाड़े में तिथियों के अनुरूप पूर्वजों का श्राद्ध एवं तिल-तर्पण आदि किया जाता है. श्राद्ध पखवाड़े के नवें दिन अविधवा नवमी मनाई जाती है. इस दिन को नवमी श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू शास्त्रों के अनुसार यह पर्व मुख्य रूप से गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, और आंध्र प्रदेश में पूरी श्रद्धा एवं आस्था के साथ आयोजित किया जाता है, जिन महिलाओं की मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं हो, अथवा जिनके पति जीवित हों, उन मृत महिलाओं का श्राद्ध अविधवा नवमी के दिन किया जाता है. इस वर्ष अविधवा नवमी 25 सितंबर 2024, बुधवार के दिन मनाया जायेगा आइये जानते हैं अविधवा नवमी के बारे में विस्तार से यह भी पढ़ें : Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष 15 दिनों तक क्यों मनाया जाता है? जानें श्राद्ध के कुछ मूलभूत नियम!

अविधवा नवमी पर किसका श्राद्ध किया जाता है

* इस दिन पति द्वारा दिवंगत सुहागन महिलाओं का श्राद्ध किया जाता है.

* विधवा महिलाओं का श्राद्ध अविधवा नवमी के दिन नहीं किया जाता है.

* अगर सौतेली मां जीवित है और सगी मां का निधन हो चुका है, तो मृतक के पुत्र को यह श्राद्ध कर्म करना चाहिए.

* अगर एक से ज़्यादा माताओं का देहांत सधवा स्थिति में हुआ है, तो उन सभी माताओं का श्राद्ध अविधवा नवमी के दिन एक साथ किया जाना चाहिए.

* इस दिन विधवा महिलाओं का श्राद्ध नहीं किया जाना चाहिए.

* दिवंगत स्त्री का निधन हो चुका हो और उसका पुत्र न हो, या पुत्र का भी निधन हो चुका हो, तो पुत्र के बच्चे को अविधवा नवमी का श्राद्ध न करने दें.

ऐसे करें अविधवा नवमी का श्राद्ध कर्म

आश्विन मास कृष्ण पक्ष की नवमी को मृतक के ज्येष्ठ बेटे को श्राद्ध कर्म करना चाहिए. स्नान ध्यान के पश्चात महिला पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण एवं पिंडदान आदि किये जाते हैं. इस दिन दिवंगत सुहागन महिलाओं, बहुओं, और बेटियों आदि का श्राद्ध किया जाता है. इसके लिए घर के मुख्य आंगन में दक्षिण दिशा की हरे रंग का वस्त्र बिछाएं. पूर्वज की फोटो रखें. फोटो के सामने पुष्प अर्पित करते हुए. तिल का तेल एवं सुगंधित धूप जलाएं. अब स्वच्छ जल में तिल एवं मिश्री मिलाएं. हथेली में यह जल लेकर अंगूठे की तरफ से महिला पूर्वजों का ध्यान कर अर्पित करें.

अब कंडा जलाकर घी, खीर-पूड़ी और गुड़ आदि चीजें अर्पित करें. पूजा कर्म में जाने-अनजाने हुई भूल के लिए क्षमा मांगें, पंचबलि के लिए भोजन निकालें. इस दिन सुहागिन महिलाओं को भोजन कराने का विधान है. भोजन कराने के पश्चात सभी सुहागन महिलाओं को सोलह श्रृंगार की लगभग सभी सामग्री दान करें, तथा दक्षिणा देकर आशीर्वाद प्राप्त करें.

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