Shivtej Din 2023: जब शिवाजी ने सर्जिकल स्ट्राइक कर मुगलों की नींद उड़ाई थी! जानें इस संदर्भ में कुछ रोचक तथ्य!

चैत्र शुक्लपक्ष की अष्टमी का दिन संपूर्ण महाराष्ट्र में ‘शिवतेज दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. यह दिवस विशेष छत्रपति शिवाजी महाराज की शौर्य गाथाओं के तमाम शौर्य गाथाओं की एक कड़ी है. इतिहासकार इस घटना को दुनिया के इतिहास का पहला सर्जिकल स्ट्राइक मानते हैं. यद्यपि शिवाजी इस युद्ध में विजय प्राप्त नहीं कर सके थे, लेकिन उनके साहस और बहादुरी ने मुगल प्रशासन एवं सैनिकों में गहरी दहशत फैला दी थी.

Chhatrapati Shivaji Maharaj Photo: Wikimedia Commons

चैत्र शुक्लपक्ष की अष्टमी का दिन संपूर्ण महाराष्ट्र में ‘शिवतेज दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. यह दिवस विशेष छत्रपति शिवाजी महाराज की शौर्य गाथाओं के तमाम शौर्य गाथाओं की एक कड़ी है. इतिहासकार इस घटना को दुनिया के इतिहास का पहला सर्जिकल स्ट्राइक मानते हैं. यद्यपि शिवाजी इस युद्ध में विजय प्राप्त नहीं कर सके थे, लेकिन उनके साहस और बहादुरी ने मुगल प्रशासन एवं सैनिकों में गहरी दहशत फैला दी थी. मुगल बादशाह औरंगजेब के सेनापति शाइस्ता खान को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी थी, जब इस युद्ध में उसके पुत्र समेत पत्नी भी मारी गई थीं. बल्कि जाते-जाते शिवाजी ने तलवार से उसकी तीन उंगलियां काटकर उसे हाथ में तलवार पकड़ने तक से वंचित कर दिया था. इस वर्ष शिवतेज दिवस 29 मार्च 2023 को मनाया जायेगा. आइये जानते हैं छत्रपति शिवाजी महाराज की इस शौर्यगाथा के बारे में विस्तार से..

शिवाजी ने ऐसे रची सर्जिकल स्ट्राइक!

गौरतलब है कि मुगल सेनापति मिर्जा अबू तालिब, उर्फ शाइस्ता खान, जिसे औरंगजेब ने दक्कन का वायसराय नियुक्त किया था. पुणे पर अधिकार पाने के बाद शाइस्ता खान ने मराठों को पुणे शहर में प्रवेश करने प्रतिबंधित कर दिया था. 5 अप्रैल 1663 को मुगल प्रशासन ने एक बारात के आयोजन की अनुमति दे दी. शिवाजी महाराज ने इस अवसर का पूरा लाभ उठाते हुए अपने 400 सैनिकों तैयार किए और, उन्हें बारातियों के रूप में बारात के साथ पुणे में प्रवेश करवा दिया. खुद भी भीड़ का लाभ उठाकर पुणे नगर में प्रवेश कर गये. यह भी पढ़ें : Chaitra Navratri Day 7: चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन दिल्ली के झंडेवाला मंदिर में हुई आरती, देखें वीडियो

आधी रात होते ही शिवाजी महाराज ने अपने 400 गुप्त सैनिकों के साथ शाइस्ता खान के महल पर आक्रमण कर दिया. इस अचानक हमले से मुगल सेना हड़बड़ा गई. शिवाजी के 400 योद्धाओं ने शाइस्ता खान के सैनिकों को जान बचाकर भागने पर मजबूर कर दिया. शाइस्ता खान को इस हमले में काफी निजी नुकसान भी हुआ. इस अचानक हुए हमले में शाइस्ता खान के बेटे और और उसकी पत्नी को जान से हाथ धोना पड़ा. यही नहीं छत्रपति शिवाजी महाराज ने शाइस्ता खान की तीन अंगुलियां भी काट दी. शाइस्ता खान की लापरवाही का अंजाम यह हुआ कि बादशाह औरंगजेब को इस कदर नाराज किया कि उसे बंगाल स्थानांतरित कर दिया.

शिवाजी महाराज की बेजोड़ युद्ध कौशल के साथ की गई सर्जिकल स्ट्राइक ने मुगलों के मनोबल को झिंझोड़ कर रख दिया. यूं तो शिवाजी महाराज ने अपने जीवन में अनगिनत युद्ध किये और उन्हें जीता, लेकिन यह सर्जिकल स्ट्राइक आज भी लोग नहीं भूल सके हैं. शिवाजी की शूरवीरता की स्मृति में इस दिन संपूर्ण महाराष्ट्र में स्थापित शिवाजी की प्रतिमा को माला पहना कर सम्मानित किया जाता है.

क्या थी लाल महल कहानी?

शहाजी राजे भोसले ने साल 1630 में पत्नी जिजामाता और बेटे शिवाजी के लिए यह महल बनवाया था. माँ के संरक्षण में शिवाजी का बचपन इसी महल में बीता था. 1646 में मुगल साम्राज्य का तोरण किला काबिज करने तक शिवाजी महाराज इसी लाल महल में रहते थे. सई बाई के साथ शिवाजी की शादी भी इसी महल में हुई थी. लेकिन बाद में उस पर औरंगजेब के मामा शाइस्ता खां का कब्जा था. अंदर उसके एक लाख सैनिक तैनात थे. चूंकि यह महल शिवाजी की माँ की सर्वाधिक प्रिय चीज थी, इसलिए उनके लिए लाल महल को दोबारा हासिल करना सबसे बड़ा लक्ष्य था. अंततः चैत्र शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि में शिवाजी ने लाल महल पर आक्रमण कर शाइस्ता खां को भागने पर मजबूर कर दिया.

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