Sharad Purnima 2023: चंद्रग्रहण में कैसे मनाएं शरद पूर्णिमा का उत्सव! क्या ग्रहण काल में चंद्रमा को खीर का भोग लगाना चाहिए? जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ!
धर्म शास्त्रों के अनुसार शरद पूर्णिमा को सर्वश्रेष्ठ पूर्णिमा माना गया है, क्योंकि इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से युक्त होता है. इस रात चंद्र किरणें अमृत बरसाती हैं, इसलिए लोग रात में चंद्रमा को खीर अर्पित करते हैं और चंद्रमा की अमृतमयी किरणों के संपर्क में आकर खीर अमृत तुल्य बन जाती हैं, जिसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करने वाले हमेशा निरोग रहते हैं.
धर्म शास्त्रों के अनुसार शरद पूर्णिमा को सर्वश्रेष्ठ पूर्णिमा माना गया है, क्योंकि इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से युक्त होता है. इस रात चंद्र किरणें अमृत बरसाती हैं, इसलिए लोग रात में चंद्रमा को खीर अर्पित करते हैं और चंद्रमा की अमृतमयी किरणों के संपर्क में आकर खीर अमृत तुल्य बन जाती हैं, जिसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करने वाले हमेशा निरोग रहते हैं. इस दिन चंद्रमा के साथ देवी लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है. घुमक्कड़ प्रवृत्ति के लोग शरद पूर्णिमा मनाने पर्यटन स्थलों की ओर निकलते हैं, लेकिन इस साल शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण लगने से लोग भ्रमित हैं कि वे परंपराओं के अनुसार सोलह कलाओं से युक्त चंद्रमा का दिव्य नजारा कैसे देख सकेंगे? अथवा क्या ग्रहण काल में चंद्रमा की पूजा, अथवा उन्हें खीर का भोग लगाना अथवा भोग को खाना उचित होगा? 28 अक्टूबर 2023 को लगने वाले चंद्रग्रहण के बारे में तमाम जानकारियों एवं भ्रांतियों से अवगत करवा रहे हैं ज्योतिषाचार्य श्री रवींद्र पाण्डेय.
शरद पूर्णिमा का महात्म्य
हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने राधारानी और गोपियों के साथ महारास किया था, इसलिए इसे रास पूर्णिमा भी कहते हैं. ऐसी भी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा काल में देवी लक्ष्मी अपने भक्तों को आशीर्वाद देने पृथ्वी पर अवतरित होती हैं, इस कारण अधिकांश हिंदू रात्रिकाल में लक्ष्मी जी की पूजा अर्चना करते हैं, बहुत से लोग भगवान सत्यनारायण की कथा भी सुनते हैं. माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात माँ लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा-अर्चना करने से शरीर निरोग होता है और जीवन में सुख एवं समृद्धि आती है. यह भी पढ़ें : Chandra Grahan 2023: शरद पूर्णिमा पर लग रहा चंद्र ग्रहण शुभ है या अशुभ? 4 शुभ योगों में करें ये उपाय दूर होगी दरिद्रता!
चंद्र ग्रहण का समय
चंद्रोदयः 06.35 PM (28 अक्टूबर 2023, शनिवार)
चंद्र ग्रहण का सूतक कालः 04.12 PM से 02.24 AM (कुल सूतक काल 10 घंटा 12 मिनट)
चंद्रग्रहण का समयः 01.05 AM से 02.24 AM तक (चंद्रग्रहण की कुल अवधि 1 घंटा 19 मिनट)
चंद्रग्रहण में कब और कैसे करें देवी लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा
हिंदू मान्यताओं के अनुसार सूतक काल में किसी भी देवी-देवता की पूजा नहीं करनी चाहिए. इस चंद्र ग्रहण के कारण सायंकाल 04.12 बजे से मध्य रात्रि 02.24 बजे तक सूतककाल रहेगा. ज्योतिषाचार्य रवींद्र पाण्डेय के अनुसार चूंकि चंद्रमा के अस्त होने तक शरद पूर्णिमा का योग रहेगा, इसलिए सूतक काल (रात्रि 02.24 बजे) समाप्त होने के बाद स्नानादि करके देवी लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा करनी चाहिए. पूजा शुरू करने से पूर्व लक्ष्मी जी के समक्ष शुद्ध घी का दीप एवं धूप प्रज्वलित कर निम्न मंत्र को पढ़ें
ॐ श्रीं क्लीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।
अब मां लक्ष्मी को लाल फूल, पान-सुपारी, रोली, अक्षत अर्पित करते हुए खीर का भोग लगाएं.
कमल गट्टे की माला से निम्न मंत्र का 108 जाप करें.
ॐ श्री महालक्ष्मी नमः
इसके बाद जल में लाल पुष्प और रोली डालकर चंद्रमा को अर्घ्य दें. खीर के भोग को खुली चांदनी के नीचे रखें, और सुबह होने पर सपरिवार भोग का सेवन करें. इस खीर के सेवन से शरीर निरोग रहता है. अलबत्ता ज्योतिष शास्त्री का कहना है कि चंद्रग्रहण समाप्त होने के बाद ही खीर बनाना चाहिए, और चंद्र ग्रहण से पूर्व खीर बनाने वाले दूध में तुलसी पत्ता अवश्य डाल कर रखें.