Shab E Meraj Mubarak 2022: शब-ए-मेराज पर ये विशेज GIF Images और HD Wallpapers के जरिये भेजकर दें मुबारकबाद
Shab E Meraj Mubarak 2022 (Photo Credits: File Image)

Shab E Meraj Mubarak 2022: शब ए मिराज (Shab E Meraj) 28-फरवरी-2022 की शाम से शुरू होकर 1 मार्च को खत्म होगा. शब ए मिराज को इस्लामिक आस्था और दुनिया भर के मुसलमानों में द नाइट जर्नी के नाम से जाना जाता है. शब ए मिराज हर साल रजब के महीने और रजब महीने की 27 वीं तारीख में मनाया जाता है. शब ए मेराज को अरबी दुनिया में लैलत अल मिराज भी कहा जाता है. शब ए मिराज की तारीख 27 फरवरी 2022 की शाम से भारत, अरब, पाकिस्तान, बांग्लादेश और दुनिया के कुछ अन्य हिस्सों में 28-फरवरी-2022 की शाम को शुरू होकर और 1 मार्च 2022 के दिन तक मनाया जाता है. यह भी पढ़ें: Shab E Meraj Mubarak Messages 2022: शब-ए-मेराज पर ये मैसेजेस WhatsApp Stickers और HD Wallpapers के जरिये भेजकर दें मुबारकबाद

शब ए मेराज को लैलत अल मिराज और इसरा वल मिराज भी कहा जाता है, यह एक ऐतिहासिक रात की घटना है जिसे इस्लामी इतिहास में बहुत मनाया और सम्मानित किया जाता है, इस्लाम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण शारीरिक और आध्यात्मिक यात्रा माना जाता है. लैलातुल मिराज/शब ए मेराज मूल रूप से पैगंबर मुहम्मद का सात स्वर्गों में एक उल्लेखनीय यात्रा थी. इस यात्रा को उन्होंने एक जानवर बुराक की पीठ पर की थी. शब ए मिराज के महान उदगम को दो भागों में विभाजित किया गया है जिन्हें इसरा और मिराज कहा जाता है. शब-ए-मेराज की रात इस्लाम धर्म के लोग नफिल नमाज अदा करते हैं और कुरआन पाक की तिलावत भी करते हैं, क्योंकि इस रात इबादत करने का खास महत्व होता है. इसके अलावा लोग अपने दोस्तों-रिश्तदारों को इस पर्व की मुबारकबाद भी देते हैं. इस्लाम धर्म के इस महत्वपूर्ण पर्व की आप अपनों को इन मनमोहक एचडी इमेजेस, वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक मैसेजेस, जीआईएफ, वॉलपेपर्स के जरिए मुबारकबाद दे सकते हैं.

Shab E Meraj Mubarak 2022 (Photo Credits: File Image)
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Shab E Meraj Mubarak 2022 (Photo Credits: File Image)
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इस दिन लोग अल्लाह से दुआ मांगते हैं और जरूरतमंदों की मदद करते हैं और अच्छे काम करते हैं. गौरतलब है कि मोहम्मद साहब की इस यात्रा के दो भाग हैं, जिसे इसरा और मेराज कहा जाता है. इस्लामिक मान्यताओं को अनुसार, इसी दिन मोहम्मद साहब को इसरा और मेराज की यात्रा के दौरान अल्लाह के विभिन्न निशानियों का अनुभव मिला था. इसी दिन उनकी अल्लाह से मुलाकात हुई थी. इस यात्रा के पहले हिस्से को इसरा और दूसरे हिस्से को मेराज कहा जाता है.