Shab-E-Barat 2024: कब है शब-ए-बारात और क्या है इसका इतिहास एवं महत्व तथा जानें उन 5 रातों के बारे में जब प्रार्थना करने पर अल्लाह सारे गुनाह माफ कर देते हैं!
इस्लाम धर्म में शब-ए-बारात का खास महत्व बताया गया है. मान्यता है कि शब-ए-बारात की रात अल्लाह की इबादत की रात होती है. इस दिन इबादत करने से अल्लाह सारे गुनाह माफ कर देते हैं.
इस्लाम धर्म में शब-ए-बारात का खास महत्व बताया गया है. मान्यता है कि शब-ए-बारात की रात अल्लाह की इबादत की रात होती है. इस दिन इबादत करने से अल्लाह सारे गुनाह माफ कर देते हैं.
शब-ए-बारात हर साल शाबान माह की 15 तारीख को सेलिब्रेट किया जाता है. शब-ए-बारात वस्तुतः दो शब्दों से मिलकर बना है. शब का अर्थ है रात और बारात का अर्थ है बरी करना. इस रात मुसलमान समाज अपने लोगों के लिए अल्लाह से दुआ मांगते हैं. ऐसी मान्यता है कि अगर इस रात आप सच्ची आस्था के साथ दुआ करते हैं, तो आपकी हर दुआ कुबूल होती है. इस्लामी कैलेंडर के अनुसार बारात की रात हर साल शाबान माह में आती है. शाबाद इस्लामी कैलेंडर का आठवां महीना होता है. आइये जानते हैं, कब है शब-ए-बारात और क्या है इसका महत्व..
कब है शब-ए-बारात
इस्लाम धर्म से जुड़े लोग शाबान माह की 14 वीं तारीख को सूर्यास्त के बाद शब-ए-बारात मनाते हैं. गौरतलब है कि रजब के पश्चात शाबाना इस्लामी कैलेंडर का आठवां महीना है. इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक 12 फरवरी को शाबान माह की शुरुआत होती है. शब-ए-बारात शाबान माह की 14-15 तारीख की रात को मनाया जाता है, जो इस वर्ष 25 फरवरी 2024, रविवार को पड़ने की संभावना है. यह तारीख चांद दिखने के बाद ही फाइनल की जाएगी. यह भी पढ़ें : Propose Day 2024 Messages: हैप्पी प्रपोज डे! पार्टनर के साथ शेयर करें ये प्यार भरी हिंदी Shayaris, GIF Greetings, WhatsApp Wishes और HD Images
क्या है शब-ए-बारात का इतिहास
शब-ए-बारात का इतिहास शिया मुस्लिम के बारहवें इमाम मुहम्मद अल-महदी के जन्म से जाना जा सकता है, क्योंकि मुहम्मद-अल महदी के जन्मदिन पर शिया मुस्लिम के लोगों ने जहां जश्न मनाया था, वहीं सुन्नी समुदाय के मुस्लिमों का मानना है कि इस दिन अल्लाह ने नूह के जहाज को जल प्रलय से बचाया था, यही वजह है कि दुनिया भर के मुसलमान इस पर्व को मनाते हैं.
शब-ए-बारात का महत्व
मुस्लिम समुदाय के लिए शब-ए-बारात न सिर्फ इबादत की रात है बल्कि फजीलत की भी रात है. इस रात मुसलमान अपने पूर्वजों के लिए फातिहा पढ़ते हैं. पुरुष वर्ग जहां मस्जिदों में आकर प्रार्थना करते हैं, और नमाज पढ़ते हैं, वहीं महिलाएं घर पर प्रार्थना करती हैं. कुरान की तिलावत करते हैं. मान्यता है कि इस रात अल्लाह पृथ्वी पर आते हैं, और अपने भक्तों के गुनाहों को माफ करते हैं और उनके लिए जन्नत के दरवाजे खोल देते हैं
माफी मांगने की रात
इस रात को मगफिरत (माफी मांगने) की रात भी कहा जाता है. इस रात लोग अल्लाह से अपने पापों, अपराधों के लिए माफी मांगते हैं. गौरतलब है कि इस्लाम धर्म में अल्लाह से माफी मांगने की कुल पांच रातें मुकर्रर हैं. जिसमें शब-ए-बारात, जुमे की रात, ईद-उल-फितर, ईद-उल-अजहा की रात और रजब की रात. मान्यता है कि इन रातों को अल्लाह से दुआ प्रार्थना करने से अल्लाह माफी प्रदान कर देते हैं.