Rongali Bihu 2024: असम में तीन ‘बिहू’ क्यों मनाये जाते हैं? जानें रोंगाली बिहू के बारे में कुछ रोचक बातें!
भारत के अन्य पर्वों की तरह असम का रोंगाली बिहू, जिसे बोहाग बिहू भी कहते हैं, भी फसलों से जुड़ा त्योहार है. इस त्योहार के माध्यम से हमारे कृषक परिवार अच्छी फसल के लिए ईश्वर के प्रति आभार प्रकट करते है, साथ ही अगली फसल में अच्छी उपज के लिए ईश्वर से प्रार्थना भी करते हैं.
भारत के अन्य पर्वों की तरह असम का रोंगाली बिहू, जिसे बोहाग बिहू भी कहते हैं, भी फसलों से जुड़ा त्योहार है. इस त्योहार के माध्यम से हमारे कृषक परिवार अच्छी फसल के लिए ईश्वर के प्रति आभार प्रकट करते है, साथ ही अगली फसल में अच्छी उपज के लिए ईश्वर से प्रार्थना भी करते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बिहू अग्नि देव को समर्पित पर्व है. इस वर्ष रोंगाली बिहू 14 अप्रैल 2024 से शुरू होकर 20 अप्रैल 2024 तक मनाया जाएगा. आइये जानते हैं असम के इस महापर्व के बारे में कुछ कही कुछ अनकही बातें विस्तार से...
साल में 3 बार मनाते हैं बिहू पर्व
रोंगाली बिहू असम के तीन प्रमुख बिहू उत्सवों में एक है, जनवरी के उत्तरार्ध में ‘भोगाली बिहु’ जिसे ‘माघ बीहू’ भी कहते हैं, अप्रैल में ‘रोंगाली’ बिहू’ जिसे ‘बोहाग बिहू’ अथवा ‘हित बिहू’ कहा जाता है, और कार्तिक माह का ‘कोंगाली बिहू’, जिसे ‘काती बिहू’ भी कहते हैं, मनाया जाता है. जहां तक रोंगाली बिहू की बात है तो यह 14 अप्रैल 2024 से 20 अप्रैल तक मनाया जाएगा. उपयुक्त तीनों बिहू तीन विभिन्न फसलों की कटाई के अवसर पर मनाया जाता है. यह भी पढ़ें : Ramadan Eid 2024 Moon Sighting In India: भारत में कब मनाई जाएगी ईद? जानें इस महापर्व का अद्वितीय इतिहास और इसका आध्यात्मिक एवं सामाजिक महत्व!
कैसे मनाते हैं रोंगाली बिहू
अप्रैल माह के इस साप्ताहिक पर्व रोंगाली बिहू के पहले दिन पानी में काली दाल और कच्ची हल्दी युक्त पानी से घर के मवेशियों (गाय-बैलों) को स्नान कराया जाता है. इसके पश्चात उनका श्रृंगार कर उनके मस्तक पर तिलक लगाया जाता है, उनकी आरती उतारी जाती है, तथा लौकी और बैंगन खिलाया जाता है. इस प्रक्रिया के पीछे यह माना जाता है कि मवेशी स्वस्थ और स्वच्छ रहेंगे तो घर-परिवार भी स्वस्थ एवं सुख-समृद्धि आती है. इस पर्व के दौरान महिला एवं पुरुष ढोल बजाते हैं और पारंपरिक नृत्य करते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से इंद्र देव प्रसन्न होते हैं और वर्षा कर अच्छी फसल का वरदान देते हैं. संध्याकाल में महिलाएं हाथों में मेहंदी लगाती हैं. असम के विभिन्न आयोजनों में लड़कियां रंग-बिरंगे परिधान पहनकर बिहू नृत्य करते हैं. मनोरंजक कार्यक्रमों के अंत में लोग सामूहिक रूप से असमिया व्यंजनों पिठा. लारू, दोई-चीरा, मटन, चिकन आलू पिटिका, फिश करी आदि का लुत्फ उठाते हैं.